श्रद्धाञ्जलि- शुचिता, प्रामाणिकता और पुरुषार्थ के प्रतीक थे रमेश जी
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श्रद्धाञ्जलि- शुचिता, प्रामाणिकता और पुरुषार्थ के प्रतीक थे रमेश जी

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Nov 27, 2017, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 27 Nov 2017 11:11:11

 

स्व. रमेश प्रकाश शर्मा 2 नवंबर, 1933— 21 नवंबर, 2017

गत 21 नवंबर को नई दिल्ली में राष्टÑीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता एवं प्रसिद्ध समाजसेवी श्री रमेश प्रकाश शर्मा का देहावसान हो गया। वे 84 वर्ष के थे। स्व. रमेश जी बचपन से ही संघ की राष्टÑभावी विचारधारा से जुड़ गए थे और उन्होंने संगठन में एक आदर्श कार्यकर्ता की छवि  प्राप्त की थी। उनका जन्म अमृतसर में हुआ था जहां उनके पिताजी उस समय नौकरी में तैनात थे, हालांकि उनका परिवार पाकिस्तान के शेखुपुरा में रहता था। विभाजन के बाद  उनका परिवार हरियाणा के करनाल में आकर बस गया। इस दौरान वह करनाल जिला प्रचारक सोहन सिंह जी के संपर्क में आए। उन्होंने कुछ समय के लिए संघ की योजना से भारतीय जनसंघ में हरियाणा प्रांत के संगठन मंत्री के रूप में कार्य भी संभाला। इसके बाद दिल्ली प्रांत कार्यवाह (सायंकाल) के दायित्व का निर्वहन किया। कालांतर में अनेक दायित्वों का निर्वहन करते हुए वे पहले उत्तरी क्षेत्र के कार्यवाह रहे और बाद में दिल्ली प्रांत के संघचालक के रूप में कार्य करते रहे। एक सामान्य स्वयंसेवक से लेकर अखिल भारतीय स्तर के कार्यकर्ताओं से उनका समान स्नेह रहा। उन्होंने सहस्त्रों जीवनों को अपने जीवनकाल में अपने विचार, व्यवहार एवं आदर्श जीवन से प्रभावित किया।

आज दिल्ली में जो वरिष्ठ कार्यकर्ता काम कर रहे हैं, उनमें से अधिकतर लोगों को जब वे शिशु थे तब से उन्होंने अपने संपर्क में लेकर पाला-पोसा, उनको ध्येय निष्ठा देकर जीवन अनुशासित किया और संघ का समर्पित कार्यकर्ता बनाया। अपने उत्तर क्षेत्र के काम में और विशेषकर दिल्ली क्षेत्र के काम में उनके हाथ से जो कार्यकर्ता निर्माण हुए और ध्येयवाद निर्माण हुआ, वह संघ की अमूल्य निधि है।           

    —आलोक कुमार, सह संघचालक, दिल्ली प्रांत, रा.स्व.संघ

वे अर्थशास्त्र के एक अच्छे अध्यापक थे। दिल्ली आने के बाद उन्होंने अध्यापन कार्य दोबारा प्रारंभ किया। हिंदू शिक्षा समिति के अंतर्गत चलने वाले विद्यालय में वे अर्थशास्त्र के अध्यापक रहे। जहां एक ओर शिक्षक होने के नाते उन्होंने निर्बाध रूप से विद्यालय में अपने छात्रों को उत्कृष्टता की ओर प्रेरित किया, वहीं संघकार्य भी सहजता और उद्यमशीलता से करते रहे। साथ ही उन्होंने निदेशक के तौर पर 1 सितंबर, 2000 से 10 सितंबर, 2010 तक भारत प्रकाशन (दिल्ली) लि. का मार्गदर्शन किया।
समाज कार्य के लिए उन्होंने न जाने कितने ही बलिदान दिए, कितने ही कष्ट सहे। आपात्काल के दौरान भूमिगत रहते हुए उन्होंने सत्याग्रह के लिए कई कार्यकर्ताओं को तैयार किया। संघ के उदारवादी चरित्र के प्रकट स्वरूप थे रमेश प्रकाश जी। वे गंभीर से गंभीर समस्याओं को अपने सरल स्वभाव और गहरी समझ-बूझ से सुलझा लेते थे। आत्मिक शुचिता, प्रामाणिकता और पुरुषार्थ के प्रतीक रमेश जी प्रसिद्धि से सदैव दूर रहे। आज भी दिल्ली, हरियाणा और उत्तर भारत के सैकड़ों स्वयंसेवकों के मन में स्व. रमेश जी की निश्छल मुस्कान, प्रेममयी आंखें और गरिमामयी उपस्थिति किसी स्वर्णाक्षर के रूप में अंकित है और आगे भी रहेगी। एक बैठक के दौरान स्व़ अशोक सिंघल जी ने उनकी प्रशंसा करते हुए कहा था— ‘रमेश प्रकाश जी जैसे कार्यकर्ता देवतुल्य हैं।’ स्व. रमेश प्रकाश जी का अंतिम संस्कार दिल्ली के निगम बोध घाट पर हुआ। उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए विभिन्न संगठनों के वरिष्ठ कार्यकर्ता और स्वयंसेवक उपस्थित रहे।       प्रतिनिधि

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