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मशहूर पार्श्व गायक अभिजीत बॉलीवुड की उन हस्तियों में एक हैं, जो देशहित की बात करने से कभी चूकते नहीं। चाहे विदेश में हों या स्वदेश में, ट्विटर या अन्य किसी माध्यम से वे समय-समय पर अपनी राय रखते हैं। अपनी बेबाकी के लिए प्रसिद्ध अभिजीत से अरुण कुमार सिंह ने बातचीत की, प्रस्तुत हैं उसी बातचीत के मुख्य अंश –
अभी कुछ दिन पहले ही ट्विटर ने आपके अकाउंट् को बंद कर दिया था। क्या कारण था?
मैं चाहे विदेश में ही क्यों न रहूं, समय निकालकर भारत विरोधियों के खिलाफ जरूर लिखता हूं। ट्विटर पर मुझे रोजाना 10,000 से 20,000 लोग 'फॉलो' करते थे। इसलिए पिछले तीन महीने में ही ट्विटर पर मेरे लगभग 15 लाख फॉलोअर यानी, मेरे कहे-लिखे को देखने, पढ़ने और पसंद करने वाले हो गए थे। यह ट्विटर के संचालकों को पसंद नहीं आया, क्योंकि वे यहां भारत विरोधियों को बढ़ावा दे रहे हैं और 'जेएनयू गैंग' का समर्थन कर रहे हैं। मेरे फॉलोअर की संख्या बढ़ने से उन्हें लगा कि यह तो उलटा हो रहा है। इसके बाद उन्होंने एक बहाना बनाकर मेरे अकाउंट को बंद कर दिया। एक बात और है कि ट्विटर पर मेरे नाम से कई फर्जी अकाउंट्स सक्रिय हैं। 'आई. एम. अभिजीत', 'दी नेशनलिस्ट अभिजीत' जैसे 24-25 फर्जी अकाउंट्स हैं। इन पर पहले तो अच्छी-अच्छी बातें की जाती हैं, लेकिन जैसे ही पता चलता है कि मेरा असली अकाउंट् कुछ और है तो फिर बदतमीजी शुरू हो जाती है। यह सब ट्विटर की ही चाल है। मेरे अधिकृत अकाउंट को बंद करके मेरे नाम से ही नकली ट्विटर हैंडल खोले गए हैं। ट्विटर फर्जी ट्विटर हैंडल को बंद नहीं कर रहा है, पर मेरे अधिकृत अकाउंट को बंद कर दिया गया। यह बहुत ही खतरनाक चाल है। इसे आप ट्विटर का घोटाला भी कह सकते हैं।
इसके लिए कभी आपने ट्विटर से शिकायत की?
मैं शिकायत क्यों करूं? ट्विटर का इतना बड़ा तंत्र है। वह सबकी पहचान कर सकता है। उसने पहचान की भी है, लेकिन ऐसे लोगों की पहचान की है, जो दिन-रात हम जैसों को गाली देते हैं। जो लोग हमें गाली दे रहे हैं, उनके विरुद्ध तो ट्विटर कुछ नहीं कर रहा है। लेकिन वह मेरे, परेश रावल, सोनू निगम जैसे लोगों के अकाउंट्स पर निगरानी रख रहा है। सोनू निगम को यह भनक पहले ही मिल गई थी कि ट्विटर उनका अकाउंट बंद कर देगा तो उन्होंने पहले ही उसे छोड़ दिया था। यदि मुझे भी पहले इसकी खबर लग जाती तो मैं भी खुद ही ट्विटर को अलविदा कह देता।
…तो क्या भारत में ट्विटर को बंद कर देना चहिए?
नहीं, इसके प्रबंधन को बदलने की जरूरत है। अपनी बात को करोड़ों लोगों तक पहुंचाने का एक बहुत बड़ा जरिया है ट्विटर। लेकिन दुर्भाग्य से इन दिनों ट्विटर का सबसे ज्यादा फायदा हारे हुए राजनीतिक दल, कम्युनिस्ट, नक्सली, हिंदुत्व विरोधी और भारत का हित नहीं चाहने वाले लोग कर रहे हैं। इन दिनों यही लोग ट्विटर को चला भी रहे हैं, जबकि उसके विकास में राष्ट्रवादियों का बहुत बड़ा योगदान है। अब देश-विरोधी तत्व कह रहे हैं कि मैं देश को भड़का रहा हूं, बांट रहा हंू। इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि मैं देश को राष्ट्रवादी और देश-विरोधी दो भागों में बांट रहा हूं। इसको वे लोग बांटना कहते हैं तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। देश-विरोधी लोग तो एकजुट हो गए हैं, पर राष्ट्रवादी लोग बिखरे हुए हैं। मैं अपने स्तर पर राष्ट्रवादियों को एकजुट करने में लगा हूं। इसके लिए मैंने अपनी साख और व्यवसाय को भी दांव पर लगा रखा है। ट्विटर पर मैं जब देश-विरोधी बातें पढ़ता हंू तो दंग रह जाता हूं। अरुधंति राय, प्रशांत भूषण जैसे लोग कहते हैं कि कश्मीर भारत का अंग नहीं है। उनके जैसे अनेक लोग दिनभर प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) को बुरा-भला कहते रहते हैं। मैं पहली बार देख रहा हूं कि एक राष्ट्रवादी प्रधानमंत्री बना है। इस राष्ट्रवादी खेमे में हिंदू, मुसलमान, सिख, ईसाई सभी वर्ग के लोग शामिल हैं। देश-विरोधी तत्व यह सहन नहीं कर पा रहे हैं। मैं तो यहां तक कहना चाहूंगा कि वर्तमान प्रधानमंत्री और दूसरे राष्ट्रवादियों के लिए अपशब्द देने के लिए बहुत लोग कई संगठनों से पैसा लेते हैं। यही लोग कश्मीर में पत्थरबाजों के समर्थन में और सेना के विरुद्ध लिखते हैं, बोलते हैं। देश को पाकिस्तान से उतना खतरा नहीं है, जितना कि यहां रह रहे पाकिस्तान-भक्तों से। मैं इन लोगों के विरुद्ध लिखता और बोलता रहा हूं। मेरे जैसे लोग (जिनके पास न तो नाम की कमी है, न काम की) कम हैं, जो देश के बारे में सोच रहे हैं। मुझे भी कुछ तथाकथित लोग कहते हैं कि अरे, तुम क्या कर रहो? तुम तो कलाकार हो, कला की बात करो। देश और राजनीति की बात करने के लिए बहुत लोग हैं। इसके बावजूद मैं देशहित में आवाज उठा रहा हूं। मैं यह इसलिए कर रहा हूं, क्योंकि इस देश का बेटा होने के नाते यह मेरा कर्तव्य है।
अलगाववादी नेता कश्मीरी युवाओं को पत्थरबाजी के लिए उकसा रहे हैं, फिर भी कुछ बुद्धिजीवी उनके यहां जा रहे हैं, उनसे बातचीत करने को कह रहे हैं। आप क्या कहना चाहेंगे?
बिना युद्ध किए हमारे सैनिक शहीद हो रहे हैं और आम लोग मारे जा रहे हैं। यह किसी युद्ध से भी बदतर स्थिति है। मेरा मानना है कि एक पल के लिए पाकिस्तानी फौजियों के खिलाफ कार्रवाई मत करो, लेकिन कश्मीरी अलगाववादियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवा करो। उन्हें कोई रियायत मत दो। इतने से भी बात न बने तो एक दिन कह दो कि सरकार तुम्हें कोई सुरक्षा नहीं देगी। देखो, अगले दिन पत्थरबाजी बंद होती है या नहीं। लेकिन ऐसा होता नहीं। अलगाववादियों को सुरक्षा दी गई है। उन्हें सुरक्षा की क्या जरूरत है? सुरक्षा की जरूरत तो हम जैसे लोगों को है, जिन्हें हर तरीके से धमकी दी जा रही है। मैंने कई बार अपनी सुरक्षा के लिए सरकार से कहा, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ।
आप बंगाल से हैं। दुनिया में बंगाल की ख्याति दुर्गा पूजा के लिए है, लेकिन अब वहां कई स्थानों पर दुर्गा पूजा नहीं होने दी जा रही। इस पर क्या कहना चाहेंगे?
मैं मुंबई के लोखंडवाला में बहुत ही भव्यता के साथ दुर्गा पूजा करवाता हूं। इतनी भव्यता से बंगाल में भी पूजा नहीं होती। दुर्गा पूजा में बंगाल से हजारों लोग मुंबई आने लगे हैं। शायद यह बात मुंबई के कुछ लोगों को पसंद नहीं आ रही है। इसलिए पूजा के समय कई बार मेरे खिलाफ साजिश हो चुकी है। मुझे बदनाम करने की कोशिश की गई है। इसके बावजूद मैं बंगाल में एक विशाल दुर्गा मंदिर बनवाना चाहता हूं, लेकिन वहां की स्थिति बहुत तेजी से बदल रही है। आप बंगाल में नया मंदिर नहीं बनवा सकते। हिंदू-बहुल किसी गांव या मुहल्ले में दो-चार मुसलमान परिवार भी हैं तो वे मंदिर बनने नहीं देते। किसी न किसी बहाने वे लोग आपत्ति करेंगे और प्रशासन मंदिर बनने से रोक देगा। प्रशासन ने बहुत पुराने कई पूजा पंडालों को पैसा देना बंद कर दिया है। इसलिए अनेक स्थानों पर दुर्गा पूजा बंद हो चुकी है। मैंने कई बार मंदिर बनवाने का प्रयास किया, लेकिन हर बार कोई अड़चन पैदा कर दी जाती है बंगाल के बड़े-बड़े हिंदू नेता दुर्गा पूजा में नहीं जाते, लेकिन इफ्तार पार्टी में खूब जाते हैं। यहां तक कि किसी नमाज में भी पहुंच जाते हैं। ऐसे में वहां मंदिर कौन बनने देगा?
क्या अपको लगता है कि बॉलीवुड में खेमेबंदी है?
बिल्कुल है। बॉलीवुड में 99 प्रतिशत लोग सेकुलर और पाकिस्तान के समर्थक हैं। उन्हें डर लगता है कि यदि वे सेकुलर नहीं रहेंगे तो एक तबका उनकी फिल्में नहीं देखेगा। बॉलीवुड सबसे ज्यादा सेकुलरवाद फैलाता है। बॉलीवुड में जो देशभक्ति के नाम पर पैसा कमाते हैं, वे लोग बड़े सेकुलर हैं। उदाहरण के लिए, अनिल शर्मा को ले सकते हैं। उन्होंने 'गदर' फिल्म बनाई थी। गदर जैसी पाकिस्तान को ललकारने वाली फिल्म अब तक नहीं बनी है। लेकिन जब पाकिस्तान के कलाकारों को भारत से बाहर करने की बात आई तो वे विरोध में खड़े हो गए। इसका मतलब यह है कि ये लोग पैसा कमाने के लिए देशभक्ति की फिल्में बनाते हैं। बॉलीवुड में 99 प्रतिशत लोग व्यावसायिक दिमाग वाले हैं। अपने बच्चों के साथ कुछ गलत व्यवहार हो जाने के बावजूद ये लोग उन्हें बॉलीवुड में काम करने के लिए कहते हैं। इन लोगों के लिए पैसे के सामने अपनी संस्कृति, धर्म, देश सब बेकार है। पाकिस्तान की शह पर हमारे देश में आतंकवाद जारी है। देश के लिए आएदिन हमारे सैनिक शहीद हो रहे हैं, लेकिन बॉलीवुड वालों के मुंह से उन शहीदों के लिए एक शब्द नहीं निकलता। पाकिस्तान के खिलाफ भी कोई नहीं बोलता। गिनती के तीन-चार लोग बोलते हैं। कोई क्रिकेटर भी कुछ नहीं बोलता है। वहीं पाकिस्तान के सितारे अपने देश के लिए खुलकर बोलते हैं। चाहे पाकिस्तान के अभिनेता हों, नेता हों, क्रिकेटर हों, सभी अपने देश के साथ खड़े हो जाते हैं और भारत के खिलाफ बोलते हैं। यहां तक कि जो पाकिस्तानी फिल्मी सितारे भारत में कमाते हैं, वे भी समय आने पर भारत के विरुद्ध और पाकिस्तान के पक्ष में बोलते हैं। पाकिस्तान के सितारे वास्तव में देशप्रेमी हैं। इस नाते मैं उनकी बहुत इज्जत करता हूं। वहीं भारत के सितारे अपने देश के हित में तो कभी बोलते नहीं, लेकिन पाकिस्तान के पक्ष में जरूर बोलते हैं। इनमें और पाकिस्तानियों में फर्क सिर्फ इतना है कि उनके पास भारतीय पासपोर्ट है।
सुनने में आता है कि बॉलीवुड के कुछ अभिनेता पाकिस्तान में कोई आपदा आने पर वहां के लोगों के लिए करोड़ों रुपए भेजते हैं, लेकिन अपने देश के लोगों के लिए वे ऐसा नहीं करते हैं। क्या यह सही है?
वे लोग भारतीयों के लिए भी पैसा देते हैं, लेकिन पाकिस्तान को पांच करोड़ रुपए देंगे, तो भारत में पांच लाख रुपए खर्च करेंगे। पांच करोड़ रु. देने से उन्हें पूरी दुनिया में एक वर्ग का समर्थन मिलता है और भारत में पांच लाख खर्च करने पर वे लोग खबरों में आ जाते हैं। मैं किसी का नाम नहीं लूंगा। लेकिन इस बात को सभी जानते हैं कि भारत के अनेक सितारों ने पाकिस्तानी नेता और पूर्व क्रिकेटर इमरान खान के लिए कई बार पैसों का इंतजाम किया है। यह काम अभी भी चल रहा है। वास्तव में वे लोग अपनी जेब से पैसा नहीं देते। इसके लिए किसी कार्यक्रम के जरिए पैसा इकट्ठा करते हैं।
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