देवभाषा - संस्कृत से खुलते हैं नूतन द्वार
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

देवभाषा – संस्कृत से खुलते हैं नूतन द्वार

by
Aug 28, 2017, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 28 Aug 2017 13:14:19

समाज में एक भ्रम फैला हुआ है कि संस्कृत पढ़कर छात्र अर्थार्जन नहीं कर सकता। उसे केवल शिक्षक बनना पड़ता है या पुरोहित। ऐसी धारणा रखने वालों से मेरा प्रश्न है कि बीए, बी.कॉम, बीएससी करने वालों के लिए कौन-सी नौकरी बाट जोह रही है? हमारे देश में स्नातक को आधारभूत उपाधि माना जाता है। इसके बाद विद्यार्थी कोई भी प्रतियोगी परीक्षा उत्तीर्ण कर नौकरी पा सकते हैं। संस्कृत से स्नातक लोगों के लिए किस प्रतियोगी परीक्षा के द्वार बंद हैं? उत्तर आएगा, किसी का नहीं। स्नातक के बाद अधिकतर छात्र प्रबंधन शास्त्र (एमबीए) पढ़ते हैं। क्या वे संस्कृत से प्रबंधन शास्त्र की पढ़ाई नहीं कर सकते? 
संस्कृत के विद्यार्थी यूपीएससी परीक्षा में सफल होते हैं। चोटीपुरा गुरुकुल की कन्या यूपीएससी में तृतीय स्थान पर आई। लखनऊ के एक संस्कृत विद्वान के परिवार का युवक इस वर्ष आईएएस बना। मेरा अनुभव है कि बहुत-से छात्र यूपीएससी में संस्कृत लेते हैं। आईआईटी या अन्य अभियंत्रण शास्त्र के विद्यार्थी भी आईएएस बनने के लिए संस्कृत चुनते हैं और संभाषण सीखने के लिए संस्कृत भारती के पास आते हैं। आश्चर्य तब हुआ जब एक मुस्लिम बी.टेक छात्रा संस्कृत सीखने संस्कृत भारती की ओर से संचालित संवादशाला में पहुंची। वहां 14 दिन का आवासीय शिविर होता है। वह यूपीएससी परीक्षा देने वाली थी। विश्वभर में योग का प्रचलन बढ़ रहा है, यह सर्वविदित है। किन्तु अधिकांश लोगों को केवल आसन और प्राणायाम का कुछ हिस्सा ही ज्ञात है। अब कुछ लोग (विशेषकर विदेशी) अष्टांग योग की ओर उन्मुख होने लगे हैं। उन्हें पढ़ाएगा कौन? जो योग दर्शन का ज्ञाता है, वही न। क्या विश्व की जिज्ञासा शांत करने के लिए हमारे पास योग दर्शन के पर्याप्त शिक्षक हैं? इस वर्ष विदेश मंत्रालय द्वारा पहला प्रयास किया गया। योग दिवस के निमित्त भारत से योग दर्शन के कुछ विद्वानों को विदेशों में भेजा गया। यह मांग बढ़ने वाली है। विश्व के कुछ ही देश अंग्रेजी समझते हैं। शेष अपनी-अपनी भाषा में पढ़ते हैं, जैसे- जर्मन, फ्रेंच, रशियन, जापानी, चीनी, हिब्रू इत्यादि। इसलिए इन देशों मे योग दर्शन पढ़ाना है तो पहले संस्कृत पढ़ानी होगी। कारण, अंग्रेजी से काम नहीं चलेगा। यह संभव नहीं कि दार्शनिक विश्व की सभी भाषाएं पढ़े। वैसे भी योगशास्त्र, भाष्य ग्रन्थ, टीका
ग्रन्थ इत्यादि पढ़ने के लिए संस्कृत जानना अनिवार्य है।
यही हाल आयुर्वेद का है। विदेशों में आयुर्वेद औषधियों की मांग लगातार बढ़ रही है। कुछ समय पश्चात आयुर्वेद पढ़ने के लिए विदेशी छात्र प्रवृत्त होंगे। तब आयुर्वेद के ग्रंथों को पढ़ने के लिए संस्कृत का ज्ञान आवश्यक हो जाएगा। जो भारतीय शास्त्र पढ़ने के लिए संस्कृत जानना अनिवार्य है। विदेशियों की जैसी जिज्ञासु प्रवृत्ति है, वे अवश्य संस्कृत पढ़ेंगे। तब पढ़ाने वाले शिक्षकों की वैश्विक मांग होगी। जैसा कि मैंने पूर्व में लिखा है, संस्कृत को अंग्रेजी माध्यम से नहीं सिखाया जा सकता। अत: अनिवार्य रूप से संस्कृत माध्यम में पढ़ाना पड़ेगा। क्या भारत के शिक्षक इसके लिए तैयार हैं? यह मेरी कल्पना का विलास भर नहीं है। एक वर्ष पूर्व संस्कृत भारती के पास एक स्पेनिश वास्तुविद् आई। उसे भारतीय वास्तुशिल्प पढ़ना था। उसे यह समझ में आ गया कि भारतीय वास्तुशिल्प पढ़ने के लिए संस्कृत अनिवार्य है। उसने संस्कृत भारती के बेंगलुरु कार्यालय में रह कर संस्कृत सीखी, फिर भारतीय वास्तुशिल्प पर अपना प्रबंध लिखा। यह हमारा दुर्भाग्य है कि भारतीय अपनी विद्या सीखने के लिए तत्पर नहीं हैं। मौजूदा केंद्र सरकार ने योजनापूर्वक व्यावसायिक महाविद्यालयों में ऐच्छिक विषय के रूप में संस्कृत लाने का प्रयास प्रारंभ किया है। करीब दो सौ महाविद्यालय जहां संस्कृत पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं है, वहां सरकार ने प्राध्यापकों को भेजा है। इच्छुक छात्र एवं प्राध्यापक संस्कृत की कक्षाओं मे बैठते हैं।
विद्यालयी शिक्षा में सर्वाधिक शिक्षक अंग्रेजी के हैं। संस्कृत का स्थान इसके बाद आता है। उच्च शिक्षा में संस्कृत प्राध्यापकों की संख्या सर्वाधिक है, क्योंकि सामान्य महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों मे संस्कृत की पढ़ाई होती है। इसके अलावा, 15 संस्कृत विश्वविद्यालय हैं। इतने विश्वविद्यालय किसी विषय के नहीं हैं। हर संस्कृत विश्वविद्यालय में कम से कम साहित्य, व्याकरण, दर्शन, वेद, ज्योतिष एवं शिक्षाशास्त्र जैसे विभाग होते हैं। हर विभाग में आचार्य, सह आचार्य, सहायक आचार्य पद सृजित किए जाते हैं, जिससे महाविद्यालयी प्राध्यापकों की संख्या बढ़
जाती है।  जहां तक पुरोहितों का प्रश्न है, वे 8 वर्ष की अवस्था मंे गुरुकुल में दाखिला लेते हैं और 6 से 12 वर्ष तक वेदाध्ययन कर पौरोहित्य करने लगते हैं। समाज में पुरोहितों की आवश्यकता अधिक होने के कारण वैदिकों को 14वें वर्ष से ही धन दक्षिणा मिलने लगती है। देश में ऐसी कौन-सी पढ़ाई है जो उम्र के 14वें वर्ष से ही धन देने लगे? इसके अलावा, उन्हें भरपूर सम्मान भी मिलता है। ज्योतिषी भी बिना किसी पूंजी के व्यवसाय आरंभ करता है और पर्याप्त धन कमाता है। अत: संस्कृत या वेद के विद्यार्थी अन्य विषयों की अपेक्षा कम बेरोजगार हंै। संस्कृत को आत्मसात करने से शुद्ध लिखना या बोलना आएगा। इसलिए संस्कृत के अध्ययन से अर्थार्जन कैसे होगा, लोग इस चिंता को त्यागें और अधिक संख्या में संस्कृत सीखें।  -श्रीश देवपुजारी
(लेखक संस्कृत भारती के  अ.भा. मंत्री हैं)

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने बसाया उन्हीं के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिल वुमन का छलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने बसाया उन्हीं के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिल वुमन का छलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

नहीं हुआ कोई बलात्कार : IIM जोका पीड़िता के पिता ने किया रेप के आरोपों से इनकार, कहा- ‘बेटी ठीक, वह आराम कर रही है’

जगदीश टाइटलर (फाइल फोटो)

1984 दंगे : टाइटलर के खिलाफ गवाही दर्ज, गवाह ने कहा- ‘उसके उकसावे पर भीड़ ने गुरुद्वारा जलाया, 3 सिखों को मार डाला’

नेशनल हेराल्ड घोटाले में शिकंजा कस रहा सोनिया-राहुल पर

‘कांग्रेस ने दानदाताओं से की धोखाधड़ी’ : नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी का बड़ा खुलासा

700 साल पहले इब्न बतूता को मिला मुस्लिम जोगी

700 साल पहले ‘मंदिर’ में पहचान छिपाकर रहने वाला ‘मुस्लिम जोगी’ और इब्न बतूता

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies