उत्तराखंड में पांच दिन पहले हुई आफत की बारिश ने 72 लोगों की जिंदगी ले ली। आपदा प्रभावित क्षेत्रों में अभी भी दो दर्जन लोगों का पता नहीं चला है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आपदा प्रभावित क्षेत्रों में जाकर राहत कार्यों की समीक्षा की है। वहीं, उत्तराखंड में मौसम के पूर्वानुमान के लिए दो डाप्लर रडार काम करने लग गए हैं। ये रडार अतिव्रष्टि, बादल फटने जैसे विषयों की जानकारी समय से पहले दे देते हैं। राज्य सरकार अभी एक रडार और केंद्र सरकार से मांगने जा रही है।
6 ट्रैकर्स का पता नहीं चल सका
जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में बाघों की गणना में लगे 430 कैमरों में से 104 कैमरे बारिश में बह गए हैं। उनमें बाघों की तस्वीरों का डेटा भी था। पहाड़ों पर सड़कें बन्द हो जाने से पेट्रोल, डीजल और जरूरी सामान की किल्लत हो गई है। उत्तरकाशी में हर्षिल ट्रैक में लापता 6 ट्रैकर्स का कोई पता नहीं चला है, जबकि इनके साथ के 7 लोगों के शव मिल चुके हैं। कुमाऊं मंडल में अब तक 64 शव बरामद हो चुके हैं। लापता 11 की तलाश की जा रही है। आयुक्त सुशील कुमार ने बताया कि अब पुनर्निर्माण के काम में सरकारी विभाग जुट गए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी सुबह ही हेलीकॉप्टर से आपदा प्रभावितों से मिलने चले गए। देहरादून में उन्होंने कहा कि सभी जिलाधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए गए हैं। वह खुद मौके पर जा रहे हैं। सड़कें खोली जा रही हैं ताकि रसद सप्लाई सामान्य हो सके। मुख्यमंत्री ने सेना और अर्धसैनिक बलों का आभार प्रकट किया कि आपदा में इनका सहयोग अतुलनीय है।
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