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स्कूली पढ़ाई पूरी होने के बाद अधिकांश छात्र-छात्राएं दो धाराओं में से एक की तरफ बढ़ते हैं-इंजीनियरिंग या मेडिकल। लेकिन बहुत से ऐसे भी होते हैं जिन्हें इन दोनों में से किसी में या तो रुचि नहीं होती या दाखिला नहीं मिल पाता। ऐसे छात्रों के पास भी आज कई अनूठे विकल्प मौजूद हैं
प्रियंका द्विवेदी
भूंमंडलीकरण के दौर में पारंपरिक ज्ञान के अतिरिक्त कुछ नवीन और लीक से हटकर ज्ञान की आवश्यकता है। वक्त बदल रहा है तो चुनौतियां भी बदल रही हैं। आज ये चुनौतियां छात्र जीवन में भी शामिल हो चुकी हैं, स्कूली पढ़ाई के बाद जहां दिशा तलाशने की चिंता सताने लगती है तो कॉलेज से निकलने के बाद करियर को लेकर छात्र-छात्राओं के सामने एक अलग ही मंजर होता है। लेकिन नए जोश और नई उम्मीद से सराबोर युवा भविष्य के नए सपने बुनते हैं। ऐसे में निर्धारित वक्त में ही छात्र अपने जीवन को सही दिशा देकर आगे की राह को आसान बना सकते हैं।
तेजी से बदलते समय में करियर के मामले में कुछ नया और लीक से हटकर किया जाए तो संभावनाएं कई गुना बढ़ जाती हैं। पहले छात्र अधिकतर पारंपरिक पाठ्यक्रमों जैसे, बीए, बीएससी, बीकॉम आदि में प्रवेश लेते थे लेकिन आज अनेक ‘जॉब ओरिएंटेड’ विषय है जिनमें प्रवेश लेकर छात्र वैश्विक बाजार के लिए स्वयं को तैयार कर सकते हैं।
विकल्प बेशुमार
विज्ञान शाखा से 12वीं के बाद ज्यादातर विद्यार्थी इंजीनियरिंग या एमबीबीएस की ओर आकर्षित होते हैं। इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों की भारी मांग है, लेकिन इंजीनियरिंग के बाद अच्छी नौकरी मिले, ऐसा जरूरी नहीं है। डिग्री के साथ आपके पास संवाद कौशल, विषय का ज्ञान और गणित में कुशलता भी जरूरी है। इंजीनियरिंग के क्षेत्र में ऊर्जा क्षेत्र, डेटा एनालिटिक्स, मैन्युफैक्चरिंग और आॅटो सेक्टर में करियर का विकल्प होता है। ध्यान रखें कि डिग्री के साथ प्रोजेक्ट और ‘इंटर्नशिप’ भी करें। साथ ही अपने विषयों से जुडेÞ दूसरे कोर्स भी करें।
पहले छात्रों के पास चुनने को मेडिकल, इंजीनियरिंग जैसे कुछेक रास्ते ही होते थे, लेकिन अब ऐसी बात नहीं है। आज इंजीनियरिंग, मेडिकल, विधि, शिक्षण जैसे परंपरागत विषयों के साथ ही और अनेक लीक से हटकर नए विकल्प सामने आए हैं। ऐसे में एक या दो विषयों में ही उच्च शिक्षा हासिल करने की मजबूरी नहीं रह गई है। 12वीं के बाद आप तय कर सकते हैं कि व्यावसायिक दक्षता वाला रास्ता चुनें या परंपरागत शिक्षा वाला।
व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की धमक
जैसा कि ऊपर बताया गया है, वैश्वीकरण के इस दौर में बारहवीं के बाद अनेक व्यावसायिक पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं, जिन्हें करने के बाद खासकर कॉर्पोरेट जगत में खास मुकाम हासिल किया जा सकता है। इनमें आईटी और प्रबंधन क्षेत्र से संबंधित पाठ्यक्रम प्रमुख हैं। इनकी विशेषता यह है कि इन्हें करने के बाद अक्सर परिसर के अंदर ही चयन के माध्यम से बड़ी-बड़ी कंपनियों द्वारा आकर्षक पैकेज पर रोजगार दिया जाता है।
ऐसे पाठ्यक्रमों में प्रमुख हैं : बैचलर आॅफ बिजनेस मैनेजमेंट (बीबीए), बैचलर आॅफ कम्प्यूटर एप्लिकेशंस (बीसीए), डिप्लोमा इन होटल मैनेजमेंट, डिप्लोमा इन होटल मैनेजमेंट एंड कैटरिंग टेक्नोलॉजी, बैचलर इन इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (बीआईटी), रिटेल मैनेजमेंट, बीएससी (कम्प्यूटर स्टडीज), डिप्लोमा इन एडवरटाइजिंग, प्रमोशन एंड सेल्स मैनेजमेंट, ट्रेवल एंड टूरिज्म, फैशन डिजाइनिंग, इवेंट मैनेजमेंट, पब्लिक रिलेशन आदि।
ये सब आज के जमाने के ऐसे विकल्प हैं, जिनकी कॉर्पोरेट जगत में हमेशा मांग बनी रहती है। इसके अलावा कुछ अन्य विकल्प भी हैं, जैसे- एनिमेशन, ग्राफिक डिजाइनिंग, एस्ट्रोनॉमी, लिंग्विस्टिक, एविएशन आदि के अल्पावधि कोर्स करके आप अपना करियर संवार सकते हैं। आप इस तरह के अल्पावधि कोर्स कोई और परंपरागत कोर्स या रोजगार करते हुए भी कर सकते हैं।
12वीं के बाद आप किसी भी प्रोफेशनल कोर्स में दाखिला ले सकते हैं। आप आईटी और प्रबंधन से जुड़े कोर्स कर सकते हैं। अगर आपमें जुनून है और देश के लिए कुछ करना चाहते हैं तो नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) एक बेहतर विकल्प हो सकती है। विज्ञान के अंतर्गत आने वाले विषयों जैसे भौतिकी, रसायन और जीवविज्ञान की पढ़ाई से आपके पास माइक्रोबायोलॉजी, बायोटेक्नोलॉजी, फार्माकॉलोजी, फिजियोथेरेपी, फूड टेक्नोलॉजी, न्यूट्रीशन और एन्वायरनमेंटल साइंस जैसे क्षेत्रों में करियर बनाने का विकल्प होता है।
इंजीनियरिंग में नए विकल्प
विज्ञान की पृष्ठभूमि वाले अधिकतर छात्र इंजीनियरिंग में ही प्रवेश लेते रहे हैं। सामान्यत: इलेक्ट्रॉनिक्स , इलेक्ट्रिकल, कंप्यूटर साइंस, मैकेनिकल, सिविल इंजीनियरिंग में ही छात्रों की प्रवेश की इच्छा रहती है, इनमें वे डिग्री भी हासिल कर लेते हैं। लेकिन इंजीनियरिंग की इन पारंपरिक शाखाओं से हटकर छात्र इसी की अन्य शाखाओं, जैसे मरीन इंजीनियरिंग, आईसी इंजीनियरिंग, कैमिकल इंजीनियरिंग, साउंड इंजीनियरिंग, माइनिंग इंजीनियरिंग, मैटलरजी इंजीनियरिंग, एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग, पेट्रोलियम इंजीनियरिंग, डेयरी टेक्नोलॉजी , बायो टेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग, नैनो टेक्नोलॉजी, स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग जैसे विषयों में प्रवेश ले सकते हैं, और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में बेहतर मुकाम हासिल कर सकते हैं। हालांकि पारंपरिक इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रमों में छात्रों की बढ़ती संख्या के कारण नौकरी के अवसर अब सीमित हो गए हैं, लेकिन इंजीनियरिंग की इन नई शाखाओं ने नए मार्ग भी खोल दिए हैं।
चिकित्सा क्षेत्र में नई राहें
आमतौर पर जीव विज्ञान की पृष्ठभूमि के छात्र तो बारहवीं के बाद ही डाक्टर बनने के सपने बुनने लगते हैं और मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी में काफी समय लगाते हैं। लेकिन प्रवेश परीक्षा में बैठने वाले महज 40 फीसदी छात्र ही विभिन्न मेडिकल संस्थानों में एमबीबीएस में प्रवेश ले पाते हैं। बाकी में निराशा की भावना घर करने लगती है, या फिर वे दोबारा से प्रवेश परीक्षा की तैयारी में लग जाते हैं। लेकिन सिर्फ एमबीबीएस में प्रवेश और तैयारी में समय बर्बाद करने से बेहतर है, मेडिकल क्षेत्र के अन्य पाठ्यक्रमों की राह पकड़ी जाए और उनके रास्ते डॉक्टर बनने का सपना पूरा करें। हालांकि इन पाठ्यक्रमों को पढ़ने के बाद न सिर्फ करियर की संभावनाएं बढ़ जाती हैं बल्कि पगार भी अच्छी मिलती है। बीयूएमएस (बैचलर आॅफ यूनानी मेडिसन एंड सर्जरी), बीएएसएलपी (बैचलर आॅफ आॅडियोलॉजी स्पीच लैग्वेज पैथोलॉजी), न्यूक्लीयर मेडिकल टेक्नोलॉजी, बीओटी (बैचलर आॅफ आॅक्यूपेशनल टेक्नोलॉजी) मेडिकल क्षेत्र में बेहतर कैरियर विकल्प हैं। इसके अलावा बीडीएस, बीफार्मा, बीएएमएसए, बीएचएमएस में प्रवेश लेकर विशेष शाखा का चयन कर सकते हैं। इसके अलावा मेडिकल संबधित डिप्लोमा कोर्स भी कर सकते हैं।
बायोलॉजी के छात्रों का एमबीबीएस डॉक्टर बनने का सपना पूरा न हो तो वे आयुर्वेदिक, यूनानी या होम्योपैथिक डॉक्टर बनने का विकल्प चुन सकते हैं। आॅडियोलॉजी या स्पीच थेरेपी जैसे क्षेत्रों में भी करियर बनाया जा सकता है। फिजियोथेरपी और आॅक्यूपेशनल थेरेपी की भी काफी मांग है।
जहां समुद्र-विज्ञान में भी करियर बनाने के मौके हैं, वहीं नर्सिंग, डेंटिस्ट्री और वेटरनरी साइंस के भी विकल्प हैं। फार्मोकोलॉजी, फोरेंसिक साइंस, एन्वायरनमेंटल साइंस, एग्रीकल्चर, हॉर्टिकल्चर, फ्लोरीकल्चर, फूडटेक और न्यूट्रीशन साइंस में भी करियर बनाया जा सकता है।
प्रबंधन का आकर्षण
अंतरराष्टÑीय और देश के बाजारों में अपनी पहचान बनाने की इच्छा रखने वाले छात्रों के लिए मैनेजमेंट यानी प्रबंधन से बेहतर कोई अन्य करियर विकल्प नहीं है। अगर छात्रों की इच्छा मैनेजमेंट में करियर बनाने की है तो मैनेजमेंट संबधित पाठ्यक्रमों में प्रवेश ले सकते हंै। बीबीए और एमबीए इंटीग्रेटिड कोर्स बेहतर विकल्प हैं। सीए, सीएस, सीएमए भी छात्र के चार्टेड एकाउंटेट बनने का सपना पूरा कर सकता हैं। इसके अलावा बीएमएस (बैचलर आॅफ मैनेजमेंट स्टडीज), बीएचएम (बैचलर आॅफ होटल मैनेजमेंट), रिटेल मैनेजमेंट, बीबीई (बैचलर आॅफ बिजनेस इकोनोमिक्स), बीबीएस (बैचलर आॅफ बिजनेस स्टडीज), बीआईबीएफ (बैचलर आॅफ इंटरनेशनल बिजनेस एंड फाइनेंस), और बैचलर आॅफ स्टेटिस्टिक्स भी बेहतर कैरियर विकल्प हैं।
वाणिज्य का क्षेत्र
वाणिज्य यानी कॉमर्स के क्षेत्र में करियर बनाने वालों के लिए बीकॉम (पास) और बीकॉम (आॅनर्स) के विकल्प हैं। इसके जरिए आप बिजनेस अकाउंटिंग, फाइनेंशियल अकाउंटिंग, कॉस्ट अकाउंटिंग, आॅडिटिंग, बिजनेस लॉ, बिजनेस फाइनेंस, मार्केटिंग, बिजनेस कम्युनिकेशन आदि विषयों में पढ़ाई कर सकते हैं। कॉमर्स का रास्ता चुुनने वालों के लिए भविष्य में एमबीए, सीएस, सीए, फाइनेंशियल एनालिस्ट जैसे तमाम करियर विकल्प मौजूद हैं।
बीएससी में हैं बेहतर विकल्प
विज्ञान वर्ग के अधिकतर छात्रों की रुचि बीएससी करने की रहती है। पहले बीएससी जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान और भौतिक विज्ञान में ही उपलब्ध थी। लेकिन अब इस विषय में और बेहतर विकल्प मौजूद हैं। इन्हें करके छात्र बुलंदियों को छू सकता है। बीएससी बायोइन्फॉर्मेटिक्स, एंथ्रोपोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, फोरेंसिक साइंस, जैनेटिक्स, स्पोर्ट्स साइंस, आॅपरेशनल थियेटर टैक्नोलॉजी, ऐनेस्थीसिया एंड आॅपरेशन के रास्ते चुनकर छात्र बेहतर करियर बना सकते हैं। पीसीएम विषयों में पढ़ाई के दौरान इन्फॉर्मेशनल टेक्नोलॉजी, कंप्यूटर एप्लिकेशंस, आर्किटेक्चर, नॉटिकल साइंस, डेटा एनालिटिक्स और न्यूक्लियर फिजिक्स जैसे क्षेत्रों में करियर बनाने का विकल्प भी है। पीसीएम की पढ़ाई के बल पर आप रक्षा क्षेत्र में भी करियर बना सकते हैं। इसके अलावा बीएससी ज्वैलरी डिजाइनिंग, टेक्सटाइल डिजाइनिंग, फैशन टेक्नोलॉजी, इलैक्ट्रॉनिक मीडिया, हॉस्पिटेलिटी स्टडीज आदि में भी स्नातक स्तर के पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं।
डिजाइनिंग की दुनिया
डिजाइनिंग पाठ्यक्रमों में भी व्यावसायिक कोर्स का चलन देखने में आ रहा हैै। इसके अंतर्गत फैशन डिजाइनिंग, लैदर डिजाइनिंग, टैक्सटाइल डिजाइनिंग, निटवियर डिजाइनिंग, फैशन कम्युनिकेशन, एनीमेशन फिल्म डिजाइनिंग, सिरेमिक डिजाइनिंग, ग्लास डिजाइनिंग, फर्नीचर इंटीरियर डिजाइनिंग, प्रोडक्ट डिजाइनिंग कोर्स आते हैं। इन पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेकर अच्छा करियर बनाया जा सकता है।
रेडियोलॉजी में अवसर
रेडियोलॉजी भी एक उभरता हुआ क्षेत्र है। ये भी एक प्रकार के फिजीशियन डाक्टर होते हैं जो विभिन्न तकनीकी, मेडिकल छायांकनों के आधार पर मरीज की बीमारी निर्धारित करते हैं। पहले केवल एक्स-रे के माध्यम से ही बीमारी का निर्धारण होता था लेकिन अब फल्यूरोस्कोपी, अल्ट्रासाउंड, सीटी, एमआरआई, पीईटी (पोजीस्टोन एमीसन टोमोग्रॉफी), न्यूक्लीयर इमेजिंग से संबधित कोर्स करके आप बेहतर रेडियोलॉजिस्ट बन सकते हैं। इसके बाद अनेक फैलोशिप न्यूरोरेडियोलॉजी, मस्क्यूलोस्कैलेटल रेडियोलॉजी, इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी के माध्यम से भी दक्षता हासिल कर सकते हैं। इसके अलावा अनेक अग्रिम कोर्स, जैसे रैड डॉट टोमा कोर्स, ए एंड ली सर्वाइवल कोर्स भी हैं। अनेक डिप्लोमा कोर्स भी उपलल्ध हैं जिन्हें करने के बाद काफी अच्छी पगार पर रोजगार मिल जाता है। आइए, इनमें से कुछ पर विस्तार से बात करें।
‘बैचलर आॅफ आॅडियोलॉजी’
इस विषय को पढ़ कर भी आप डॉक्टर बनने का सपना पूरा कर सकते हैं। पांच साल के इस कोर्स में चार साल पाठ्यक्रम संबधित पढ़ाई होने के बाद एक साल की इंटर्नशिप होती है। इसमें सुनने की तकलीफ यानी हियरिंग डिस्आॅर्डर से संबधित पढ़ाई के अलावा आॅडियोलॉजी पर जोर रहता है।
डी. फार्मा
मेडिकल के क्षेत्र में डी.फार्मा भी अच्छा करियर विकल्प है। डाक्टर आॅफ फार्मेसी छह साल का कोर्स है। जीव विज्ञान और गणित पढ़े छात्र इसमें प्रवेश ले सकते हैं। इसमें 5 साल के किताबी अध्ययन के बाद एक साल की इंटर्नशिप होती है। इस विषय में फार्मास्युटिकल रिसर्च, क्लीनिकल रिसर्च, फार्मास्यूूटिकल एनालिसिस, फार्मास्युटिकल माइक्रोबॉयोलॉजी, मेडिसिनल बायोकेमिस्ट्री आदि के बारे में पढ़ाया जाता है।
फैशन कम्युनिकेशन
चकाचौंध भरे फैशन जगत में फैशन कम्युनिकेशन अपेक्षाकृत नया विकल्प है। इस कोर्स को करने के बाद फैशन जर्नलिज्म में करियर की काफी संभावनाएं हैं। फैशन उत्पादों, सहायक उत्पादों, कपड़े, ब्रांड आदि की प्रदर्शनी लगाना, नेशनल मीडिया के साथ ही फैशन उद्योग में फैशन विशेषज्ञ, आउटफिट, ताजातरीन चलन आदि की जानकारी देकर बेहतर करियर विकल्प के तौर पर सिर्फ पैसा ही नहीं, शोहरत भी कमाई जा सकती है।
एनीमेशन फिल्म डिजाइनिंग
करियर की अपार संभावनाओं वाला यह क्षेत्र बेहद रोमांचक है। माउस और ‘की बोर्ड’ पर पकड़, दिमाग का संतुलन और रचनात्मकता आपको दुनिया में प्रसिद्धि दिला सकती है। बच्चों की फिल्में, फिक्शन, बॉलीवुड और हॉलीवुड फिल्मों का काफी काम आज एनीमेशन तकनीक से हो रहा है। मल्टीमीडिया एनीमेशन के डिप्लोमा कोर्स भी छात्र की रचनात्मकता को निखारने का प्रयास करते हैं। इस पाठ्यक्रम के बाद राष्टÑीय और अंतरराष्टÑीय मीडिया जगत में भी रोजगार की काफी अच्छी संभावनाएं हैं।
यह आम धारणा रही है कि कला विषयों की पढ़ाई करने के बाद आगे कोई अच्छा करियर विकल्प नहीं मिलता। लेकिन अब यह धारणा काफी हद तक बदल गई है, क्योंकि इस क्षेत्र में भी ऐसे कई विषय हैं, जिनकी पढ़ाई करके सरकारी और निजी क्षेत्रों में करियर की ऊंचाई छुई जा सकती है। इस क्षेत्र में कुछ अनूठा करने की इच्छा रखने वाले छात्र अर्थशास्त्र, मनोविज्ञान, इतिहास, राजनीति शास्त्र, दर्शनशास्त्र, समाजशास्त्र, अंग्रेजी, हिंदी आदि विषयों का चयन कर सकते हैं। बीए (पास) और बीए (आॅनर्स) कोर्स एक सदाबहार विकल्प हैं ही। हां, इस बात का खास ख्याल रखिए कि अगर आपके मनमाफिक विषयों का मेल एक कॉलेज में उपलब्ध नहीं है, तो आप दूसरे कॉलेजों में भी जरूर कोशिश करें। कला विषय पढ़ने वाले अधिकतर छात्र वैसे तो प्रशासनिक परीक्षा की तैयारी में जुटे रहते हैं, लेकिन इसके अतिरिक्त, व्यावसायिक तौर पर एमबीए, पत्रकारिता, मार्केट एनालिसिस, शिक्षण, एंथ्रोपोलॉजी, मानव संसाधन, समाज कार्य में परास्नातक आदि विषयों में भी काफी करियर विकल्प मौजूद हैं।
कंप्यूटर हार्डवेयर एवं नेटवर्किंग
कंप्यूटर हार्डवेयर और नेटवर्किंग भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है 12वीं के बाद इस क्षेत्र में आप सीखेंगे कि कंप्यूटर को कैसे ठीक किया जाता है, कंप्यूटर के पुर्जों के बारे में और साथ ही नेटवर्किंग के बारे में सिखाया जाता है। यह कोर्स करने के बाद आपको तुरंत रोजगार मिलता है।
पत्रकारिता
पत्रकारिता या जनसंचार का क्षेत्र समय के साथ काफी बदल चुका है। नई-नई तकनीकों के कारण अब पत्रकारिता के कई प्लेटफॉर्म देखने को मिल रहे हैं। प्रिंट, रेडियो और टीवी के बाद पत्रकारिता का भविष्य वेब पर आ गया है। अगर आपकी दिलचस्पी समाचार, दुनिया में घट रही घटनाओं और लिखने में है तो आप इस क्षेत्र में किस्मत आजमा सकते हैं।
पत्रकारिता में करियर बनाने के लिए किसी भी विषय में 12वीं पास होना जरूरी है। 12वीं के बाद आप चाहें तो डिप्लोमा, सर्टिफिकेट या डिग्री कोर्स कर सकते हैं। भारत के कई बड़े कॉलेजों में डिग्री स्तर पर जनसंचार विषय की पढ़ाई होती है। अगर आप स्नातक करने के बाद पत्रकारिता की पढ़ाई करना चाहते हैं तो यह आपके लिए ज्यादा फायदेमंद होगी। स्नातक के बाद ‘पीजी डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन’ या ‘डिप्लोमा इन पब्लिक रिलेशन’ कर सकते हैं। आप दो वर्षीय स्नातकोत्तर डिग्री हासिल कर सकते हैं। स्नातकोत्तर डिग्री लेने के बाद आप सीधे पीएचडी या एमफिल भी कर सकते हैं। पत्रकारिता के प्रमुख कोर्स हैं जनसंचार में स्रातक, ब्रॉडकास्ट पत्रकारिता में स्रातकोत्तर डिप्लोमा, पत्रकारिता में डिप्लोमा, पत्रकारिता और जनसंपर्क तथा जनसंचार में डिप्लोमा।
कुल मिलाकर आज 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद रास्ते अनेक हैं। जरूरत सिर्फ नई उम्मीद के साथ नया जोश भर आगे बढ़ने की है।
(लेखिका मेवाड़ विश्वविद्यालय, राजस्थान में पत्रकारिता विभाग की विभागाध्यक्ष और टेक्निकल टुडे पत्रिका की सह संपादक हैं )
इवेंट मैनेजमेंट
छोड़ते चलो छाप
अगर आपको पार्टियों में जाना, जश्न मनाना अच्छा लगता है तो इस क्षेत्र में करियर बना सकते हैं। इवेंट मैनेजमेंट विश्व स्तर पर तेजी से बढ़ता क्षेत्र है। इसमें संभावनाओं की कमी नहीं है, बस आपके पास अच्छी योजनाएं होनी चाहिए। आपके पास कल्पना शक्ति, समय का प्रबंधन, दल भावना और प्रबंधन कौशल होना चाहिए। आप इस विषय में डिग्री कोर्स और डिप्लोमा, दोनों कर सकते हैं।
सोशल वर्क
समाज से जुड़ने का जज्बा
देश भर में एनजीओ का तेजी से विकास हो रहा है। विदेशी एनजीओ भी भारत में तेजी से अपने पैर पसार रहे हैं। अगर आपकी दिलचस्पी समाज कार्य में है तो आपके लिए इससे बेहतर करियर कुछ हो ही नहीं सकता। इस क्षेत्र में कई संगठन किसी एक क्षेत्र में काम करते हैं। यह आपको तय करना होगा कि आप किस दिशा में काम करना चाहते हैं। यहां आपको सामाजिक और आर्थिक चुनौतियां के बीच काम करने के तरीके सिखाये जाएंगे।
ज्वेलरी डिजाइनिंग
गढ़ो सुनहरा भविष्य
भारत एक ऐसा देश है जहां लोगों में गहनों के प्रति बेहद दिलचस्पी रहती है। इस वजह से ज्वेलरी उद्योग का भी देश की अर्थव्यवस्था में एक बड़ा हिस्सा है। अगर आपकी रुचि डिजाइनिंग क्षेत्र में जाने की है तो ज्वेलरी डिजाइनिंग आपके लिए बेहतर करियर विकल्प हो सकता है। इसके महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस उद्योग की क्षमता 2017 के अंत तक 3 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
एंथ्रोपोलॉजी
मानव विकास के पायदान
आपकी रुचि मानव विकास को जानने में है तो एंथ्रोपोलॉजी आपके करियर के लिए एक अच्छा रास्ता हो सकती है। इस विषय में मानव विकास के इतिहास और वर्तमान का अध्ययन किया जाता है। एंथ्रोपोलॉजी में जीव विज्ञान, मानविकी और भौतिक विज्ञान की जानकारियों का अध्ययन कर मानव विकास के बारे में नई जानकारी निकाली जाती है। एंथ्रोपोलॉजी में मानव शरीर रचना पर शोध किए जाते हैं और वन्य जीवन की संरचना का अध्ययन किया जाता है।
योग विज्ञान
स्वास्थ्य के साथ संपन्नता का योग
योग विज्ञान पूरी दुनिया में तेजी से फैल रहा है। पिछले साल 21 जून को विश्व योग दिवस पर दुनिया भर में आयोजित कार्यक्रमों और सामने आई तस्वीरों से यह तो स्पष्ट हो गया कि योग को दुनिया सम्मान के साथ देख रही है। योग सिर्फ शरीर व मन को स्वस्थ रखने का साधन नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा विज्ञान है जिसमें रोजगार की भी असीम संभावनाएं हैं। योग में करियर बनाने के लिए सर्टीफिकेट, डिप्लोमा, डिग्री से लेकर मास्टर डिग्री तक के कोर्स संचालित किए जा रहे हैं। इसके अलावा योग थैरेपी में पी.जी. डिप्लोमा, फाउंडेशन कोर्स, उन्नत योग शिक्षण प्रशिक्षण, योग दर्शन में बी.ए., एम.ए. की पढ़ाई करके करियर बना सकते हैं। कोर्स पूरा करने के बाद इसमें काम की अपार संभावनाएं हैं। आयुष मंत्रालय के तहत योग को बढ़ावा देने के लिए कई तरह के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जहां बेशुमार अवसर हैं। कौशल विकास के तहत भी इसे शामिल किया गया है। योग प्रशिक्षक, योग निर्देशक, योग शिक्षक, योग थैरेपिस्ट के अलावा भी इसमें कई आयाम हैं।
आॅडियो विजुअल मीडिया एंड एनिमेशन
अलग दुनिया की झलक
यह क्षेत्र पत्रकारिता, फिल्म उद्योग, ब्रांड प्रोमोशन, फोटोग्राफी से जुड़ा हुआ है। अगर आप के पास रचनात्मक कौशल है तो आप इसे करियर बना सकते हैं। इस कोर्स को करने के बाद आप चाहें तो खुद का काम शुरू कर सकते हैं और अच्छी कमाई के साथ अन्य लोगों को भी रोजगार दे सकते हैं।
आपदा प्रबंधन
राहत के हाथ
प्राकृतिक आपदाओं के बढ़ने के साथ ही इस समस्या से निपटने वालों की भूमिका भी अहम हो गई है। इस समस्या से निपटने का काम करते हैं डिजास्टर मैनेजमेंट कर्मी, जिन्हें इस खास काम के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। डिजास्टर मैनेजमेंट कर्मियों का काम आपदा के शिकार लोगों की जान बचाना और उन्हें नई जिंदगी देना है।
सलीका शानदार
पर्सनल स्टाइलिस्ट का काम होता है लोगों के स्वरूप में परिवर्तन करना और लोगों की ‘ड्रेसिंग सेंस’ को बढ़ाना। कलाकार, मॉडल अपने आस-पास ऐसे लोगों को हमेशा रखते हैं ताकि वे हर मौके पर कुछ अलग दिख सकें। पर्सनल स्टाइलिस्ट बनने के लिए बुनियादी जरूरत है सामने वाले के मन को पढ़ना कि वह क्या चाहता है। इसके लिए आपको थोड़ा शोध करना होगा। वे लोग इस क्षेत्र में करियर बना सकते हैं जो लोगों के मूड, शख्सियत, पहनने-ओढ़ने की आदतों को जानते हैं। इसके लिए फैशन जगत में हर दिन की नई चीजों की जानकारी होना जरूरी है।पर्सनल स्टाइलिस्ट
वन्य जीवन फोटोग्राफी
जंगल की तस्वीर
अगर आपको फोटो खींचना अच्छा लगता है तो वन्य जीवन चित्रांकन यानी वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी में करियर बना सकते हैं। इसमें एक तो जंगल आपको अपनी तरफ आकर्षित करेगा और दूसरे आप जंगल में आने वाले खतरों से भी परिचित हो जाएंगे। 12वीं के बाद आप बीए (फोटोग्राफी) सर्टिफिकेट/ डिप्लोमा कोर्स कर सकते हैं।
ओशनोग्राफी
आपको जोखिम लेना पसंद है और लीक के हटकर कुछ करने की चाहत है, तो आप ओशनोग्रॉफी के क्षेत्र में कदम रख सकते हैं। ओशनोग्रॉफी का आशय समुद्र विज्ञान से है। इसके अंतर्गत समुद्र तथा इसमें पाए जाने वाले जीव-जंतुओं के बारे में अध्ययन किया जाता है। दरअसल, यह एक ऐसा विज्ञान है जिसमें जीव विज्ञान, रसायनशास्त्र, भूगर्भशास्त्र, मेटियोरोलॉजी और भौतिकी के सिद्धांत लागू होते हैं। यह एक रोमांचक क्षेत्र है, जहां आपको हमेशा कुछ न कुछ नया सीखने को मिलता है।
यह मूलत: शोध एवं अनुसंधान पर आधारित पेशेवर विषय है। इसमें अधिकांश समय समुद्र की लहरों एवं प्रयोगशाला में व्यतीत होता है। अन्य विषयों की भांति इस क्षेत्र में भी उपशाखाएं मौजूद हैं और युवा अपनी दिलचस्पी के अनुसार करियर निर्माण के लिए इनका चयन कर सकते हैं। इन उपशाखाओं में प्रमुख हैं: समुद्री जीव विज्ञान, भूगर्भ समुद्र विज्ञान, रासायनिक समुद्र विज्ञान आदि। महत्व की दृष्टि से किसी भी उपशाखा को कम करके नहीं आंका जा सकता।
ओशनोग्राफी समुद्र के अनगिनत रहस्यों को समझने, पढ़ने और शोध करने का बहुआयामी तरीका है। समुद्री पर्यावरण के क्षेत्र में अध्ययन तथा अनुसंधान करने वाले विद्यार्थियों के लिए ओशनोग्रॉफी नई तरह के करियर के रूप में उभरी है। समुद्र में तूफान और आपदा प्रबंधन योजनाओं के बढ़ते महत्व के कारण ओशनोग्रॉफी पढ़ने वाले विद्यार्थियों की तादाद बढ़ती जा रही है। भारत में समुद्र की लम्बाई-चौड़ाई को देखते हुए ओशनोग्रॉफी में अच्छे अवसर भी हंै। प्रयोगशाला से लेकर फील्डवर्क तक फैले इस काम का हिस्सा बनने के लिए विज्ञान या इंजीनियरिंग में स्नातक के बाद ओशनोग्रॉफी में स्नातकोत्तर कोर्स जरूरी है। हाल के वर्षों में ओशनोग्रॉफी एक फायदेमंद करियर के रूप में उभरा है। इसकी एक बड़ी वजह भारत के पास काफी बड़ा समुद्रतट और समुद्रीय पर्यावरण की अभी भी बड़े पैमाने पर बची खोज की गुंजाइश है। यह समुद्रीय पर्यावरण में अध्ययन करने और अनुसंधान करने के इच्छुक विद्यार्थियों के लिए बड़े पैमाने पर अवसर उपलब्ध कराती है। समुद्री तूफानों में लाखों लोगों की जानें जाती हैं। इन तूफानों की संभावना के बारे में जानकर अनेक बड़ी विपत्तियों को टाला जा सकता है। यही वजह है कि आपदा प्रबंधन योजनाओं का महत्व बढ़ने के कारण ओशनोग्रॉफी में भी रुचि बढ़ती जा रही है। दूसरी ओर धरातलीय संसाधनों की घटती मात्रा और समुद्रीय संसाधनों की प्रचुरता ने इस ओर ध्यान देने के लिए प्रेरणा का काम किया है। साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी और वैज्ञानिकों व उद्यमियों की जागरूकता के कारण समुद्र विज्ञान बहुत तेजी से विकास कर रहा है। परिणामस्वरूप ओशनोग्रॉफर की मांग पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ रही है ताकि आने वाले सालों में तटीय पानी और सीमाओं, मौसम की भविष्यवाणी और समुद्री तत्वों के रखरखाव के लिए अधिक से अधिक पेशेवरों की जरूरत को पूरा किया जा सके।
करियर चुनते समय ध्यान रखें ये जरूरी बातें
आज के दौर में 12वीं के पहले से ही छात्रों के दिमाग में सवाल उठने लगते हैं कि स्नातक करें या फिर कोई व्यावसायिक या वोकेशनल कोर्स? अगर स्नातक की पढ़ाई करनी है, तो इसके लिए कौन-सा रास्ता चुनें? विशेषज्ञों के अनुसार सबसे पहले यह देखना चाहिए कि छात्र की योग्यता के हिसाब से वह किस क्षेत्र में जा सकता है, किन क्षेत्रों में खुद को बेहतर साबित कर सकता है। इसका आकलन बहुत जरूरी है। अमेटी यूनिवर्सिटी, गुरुग्राम में सहायक प्रोफेसर मनोज पाण्डेय के अनुसार युवाओं को महज तात्कालिक लाभ के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए। उन्हें दीर्घकालिक फायदे के हिसाब से किसी कोर्स का चयन करना चाहिए। छात्र को वही कोर्स चुनना चाहिए, जो न केवल उसकी रुचि से मेल खाता हो, बल्कि उसकी वैश्विक मांग भी हो। एक तथ्य यह भी है कि ढेरों विकल्पों के बीच छात्र पसोपेश में पड़ जाते हैं। ऐसे में जरूरी है कि किसी भी रास्ते को चुनने से पहले मौजूदा सभी विकल्पों के बारे में अच्छी तरह से जान लें। लेकिन किसी भी पाठ्यक्रम को चुनने से पहले अपनी क्षमता, पसंद और भविष्य में रोजगार मिलने की संभावना पर जरूर विचार कर लेना चाहिए।
कोई पाठ्यक्रम चुनने से पहले इन बातों पर दें विशेष ध्यान-
कोई भी कोर्स चुनने से पहले अपनी रुचि, योग्यता और उसमें उपलब्ध करियर विकल्पों पर जरूर विचार करें।
दूसरों की देखादेखी या पारंपरिक रूप से प्रचलित कोर्स की बजाय अपनी रुचि के नए विकल्पों को आजमाने में संकोच न करें, क्योंकि अब इनमें भी आकर्षक करियर बनाया जा सकता है।
यदि कला के क्षेत्र में रुचि है, तो इसमें कदम आगे बढ़ाने में बिल्कुल न झिझकें। इसमें भी विकल्पों की कमी नहीं है। यदि निर्णय लेने में कोई दुविधा है, तो काउंसलर की सलाह अवश्य लें।
लुभावने विज्ञापनों से प्रभावित न हों।
संस्थान की मान्यता, शिक्षक और रोजगार दिलाने के उसके रिकार्ड की जानकारी जरूर प्राप्त करें। इससे आप ठगी का शिकार होने से बच जाएंगे।
बारहवीं के बाद बिना किसी लक्ष्य के पढाई न करें, बल्कि पहले दिशा तय कर लें और फिर उसके अनुरूप प्रयास करें।
सेहत भरा खान-पान
सही भोजन से जुड़ी हमारी शंकाएं दूर करते हैं डायटीशियन और न्यूट्रिशनिस्ट। संतुलित भोजन के महत्व से तो हर कोई वाकिफ है लेकिन अपनी उम्र, शारीरिक क्षमता, कार्य की प्रकृति और दैनिक जीवन के हिसाब से खाना कैसा होना चाहिए, इसको लेकर अधिकांश लोग भ्रमित रहते हैं। अगर आप स्वस्थ जीवनचर्या के साथ रोमांचक करियर चाहते हैं, तो यह क्षेत्र आपके लिए सटीक है। इसमें करियर बनाने केलिए 12वीं में भौतिकी, रसायन और जीव विज्ञान जैसे विषय पढ़ने वाले विद्यार्थी होमसाइंस व फूडसाइंस एंड प्रॉसेसिंग में बीएससी, फूडसाइंस एंड माइक्रोबायोलॉजी, न्यूट्रीशन, न्यूट्रीशन एंड फूड साइंस और न्यूट्रीशन एंड डायटेटिक्स में बीएससी आॅनर्स कर सकते हैं। इसके अलावा डायटेटिक्स एंड न्यूट्रिशन में डिप्लोमा और फूडसाइंस एंड पब्लिक हेल्थ न्यूट्रीशन में डिप्लोमा भी किया जा सकता है। स्नातक की पढ़ाई करने के बाद आप इन्हीं विषयों में एमएससी कर सकते हैं। इस विषय में शोध की भी काफी गुंजाइश है। उच्च पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को भी इस क्षेत्र में बहुत अवसर मिलते हैं।
व्यक्तित्व /बातचीत
मिली मंजिल
पी.एस.कैंसर केयर रिसर्च सेंटर, आगरा में मुख्य रेडियेशन टेक्नोलॉजिस्ट के पद पर कार्यरत भास्कर उपाध्याय बताते हैं कि उन्होंने 2008 में बीएससी पूरी की। बीएससी के साथ ही अनेक बार मेडिकल के लिए प्रवेश परीक्षा भी दी, लेकिन प्री मेडिकल में पास होने के बाद एमबीबीएस में मात्र चार नंबर से रह गए। कई साल मेडिकल में खराब करने के बाद उन्होंने एटोमिक एनर्जी एंड रेगुलेटरी बोर्ड, भारत सरकार द्वारा संबंधित डिप्लोमा इन रेडियेशन टेक्नोलॉजी, गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, पटियाला से किया। वे बताते हैं, इस कोर्स के समाप्त होते ही सिर्फ अस्थायी अंकतालिका के बूते ही नौकरी मिल गई। उन्होंने पहली नौकरी अपोलो हॉस्पिटल, अमदाबाद में की। वर्तमान में वे दस लाख रु. के सालाना पैकेज पर आगरा में कैंसर केयर रिसर्च सेंटर में कैंसर रोगियों को रेडिएशन ट्रीटमेंट दे रहे हैं। वे बताते हैं कि लीनियर एक्सीलरेटर एडवांस ट्रीटमेंट में हाई वोल्टेज पर कैंसर रोगियों के जिस अंग में कैंसर हुआ है, उसके ऊतकों को विभिन्न फ्रीक्वेंसी पर नष्ट किया जाता है। भास्कर उपाध्याय के अनुसार, डॉक्टर बनने का सपना देखने वाले युवा विभिन्न मेडिकल कोर्स के माध्यम से इस सपने को पूरा कर सकते हैं।
पी.एस.कैंसर केयर रिसर्च सेंटर, आगरा में मुख्य रेडियेशन टेक्नोलॉजिस्ट के पद पर कार्यरत भास्कर उपाध्याय बताते हैं कि उन्होंने 2008 में बीएससी पूरी की। बीएससी के साथ ही अनेक बार मेडिकल के लिए प्रवेश परीक्षा भी दी, लेकिन प्री मेडिकल में पास होने के बाद एमबीबीएस में मात्र चार नंबर से रह गए। कई साल मेडिकल में खराब करने के बाद उन्होंने एटोमिक एनर्जी एंड रेगुलेटरी बोर्ड, भारत सरकार द्वारा संबंधित डिप्लोमा इन रेडियेशन टेक्नोलॉजी, गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, पटियाला से किया। वे बताते हैं, इस कोर्स के समाप्त होते ही सिर्फ अस्थायी अंकतालिका के बूते ही नौकरी मिल गई। उन्होंने पहली नौकरी अपोलो हॉस्पिटल, अमदाबाद में की। वर्तमान में वे दस लाख रु. के सालाना पैकेज पर आगरा में कैंसर केयर रिसर्च सेंटर में कैंसर रोगियों को रेडिएशन ट्रीटमेंट दे रहे हैं। वे बताते हैं कि लीनियर एक्सीलरेटर एडवांस ट्रीटमेंट में हाई वोल्टेज पर कैंसर रोगियों के जिस अंग में कैंसर हुआ है, उसके ऊतकों को विभिन्न फ्रीक्वेंसी पर नष्ट किया जाता है। भास्कर उपाध्याय के अनुसार, डॉक्टर बनने का सपना देखने वाले युवा विभिन्न मेडिकल कोर्स के माध्यम से इस सपने को पूरा कर सकते हैं।
न्यूक्लियर इंजीनियरिंग
अनंत ऊर्जा
दुनिया भर में ऊर्जा की जरूरतें लगातार बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में नाभिकीय ऊर्जा समस्या के समाधान के रूप में उभरकर सामने आई है। इसके माध्यम से जहां ऊर्जा की बचत की जा सकती है, वहीं इसकी लागत को भी कम किया जा सकता है। दुनिया की नाभिकीय ऊर्जा पर निर्भरता बढ़ने के साथ तकरीबन हर देश परमाणु विज्ञान यानी न्यूक्लियर साइंस पर शोध कार्यों को तरजीह देने लगा है। इसके वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की मांग में भी जबरदस्त इजाफा हुआ है।
न्यूक्लियर इंजीनियरिंग क्षेत्र में एक अच्छी बात यह है कि यहां काम शुरू करने के लिए आपका न्यूक्लियर इंजीनियरिंग में स्नातक होना जरूरी नहीं है। भौतिकी, रसायन या गणित विषय के डिग्रीधारी भी इससे जुड़े कुछ कार्यों के योग्य हो सकते हैं। इसमें विशेषज्ञता हासिल करने के लिए आप अमेरिका या कनाडा जैसे देशों के किसी प्रतिष्ठित संस्थान से स्नातकोत्तर डिग्री कर सकते हैं। वर्ल्ड न्यूक्लियर यूनिवर्सिटी जैसे कई अंतरराष्ट्ररीय संस्थान हैं, जो परमाणु शिक्षा को मजबूती देने और न्यूक्लियर साइंस व टेक्नोलॉजी में भविष्य का नेतृत्व तैयार करने की दिशा में कार्यरत हैं। इस क्षेत्र में विज्ञान की मूलभूत जानकारियां, सुधरती तकनीक, विज्ञान की सामाजिक उपयोगिता के बारे में जानकारी होना जरूरी है। इस विषय का मुख्य मकसद ऐसे इंजीनियर तैयार करना है, जो नाभिकीय ऊर्जा के क्षेत्र में दक्ष हों।
एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग
ऊंची उड़ान
एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग का क्षेत्र इंजीनियरिंग शिक्षा का सबसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्र माना जाता है। इसमें करियर निर्माण की बहुत शानदार संभावनाएं हैं। इसके तहत नागरिक उड्डयन, अंतरिक्ष शोध, प्रतिरक्षा प्रोद्यौगिकी आदि के क्षेत्र में नई तकनीकों का विकास किया जाता है। यह क्षेत्र डिजाइनिंग, निर्माण, विकास, परीक्षण, आॅपरेशंस तथा नागरिक व सैन्य विमानों के पुर्जों के साथ-साथ अंतरिक्ष यानों, उपग्रहों और मिसाइल विकास से संबंधित है।
एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग ने विश्व का परिदृश्य ही बदल दिया है। यह ऐसा क्षेत्र है, जिसमें नई व आकर्षक संभावनाओं की कोई सीमा नहीं है। एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग के तहत डिजाइनिंग, नेविगेशनल गाइडेंस एंड कंट्रोल सिस्टम, इंस्ट्रूमेंटेशन व कम्युनिकेशन अथवा प्रोडक्शन विधि के साथ ही वायुसेना के विमान, यात्री विमान, हेलिकॉप्टर और रॉकेट से जुड़े कार्य शामिल हैं। इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए आपके पास एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में बीई तथा बीटेक डिग्री अथवा कम से कम एयरोनॉटिक्स में तीन वर्ष का डिप्लोमा होना चाहिए। इस क्षेत्र में आईआईटी के अलावा कुछ इंजीनियरिंग कॉलेजों में डिग्री तथा स्रातकोत्तर पाठ्यक्रम संचालित किए जाते हैं। भारत सरकार द्वारा अधिमान्य एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की डिग्री चार वर्ष की पढ़ाई के बाद प्रदान की जाती है, जबकि डिप्लोमा पाठ्यक्रम तीन वर्ष की अवधि के होते हैं।
व्यक्तित्व /बातचीत
सटीक विकल्प
गत 8 साल से सूयेज, गुरुग्राम में असिस्टेंट प्रपोजल मैनेजर के पद पर कार्यरत सुमेधा त्रिपाठी ने राममनोहर लोहिया विवि, फैजाबाद से एमएससी डिग्री हासिल की थी। वे बताती हैं कि सामान्य बीएसएसी और एमएससी करने के बाद करियर की संभावनाएं कम होती हैं। उसके बाद पीएचडी, ‘नेट’ या जेआरएफ करने के बाद रिसर्च स्कॉलर बन सकते हैं या फिर प्रोफेसर। लेकिन अच्छी कंपनी में बढ़िया काम और अच्छे पैकेज के लिए पारंपरिक कोर्स पर निर्भर नहीं रह सकते, अलग से किसी डिग्री या डिप्लोमा कोर्स की जरूरत होती है। उन्होंने एंवायरनमेंटल साइंस में थापर विवि से एम.टेक. किया तो अच्छी कंपनी में नौकरी मिलने की संभावनाएं बढ़ गई जो सिर्फ एमएससी से संभव नहीं था। वर्तमान में वे बारह लाख रु. सालाना के पैकेज पर कंपनी में कार्यरत हैं। कड़ी मेहनत और चुनौतियों के बूते वे इस कंपनी में अपनी योग्यता साबित कर पा रही हैं। इसके साथ ही प्रपोजल डिजाइनिंग, वेस्ट वॉटर मैनेजमेंट, वाटर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पर भी कार्य कर रही हैं।
कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग
संवाद का संसार
आज के दौर में संचार जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है। मोबाइल हो या टीवी, यह हर इनसान की जरूरत है। क्या आप ऐसे जीवन की कल्पना कर सकते हैं जहां मोबाइल काम ना करे, अपने मनपंसद कार्यक्रम देखने के लिए आपके पास टेलीविजन ही ना हो? ऐसे जीवन की कल्पना करना भी आपको कितना अजीब लगता है ना।
आपकी इन इच्छाओं को हकीकत में बदलने का काम करते हंै इलेक्ट्रॉनिक और कम्युनिकेशन इंजीनियर। इनकी बदौलत ही आज हर व्यक्ति पूरी दुनिया से जुड़ा हुआ है। आप चाहें तो इस क्षेत्र में अपना भविष्य तलाश सकते हैं। इलेक्ट्रॉनिक और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग का क्षेत्र बहुत ही विस्तृत व चुनौतीपूर्ण है। इसके अंतर्गत माइक्रोवेव और आॅप्टिकल कम्युनिकेशन, डिजिटल सिस्टम्स, सिग्नल प्रोसेसिंग, टेलीकम्युनिकेशन, एडवांस्ड कम्युनिकेशन, माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इंजीनियरिंग की यह शाखा रोजमर्रा जिंदगी में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। साथ ही इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रिकल, पॉवर सिस्टम आॅपरेशंस, कम्युनिकेशन सिस्टम आदि क्षेत्रों में भी इसके महत्व को कम नहीं आंका जा सकता।
इस क्षेत्र में करियर बनाने की चाह रखने वाले छात्रों को इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में बीटेक करना होगा। विभिन्न संस्थान इसमें छात्रों के लिए ढेर सारे विकल्प प्रस्तुत करते हंै। छात्र विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल कर सकते हैं या दोहरी डिग्री भी ले सकते हैं। कम्युनिकेशन इंजीनियरों का मुख्य काम होता है न्यूनतम खर्चे पर सर्वश्रेष्ठ संभावित हल उपलब्ध करवाना। इस तरह वे रचनात्मक सुझाव निकालने में सक्षम हो पाते हैं। वे चिप डिजाइनिंग और फेब्रिकेटिंग के काम में शामिल होते हैं, सेटेलाइट और माइक्रोवेव कम्युनिकेशन जैसे एडवांस्ड कम्युनिकेशन, कम्युनिकेशन नेटवर्क सॉल्यूशन, एप्लिकेशन आॅफ डिफरेंट इलेक्ट्रॉनिक जैसे काम करते हैं और इसलिए कम्युनिकेशन इंजीनियरों की सार्वजनिक और निजी दोनों ही क्षेत्रों में अच्छी-खासी मांग होती है।
इंजीनियरिंग की इस शाखा में पेशेवरों के लिए नित नए दरवाजे खुलते रहते हैं। कम्युनिकेशन इंजीनियर टेलीकम्युनिकेशन, सिग्नल, सैटेलाइट और माइक्रोवेव कम्युनिकेशन आदि क्षेत्रों में काम की तलाश कर सकते हैं। कम्युनिकेशन इंजीनियरों को टीसीएस, मोटोरोला, इन्फोसिस, डीआरडीओ, इसरो, एचसीएल, वीएसएनएल आदि कंपनियों में अच्छी-खासी पगार पर नौकरी मिलती है।
इकोलॉजी
सुरम्यता की ओर
आज हर देश पर्यावरण की समस्या से जूझ रहा है। वायु, जल, ध्वनि या भूमि के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में होने वाले अनचाहे परिवर्तन मनुष्य या अन्य जीवधारियों, उनकी जीवन परिस्थितियों, औद्योगिक प्रक्रियाओं एवं सांस्कृतिक उपलब्धियों के लिए हानिकारक साबित हो रहे हैं। इन समस्याओं से निजात पाने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। लोगों को इसकी भयावहता के प्रति जागरूक किया जा रहा है। आने वाले समय में इसके और विस्तार की जरूरत महसूस की जा रही है। पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए इकोलॉजी का अध्ययन आवश्यक है। इसके जरिए पर्यावरण के विभिन्न आयामों व उनके संरक्षण की विधिवत जानकारी मिलती है। विगत कुछ वर्षों से यह तेजी से उभरता करियर साबित हो रहा है। इससे संबंधित पाठ्यक्रमों में छात्रों की तादाद बढ़ती जा रही है। जो छात्र इकोलॉजी से संबंधित कोर्स करना चाहते हैं तो स्नातक में विज्ञान विषयों की पढ़ाई जरूरी है। बॉटनी, बायोलॉजी, जूलॉजी एवं फॉरेस्ट्री संबंधी विषय सहायक साबित होते हैं। इसके बाद स्नातकोत्तर कोर्स में दाखिला मिलता है। यदि छात्र शोध, शिक्षण तथा अन्य शोध संबंधी कार्य करना चाहते हैं तो उनके लिए स्नातकोत्तर डिग्री के बाद पीएचडी करना अनिवार्य है। इसके अलावा स्नातक स्तर पर पर्यावरण के एक अनिवार्य विषय घोषित हो जाने से भी शिक्षक के रूप में योग्य उम्मीदवारों की आवश्यकता रहती है। एनजीओ, वर्ल्ड बैंक की परियोजनाओं व सरकारी विभागों में इनकी काफी मांग है।
ब्रांड मैनेजमेंट
नाम में अव्वल
हर कंपनी ग्राहकों की मांग को देखते हुए अपने उत्पाद की ब्रांडिंग करना चाहती है ताकि उसका उत्पाद बाजार में सबसे खास लगे। अपने उत्पाद को अलग ढंग से प्रस्तुत करने की यही कला ब्रांडिंग कहलाती है। ब्रांडिंग की इस प्रकिया में ब्रांड मैनेजर अहम भूमिका निभाता है।
प्रतियोगिता के इस दौर में निश्चित तौर पर हर कंपनी अपने उत्पाद को अलग ढंग से प्रस्तुत करना चाहती है और यही वजह है कि इस तरह के पेशेवराना कोर्स की अब खूब मांग होने लगी है। इस कोर्स को ब्रांड मैनेजमेंट कहते हंै जिसके अंतर्गत किसी खास उत्पाद को मार्केटिंग तकनीकों के प्रयोग से ग्राहकों के सामने इस ढंग से पेश किया जाता है ताकि उसकी छाप लंबे समय तक बरकरार रहे। बतौर ब्रांड मैनेजर भाषा पर अच्छी पकड़ होना जरूरी है। वहीं बाजार की पूरी जानकारी होने के साथ ही ग्राहकों की उत्पाद को लेकर क्या मांग है, उस पर भी पैनी नजर होना जरूरी है। इसी के साथ आपमें रचनात्मकता और लोगों से संपर्क साधने की कला भी होनी चाहिए।
यह कोर्स करने के उपरांत आपके पास कई विकल्प होते हैं जहां से आप करियर की शुरुआत कर सकते हैं। शुरुआती तौर पर आप चाहें तो प्रोडक्ट मैनेजर या ब्रांड डेवलपमेंट मैनेजर के रूप में काम कर सकते हैं। आमतौर पर कोर्स पूरा करने के बाद छात्रों को देश की प्रमुख कंपनियों जैसे हिन्दुस्तान लीवर, गोदरेज, मंहिद्रा एंड मंहिद्रा, सन फार्मा, आदित्य बिरला ग्रुप, रिलायंस आदि में काम मिल जाता है।
एन्वायरनमेंटल बायोलॉजी
धरती से नाता
पर्यावरण जीवविज्ञानी यानी एन्वायरनमेंटल बायोलॉजिस्ट किसी विशेष वातावरण तथा उसमें रहने वाले लोगों की शारीरिक बनावट का अध्ययन करते हैं। ये पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा तथा इसके संतुलन पर पड़ने वाले दुष्परिणामों से भी लोगों को अवगत कराते हैं।
इसमें सफलतापूर्वक कोर्स करने के बाद छात्रों को रोजगार के लिए भटकना नहीं पड़ता। हर साल इकोलॉजिस्ट्स की मांग बढ़ती जा रही है। कई सरकारी और गैर सरकारी एजेंसियां, एनजीओ, फर्म व विश्वविद्यालय-कॉलेज हैं, जहां इस क्षेत्र के विशेषज्ञों को विभिन्न पदों पर काम मिलता है। मुख्य रूप से इन्हें शोध केन्द्रों जैसे सीएसआईआर, एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूूट, एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट, एन्वायरनमेंटल अफेयर डिपार्टमेंट, फॉरेस्ट्री डिपार्टमेंट, नेशनल पार्क, म्यूजियम, एक्वेरियम सेंटर में काम मिलता है। इसके अलावा कई निजी संस्थान प्राकृतिक संरक्षण के क्षेत्र में आगे आए हैं और वे भी इकोलॉजिस्ट्स को अपने यहां प्रमुखता से नियुक्त कर रहे हैं।
आप रिसर्चर इकोलॉजी साइंटिस्ट, नेचर रिसोर्सेज मैनेजर, वाइल्ड लाइफ मैनेजर, एन्वायरनमेंटल कंसल्टेंट और रेस्टोरेशन इकोलॉजिस्ट बन सकते हैं। विषय क्षेत्र व्यापक होने के कारण आप उन्हीं क्षेत्रों की ओर अपना कदम बढ़ाएं, जिनमें अधिक रुचि हो तथा जिसमें आप अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकें। आजकल इकोलॉजिस्ट्स के कामों का दायरा काफी बढ़ गया है। वे बड़े-बड़े भूखंडों के मालिकों, उद्योगपतियों तथा जल संसाधन कंपनियों से जुड़ कर उन्हें सलाह देने का काम कर रहे हैं।
एडवेंचर स्पोटर््स
क्या आपको साहसिक खेल पसंद हैं? अगर आप कुदरत के करीब रहना पसंद करते हैं तो एडवेंचर स्पोर्ट्स के क्षेत्र में करियर बना सकते हैं। पिछले कुछ साल में घरेलू पर्यटन का विकास होने की वजह से एडवेंचर स्पोटर््स के पेशेवर खिलाड़ियों की मांग में कई गुना इजाफा हुआ है। इसके अलावा नेशनल जियोग्राफिक और डिस्कवरी जैसे चैनल सामान्य यात्राओं की बजाय रोमांचक यात्राओं पर जाने वाले पर्यटकों को विशेष लाभ मुहैया कराते हैं। एडवेंचर स्पोटर््स के क्षेत्र में बतौर पेशेवर काम करने के लिए किसी विषय में बारहवीं या स्नातक डिग्री होना पर्याप्त है। इस योग्यता के आधार पर एडवेंचर स्पोर्ट्स में डिप्लोमा या डिग्री पाठयक्रम संचालित करने वाले संस्थानों में प्रवेश लिया जा सकता है। इन संस्थानों में प्रशिक्षण पाठयक्रम पूरा करने के बाद आसानी से रोजगार प्राप्त किया जा सकता है।
प्लास्टिक टेक्नोलॉजी
नया आयाम
वर्तमान समय में प्लास्टिक मानवी जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। आम आदमी की जरूरतों से लेकर उद्योग जगत तक में प्लास्टिक का प्रयोग दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। प्लास्टिक के बढ़ते उपयोग ने प्लास्टिक टेक्नोलॉजी के क्षेत्र को बहुत व्यापक बना दिया है। उद्योग का निरंतर विस्तार होने के कारण इसमें विशेषज्ञों की मांग में लगातार वृद्धि हो रही है। प्लास्टिक टेक्नोलॉजिस्ट का कार्य बहुत ही महत्वपूर्ण है। बीटेक इन प्लास्टिक टेक्नोलॉजी (4 वर्ष), एमटेक इन प्लास्टिक टेक्नोलॉजी (2 वर्ष), डिप्लोमा/पीजी डिप्लोमा इन प्लास्टिक टेक्नोलॉजी (3-4 वर्ष), डिप्लोमा/पीजी डिप्लोमा इन प्लास्टिक मोल्ड डिजाइन (3-4 वर्ष), डिप्लोमा इन प्लास्टिक प्रोसेसिंग ऐंड टेस्टिंग आदि के कोर्स करके बेहतर करियर बनाया जा सकता है ।
पर्यावरण विज्ञान
कुदरत की सजधज
पर्यावरण विज्ञान वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के लिए एक स्थायी जीवन शैली को बनाए रखने और पर्यावरण मॉडलिंग और क्षति को नियंत्रित करने के लिए वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग के सिद्धांतों और अवधारणाओं के नए अनुप्रयोगों के साथ आने के लिए विभिन्न पर्यावरणीय कारकों को मापने के लिए काम करता है और तकनीकी समाधान प्रदान करता है।
पर्यावरण विज्ञान और विभिन्न विभागों में सूक्ष्म जीव विज्ञान, वायुमंडलीय विज्ञान, जलवायु प्रबंधन, जल प्रबंधन, ऊर्जा प्रबंधन, पर्यावरण रसायन विज्ञान, पर्यावरण प्रौद्योगिकी, और समुद्र विज्ञान संबंधित है। पर्यावरण विज्ञान में कॅरियर के सभी शोध, निगरानी और हमारे वायुमंडलीय, स्थलीय और जलीय पर्यावरण को नियंत्रित करने से संबंधित है।
अंतरिक्ष विज्ञान
आकाश खंगालने की धुन
क्या अनंत आकाश आपको अपनी ओर आकर्षित करता है? क्या आपमें ब्रह्माण्ड के रहस्य सुलझाने का जज्बा है? भारत ने इस क्षेत्र में जो कामयाबियां हासिल की है, उन्हें देखते हुए देश ही नहीं, विदेशों में भी भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की खासी मांग है।
अंतरिक्ष विज्ञान (एस्ट्रोनॉमी) विज्ञान की वह शाखा है, जिसके अंतर्गत पृथ्वी से दूर ग्रहों, उपग्रहों, तारों, धूमकेतुओं, आकाश गंगाओं एवं अन्य अंतरिक्षीय पिंडों का अध्ययन किया जाता है। इसके अलावा अंतरिक्ष विज्ञान के अंतर्गत उन नियमों एवं प्रभावों का भी अध्ययन किया जाता है, जो इन्हें संचालित करते हैं। अंतरिक्ष विज्ञान में करियर उन हजारों रहस्यों से परदा उठाने का अवसर भी होता है, जो अभी तक अनसुलझे हैं। इसमें अपना करियर चुनने वाले जहां देश के सर्वोत्तम दिमाग माने जाते हैं, वहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बुद्धिजीवी के रूप में उनकी विशिष्ट पहचान बनती है। अंतरिक्ष विज्ञान में करियर बनाने के लिए 12वीं गणित समूह से करने के बाद बीएससी भौतिक एवं गणित विषयों के साथ होना जरूरी है। विज्ञान से स्नातक होने के बाद आप एस्ट्रोनॉमी थ्योरी या एस्ट्रोनॉमी आॅब्जर्वेशन कोर्स चुन सकते हैं। वहीं स्नातकोत्तर के बाद विशिष्ट पाठ्यक्रमों में प्रवेश लिया जा सकता है। आप इलेक्ट्रिकल/ इलेक्ट्रॉनिक्स/ इलेक्ट्रिकल कम्युनिकेशन में बीई करते हैं, तो इंस्ट्रूमेंट एस्ट्रोनॉमी या एक्सपेरिमेंटल एस्ट्रोनॉमी के क्षेत्र में करियर बना सकते हैं। इसी दिशा में आगे बढ़ने पर आगे एस्ट्रोनॉमी में पीएचडी भी कर सकते हैं। अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में देश में केवल स्नातक स्तर व पीएचडी कार्यक्रम ही विश्वविद्यालयों में सामान्यत: उपलब्ध हैं।
ऐप डेवेलपर
उंगली पर संसार
एक स्मार्टफोन कितना भी शानदार और नई टेक्नोलॉजी से युक्त क्यों न हो, जब तक उसमें ताजातरीन ऐप्स न चलते हों, ग्राहक उसे खरीदने में झिझकते हैं। इन ऐप्स के कारण ही स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और इसी के साथ बढ़ रहे हैं, ऐप डेवलपमेंट में करियर बनाने के अवसर। अगर आपको भी स्मार्टफोन के नए ऐप्स के बारे में जानने और उनके तकनीकी पहलुओं को समझने में दिलचस्पी है, तो आप बन सकते हैं बेहतरीन ऐप डेवलपर। एक अनुमान के मुताबिक स्मार्टफोन्स का बाजार मोबाइल ऐप्स के कारण दोगुनी तेजी से बढ़ रहा है। साफ है कि लोग अपनी सुविधा के लिए हर काम में मोबाइल ऐप्स का इस्तेमाल करना पसंद कर रहे हैं। यही कारण है कि आज फैशन से लेकर स्वास्थ्य और शिक्षा तक के लिए कई ऐप्स बाजार में अपनी जगह तो बना ही चुके हैं, ऐप डेवलपर्स के लिए भी कामयाबी के नए दरवाजे खुल रहे हैं। अगर आपकी इन मोबाइल ऐप्स के कामों और साफ्टवेयर में दिलचस्पी है तो इस क्षेत्र में शानदार करियर बना सकते हैं।
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