'जीते-जीते रक्तदान, जाते-जाते नेत्रदान' के नारे के साथ नेत्र कुंभ का हुआ शुभारंभ
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‘जीते-जीते रक्तदान, जाते-जाते नेत्रदान’ के नारे के साथ नेत्र कुंभ का हुआ शुभारंभ

by WEB DESK
Mar 16, 2021, 03:36 pm IST
in भारत
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गत दिनों हरिद्वार में सक्षम द्वारा नेत्र कुंभ का शुभारंभ हुआ। इस दौरान उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरत सिंह रावत एवं संत—महात्माओं ने कुंभ की महत्ता एवं सेवा भाव पर विचार व्यक्त किए।

कुंभ 12 साल में एक बार आता है. यह केवल प्रदेश ही नहीं, देश और दुनिया का कुंभ है. इसको भव्य बनाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है. कोविड की बाध्यता है, लेकिन यह रुकावट नहीं बनेगा. हमें किसी को कुंभ में स्नान से वंचित नहीं रखना है. उक्त बात उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कही। वे गत दिनों हरिद्वार में सक्षम की ओर से राजकीय ऋषिकुल आयुर्वेदिक महाविद्यालय एवं चिकित्सालय स्थित मदन मोहन मालवीय सभागार में आयोजित नेत्र कुंभ के उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि हम दिव्य—भव्य कुंभ का आयोजन करने को तत्पर हैं. इसलिए शाही स्नान के दिन संत समाज पर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा कर उनका अभिनंदन किया गया. हरकी पैड़ी पर संतजनों और मां गंगा का आशीर्वाद लिया. उनके बेरोकटोक कुंभ स्नान के संदेश से हरिद्वार में लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने स्नान किया. इस कदम से साधु—संत, आमजन के साथ ही व्यापारी वर्ग भी खुश है. श्री रावत ने कहा कि कोविड गाइडलाइंस का पालन भी हमें करना है। पर कुभ में आने वाले श्रद्धालुओं को कोई दिक्कत न हो, इसलिए बसों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी. विशेष ट्रेनों के लिए भी प्रयास किया जाएगा। क्योंकि मेरा मानना है कि नर सेवा ही नारायण सेवा है. द्वापर, त्रेता युग में जिस प्रकार देवताओं की जय जयकार होती थी, आने वाले समय में पूरे विश्व में भारत की जय जयकार होगी।

इस अवसर पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने अपने आशीर्वचन में कहा कि ऐसे सेवाभाव के कार्यों में सहयोग करना भी एक पुनीत कार्य है. हमें इस दुनिया से जाने से पहले नेत्रदान का पुण्य कार्य अवश्य करना चाहिए. कुंभ को लेकर सरकार को आगे भी आस्था के इस कुंभ को बेहतर करने के लिए कार्य करना चाहिए. जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी ने कहा कि गीता की शुरुआत धृतराष्ट्र से हुई. संजय को दिव्य दृष्टि प्राप्त थी. उन्होंने कहा कि हम जो कुछ करते हैं, वही हमें देखने को मिलता है. दुनिया देखने के लिए नेत्र ज्योति बहुत महत्वपूर्ण है.

पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि सेवा परम धर्म है. वह सक्षम संस्थान के इस सेवा कार्य को नमन करते हैं. नेत्र विकार को दूर करने के क्षेत्र में हंस फाउंडेशन की माता मंगला जी का कार्य भी सराहनीय है.पतंजलि की ओर से भी ऐसे नेक कार्य में पूरा सहयोग मिलेगा.

सक्षम के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री दयाल सिंह पंवार ने कहा कि नेत्र कुंभ का नारा जीते जीते रक्तदान, जाते जाते नेत्रदान है. हंस फाउंडेशन की माता मंगला ने कहा कि हंस फाउंडेशन नेत्र कुंभ में पूरा सहयोग प्रदान करेगा. हरिद्वार में फाउंडेशन की दो यूनिट नेत्र रोगियों की सेवा कर रही है. नेत्र कुंभ में आने वाले नेत्रहीनों को दृष्टि का प्रसाद मिलेगा.

वीडियो के माध्यम से नेत्र कुंभ के आयोजन के उद्देश्य और सक्षम संस्थान के कार्य पर प्रकाश डाला गया. मंच संचालन अमित चौहान ने किया.

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