हरियाणा सरकार ने एक बहुत ही प्रशंसनीय निर्णय लिया है। 54 साल पहले हरियाणा की तत्कालीन सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को राजनीतिक संगठन मानकर सरकारी कर्मचारियों को उसकी गतिविधियों में भाग लेने से मना कर दिया था। अब मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सरकार ने इस प्रतिबंध को हटा लिया है।
हरियाणा सरकार ने निर्णय लिया है कि अब राज्य के सरकारी कर्मचारी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों में भाग ले सकते हैं। उल्लेखनीय है कि हरियाणा में अनेक वर्षों से सरकारी क्षेत्र में कार्यरत लोगों पर प्रतिबंध था कि वे संघ के कार्यक्रमों में भाग नहीं ले सकते हैं। अब हरियाणा सरकार ने संघ को गैर—राजनीतिक संगठन मानकर इस प्रतिबंध को हटा लिया है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले की सरकारों ने संघ को राजनीतिक संगठन मानकर उसके स्वयंसेवकों पर प्रतिबंध लगाया था। हालांकि राज्य में राजनीति में कर्मचारियों के भाग लेने, प्रचार करने और वोट मांगने पर अब भी रोक रहेगी।
मुख्य सचिव कार्यालय की ओर से सामान्य प्रशासन विभाग ने 11 अक्तूबर को इस संबंध में सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों, बोर्ड-निगमों के मुख्य प्रशासकों, प्रबंध निदेशकों, मंडलायुक्तों, विश्वविद्यालयों के रजिस्ट्रार और पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार को निर्देश जारी कर दिए हैं। इसमें हरियाणा सिविल सेवा (सरकारी कर्मचारी आचरण) नियम, 2016 के नियम संख्या 9 और 10 की अनुपालना कड़ाई से सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है। इस पत्र के अनुसार अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हरियाणा में प्रतिबंधित संगठन नहीं है। इसके साथ ही सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के बारे में स्पष्ट कहा है कि राजनीतिक गतिविधियों में उनकी संलिप्तता और सक्रियता स्वीकार्य नहीं है। वे किसी राजनीतिक संगठन के साथ नहीं जुड़ सकते, न ही घर पर किसी ऐसे दल, संगठन या मोर्चे का झंडा लगा सकेंगे जो राजनीति कर रहा हो। इसके साथ ही न तो किसी दल और न ही संगठन को चंदा दे सकेंगे। ऐसे मामलों में संलिप्तता पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि 11 जनवरी, 1967 को तत्कालीन हरियाणा सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को संघ की गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रतिबंधित कर दिया था। पंजाब सरकारी कर्मचारी (आचार) नियमावली, 1966 (तब हरियाणा पर भी लागू) के नियम 5 (1) के अंतर्गत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को राजनीतिक संगठन माना गया था। इसकी गतिविधियों में भाग लेने पर सरकारी कर्मचरियों के विरुद्ध नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए थे। 4 मार्च, 1970 को एक अन्य सरकारी आदेश में कार्रवाई करने पर रोक लगा दी गई, चूंकि मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित था। इसके बाद 2 अप्रैल, 1980 को एक अन्य सरकारी पत्र में स्पष्ट किया गया कि मामला लंबित होने के बावजूद हरियाणा में संघ की गतिविधियों में भाग लेने पर सरकारी कर्मचारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
टिप्पणियाँ