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महबूबा मुफ्ती, आर्यन खान और भारत में मुसलमान

WEB DESK by WEB DESK
Oct 14, 2021, 04:52 pm IST
in भारत, जम्‍मू एवं कश्‍मीर
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डॉ. निवेदिता शर्मा

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का कहना कि आर्यन खान (अभिनेता शाहरुख खान के बेटे) को इसलिए परेशान किया जा रहा है क्योंकि वह मुसलमान है। केंद्रीय एजेंसियां 23 साल के लड़के के पीछे इस वजह से पड़ी हैं क्योंकि उसका उपनाम खान है। बीजेपी के कोर वोट बैंक की इच्छाओं को पूरा करने के लिए मुसलमानों को निशाना बनाया जाता है।

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का कहना कि आर्यन खान (अभिनेता शाहरुख खान के बेटे) को इसलिए परेशान किया जा रहा है क्योंकि वह मुसलमान है। केंद्रीय एजेंसियां 23 साल के लड़के के पीछे इस वजह से पड़ी हैं क्योंकि उसका उपनाम खान है। बीजेपी के कोर वोट बैंक की इच्छाओं को पूरा करने के लिए मुसलमानों को निशाना बनाया जाता है। वास्तव में उनके इस भड़काऊ बयान ने आज यह सोचने पर विवश कर दिया है कि मुसलमानों को भ्रमित करने के लिए उनके बीच ऐसे नेता मौजूद हैं, फिर भारत को किसी बाहरी दुश्मन की आवश्यकता नहीं है।

महबूबा मुफ्ती ने सच पूछिए तो ऐसा कर भारत के संविधान और उसकी न्याय व्यवस्था का मजाक बनाया है। आश्चर्य है जिस देश ने उन्हें इतना सबकुछ दिया उसकी धर्मनिरपेक्षता पर वे प्रश्नचिन्ह खड़ा भी कैसे कर सकती हैं ? शायद वह भूल जाती हैं कि बहुसंख्यक हिन्दुओं के भारत में सबसे ज्यादा स्वतंत्रता एवं जन अधिकार तो अल्पसंख्यकों को ही दिए गए हैं, जितने की किसी अन्य देश में उन्हें नहीं मिले हैं, जहां बहुसंख्यक मुसलमान नहीं हैं। अच्छा होता वे आरोप लगाने के पहले यह भी देख लेतीं कि आर्यन खान अकेला नहीं है, जिस पर कानून का शिकंजा कसा है। उसके साथ जो अन्य जेल में हैं, वे मुसलमान नहीं धर्म से हिन्दू हैं। ध्यान रहे, भारत का कानून किसी के साथ नस्ल, जाति, धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करता। अपराधी की कोई जाति या धर्म नहीं होता, वह अपराधी होता है, इसलिए कानून का उल्लंघन किया है तो सजा मिलेगी ही। कम से कम एक राज्य की जो मुख्यमंत्री रह चुकी हैं ऐसी महबूबा मुफ्ती को इतना तो पता ही होना चाहिए।

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शाहरूख बॉलीवुड के किंग खान केवल मुस्लिम दर्शकों की वजह से नहीं बने

गौर करें, दिल्ली की तंग गलियों से निकला मध्यमवर्गीय परिवार का एक लड़का बॉलीवुड का किंग खान बन जाता है, यह केवल मुस्लिम दर्शकों की वजह से संभव नहीं हुआ है। आरोप लगाने के पहले मुफ्ती को यह भी ध्यान रखना था। फिर ऐसा पहली बार नहीं है कि बॉलीवुड में किसी की गिरफ्तारी इस तरह से हुई है, इसके पहले भी संजय दत्त जेल की यात्रा करके आ चुके हैं, उनके नाम के पीछे खान नहीं था। अभी हाल ही में सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एसीबी) द्वारा सूरज, भारती, हर्ष लिम्बाचिया, रिया चक्रवर्ती, शोभित चक्रवर्ती को गिरफ्तार किया गया था। भाजपा के बड़े नेता रहे प्रमोद महाजन के बेटे राहुल महाजन को भी ड्रग्स लेने के आरोप में जेल जाना पड़ा था। ऐसे अनेक मामले हैं जहां हिंदू आरोपी बने हैं।

जयेंद्र सरस्वती मामले में मुफ्ती की प्रतक्रिया क्यों नहीं आई
एक केस यह भी है, जिसमें कि हिन्दू सनातन धर्म के ध्वजवाहक शंकराचार्य पर आरोप लगता है। 11 नवंबर 2004 को कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को एक हत्याकांड की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया जाता है। 27 नवंबर 2013 को इस मामले नियुक्त किए गए मुख्य जज सीएस मुरुगन ने अपना फैसला देते हुए शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती सहित सभी 24 आरोपियों को बरी कर दिया था। जयेंद्र सरस्वती को शंकर रमन हत्याकांड से नौ साल बाद बरी किया गया था। शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती अपराधी नहीं थे, फिर भी उन्होंने दो महीने जेल में बिताए। तब किसी मुफ्ती, नवाब मलिक की प्रतिक्रिया क्यों नहीं आई थी, क्योंकि हिंदू भारत का बहुसंख्यक वर्ग है और संविधान तथा न्यायपालिका के सम्मान की जिम्मेदारी उसी ने ले रखी है ? जबकि यहां तो आर्यन खान के जेल में पहुंचने केवल तीन दिन बाद से ही अल्लाह हू अकबर का कार्ड खेला जाने लगा है।

मजहबी रंजिश का रूप देना ठीक नहीं
यहां समझने की बात यह है कि जब किसी को योजना से आरोपित बना दिया जाए तब भी कानून उसकी तह में जाता है और सच का पता लगाने में जितना वक्त लग सकता है उतना समय लगाता ही है। फिर आर्यन के मामले में तो यह पूरी तरह से सच है कि जब तीन अक्टूबर को गोवा जा रहे क्रूज पर छापेमारी के दौरान एनसीबी ने प्रतिबंधित पदार्थ ड्रग्स बरामद किया तब वे वहां थे, उनके साथ मुनमुन धमेचा और अरबाज मर्चेंट मौजूद थे। इस मामले में दूसरे दिन पांच अन्य आरोपियों को भी अरेस्ट किया गया। सभी को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि आर्यन को घर से नहीं मुंबई से गोवा जा रहे क्रूज शिप से गिरफ्तार किया था, ऐसे में इस पूरे मामले को मजहबी रंजिश का रूप देने की कोशिश करना ठीक नहीं है। फिर वह चाहे महबूबा मुफ्ती हों या राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नवाब मलिक।

अल्पसंख्यक होने का मतलब यह नहीं कि गलत करें
सरकार किसी की भी हो, पर यह ध्यान रहना चाहिए कि प्रशासनिक तंत्र और न्यायपालिका अपना कार्य करने के लिए स्वतंत्र हैं। अल्पसंख्यक होने का मतलब यह नहीं है कि आप गलत करें और सहानुभूति का दांव खेलकर आपको छोड़ दिया जाए। भारत में किसी को भी इस तरह से इजाजत नहीं दी जा सकती कि वे किसी भी सामान्य मामले का सांप्रदायिकरण करें। सच पूछा जाए तो यहां महबूबा मुफ्ती और नवाब मलिक के इस तरह के बयान कश्मीर घाटी में हिंदुओं के पहचान पत्र देखकर उन को मौत के घाट उतार देने जैसी विचारधारा के पक्ष को मजबूत करते दिखाई देते हैं। आज तक आतंकवादियों के कारण कश्मीर से केवल हिंदू विस्थापित हुए, मुस्लिम को तो वहां किसी प्रकार का डर नहीं लगता। एक धर्म विशेष की संख्या लगातार बढ़ रही है और एक धर्म के लोगों का वहां से पलायन हो रहा है। महबूबा मुफ्ती यहां क्यों नहीं कहतीं कि कश्मीर घाटी में हिन्दुओं पर मुसलमान अत्याचार कर रहे हैं, क्योंकि वे इस राज्य में अल्पसंख्यक हैं। पता है, महबूबा ऐसा कभी नहीं बोलेंगी, क्योंकि उन्हें मानवीयता की बात नहीं, उन्हें तो हिन्दू-मुसलमान करके अपना राजनीतिक लाभ लेना है।

हिंदू ही अग्निपरीक्षा क्यों दें
आज यह यक्ष प्रश्न है, स्वाधीनता के संघर्ष के समय से लेकर आज तक भाईचारा बनाए रखने के लिए हिंदू ही अग्निपरीक्षा क्यों दें ? पश्चिम बंगाल में मोहर्रम और दुर्गा विसर्जन का एक ही दिन होने पर दुर्गा विसर्जन को रोक देने का सरकार का आदेश क्यों ? केवल मुस्लिमों को खुश करने के लिए। पर आज तो बहुसंख्यक बनाम अल्पसंख्यक का कार्ड खेलकर कार्यपालिका और न्यायपालिका पर दबाव बनाया जाना तो वास्तव में सत्ता पाने के लालच की पराकाष्ठा है। यह एक तरह से अप्रत्यक्ष रूप से धमकाना और ब्लैकमेलिंग भी है। यदि आने वाले समय में इस मामले में कहीं प्रदर्शन के दौरान दुर्घटना घटती है तो इसका जिम्मेदार नवाब मलिक और महबूबा मुफ्ती जैसे लोगों को ठहराया जाना चाहिए। क्योंकि ऐसे ही लोग अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए किसी सामान्य से प्रकरण को भी हिन्दू-मुस्लिम बना देते हैं।

भारत की बेहतरी के लिए काम करें युवा
इस पूरे प्रकरण में शाहरुख का यह कहना कि वे शर्मिंदा हैं जो वह अपने बेटे को सही तरीके से परवरिश नहीं दे सके, यह दर्शाता है कि उनका बेटा जहां मिला वहां उसे नहीं होना चाहिए था और वह उसे सुधारने का प्रयत्न करेंगे। इसके पहले भी राज बब्बर का बेटा प्रतीक बब्बर, फिरोज खान का बेटा फरदीन खान, संजय खान का दामाद डीजे अकील, विजय राज आदि भी ड्रग्स लेते हुए पकड़े गए थे, लेकिन इन सभी ने अपनी गलती को राजनीतिक रंग देने की जगह इसे सुधारने के लिए प्रयास किए। नशामुक्ति केंद्र जाकर नशे से मुक्ति पाई और अपनी नई जिंदगी शुरू की। बेहतर होता कि राजनीतिक हस्तियां जो शासन चलाती हैं, वे सभी आर्यन जैसे अनेक नौजवानों को नशे के दलदल से बाहर निकालने के लिए नीतियां बनाएं, जिससे यह नौजवान ना केवल अपना भविष्य बनाएं बल्कि युवा ऊर्जा का उपयोग भारत के बेहतर कल के लिए भी करें ।

(लेखिका किशोर न्याय बाल कल्याण समिति की पूर्व सदस्य हैं।)

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