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सपा और बसपा की तुष्टीकरण नीतियों के लंबे दौर ने राज्य में नफरत और हिंसक उन्माद को पोसने का काम किया। पूरा उत्तर प्रदेश एक अजीब स्थिति का सामना कर रहा है। पूर्ववती सरकारों में मुस्लिम-बहुल इलाकों से हिंदुओं को कोई भी जुलूस निकालने की अनुमति नहीं दी जाती थी। इससे मजहबी कट्टरवादियों का दुस्साहस बढ़ा और पिछले दिनों सहारनपुर में उसी दुस्साहस की पुनरावृत्ति हुई
सुरेंद्र सिंघल
पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सहारनपुर एक जिला फिर से चर्चा में है। यहां के दूधली गांव में 20 अप्रैल को डॉ. भीमराव आंबेडकर शोभयात्रा पर मुसलमानों द्वारा कश्मीर की शैली में किए गए भीषण पथराव एवं गोलीबारी से यात्रा नहीं निकल सकी। इससे पूरे हिंदू समाज, विशेषकर अनुसूचित वर्ग की भावनाएं बुरी तरह आहत हुईं। उत्तर प्रदेश में पिछले 14 वर्ष से सपा-बसपा का राज रहा है और उस दौरान गांव के मुसलमानों ने कभी भी इस यात्रा को निकलने नहीं दिया। यात्रा के आयोजक हर बार मन मारकर बैठ जाते थे।
इस बार इस यात्रा के आयोजकों की भावनाओंे का सम्मान करते हुए सहारनपुर के भाजपा सांसद राघव लखनपाल शर्मा और विधायकों ने शोभायात्रा निकालने का प्रयास किया। शासन-प्रशासन 2011 से मुस्लिम तुष्टीकरण के चलते यात्रा को निकालने की अनुमति नहीं दे रहा था। डीआईजी जितेंद्र कुमार शाही कहते हैं कि पहले एक बार वहां दोनों पक्षों में सांप्रदायिक टकराव हो गया था, तब से यात्रा नहीं निकल पा रही है। उन्होंने आगे कहा कि गांव में वंचित वर्ग की पर्याप्त संख्या है और यात्रा निकलनी चाहिए। शासन यदि अनुमति दे देता है तो ठीक होगा।
इस बार स्थानीय जन प्रतिनिधियों और प्रशासन के बीच मौखिक सहमति बन जाने पर यात्रा शुरू हुई लेकिन दूसरे पक्ष ने बवाल पैदा कर दिया। शोभायात्रा में भाजपा सांसद राघव लखनपाल शर्मा, पूर्व विधायक राजीव गुंबर, महावीर राणा, विधायक देवेंद्र निम, ब्रजेश रावत, प्रदीप चौधरी और भाजपा के कई प्रमुख पदाधिकारियों के अलावा पुलिस-प्रशासनिक अधिकारी शामिल थे।
बीच रास्ते में एक मस्जिद के पास अवरोध खडे़ कर शोभायात्रा पर छतों से भीषण पथराव किया गया एवं गोलीबारी की गई। सूचना पर पुलिस आयुक्त एमपी अग्रवाल, डीआईजी जितेंद्र शाही, जिलाधिकारी शफक्कत कमाल एवं एसएसपी लव कुमार अतिरिक्त पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंंंंचे। सांसद ने फिर से यात्रा पूरी करने के प्रयास किए, लेकिन दूसरे पक्ष ने पुन: हमला बोल दिया। इससे पुलिस आयुक्त की सरकारी गाड़ी टूट गई और सांसद समेत कई अधिकारी, पुलिसकर्मी और यात्रा में शामिल अनेक लोग घायल हो गए। पुलिस अधिकारियों ने न तो यात्रा को पूरी कराने का संकल्प दिखाया और न ही हमलावरों के खिलाफ कोई जवाबी कार्रवाई की। उलटे, प्रशासन ने इस एकतरफा हमले को दो पक्षीय संघर्ष बताया और उसके लिए यात्रा के सूत्रधार भाजपा नेताओं को दोषी ठहराना शुरू कर दिया। यहां बता दें कि इस जिले और क्षेत्र में वही पुलिस अधिकारी अभी भी हैं, जिन्हें पिछली सरकार ने तैनात किया था। इसलिए इस मामले में भी इन अधिकारियों की वही पुरानी मानसिकता कायम है कि चाहे गलती हो या नहीं, बहुसंख्यक समाज पर ही दोष
मढ़ दो।
इसके बाद भाजपा कार्यकर्ताओं ने यात्रा पर हुए हमले का प्रतीकात्मक विरोध दर्ज कराने के लिए एसएसपी के बंगले का रुख किया। कुछ ही देर में वहां 400-500 लोगों की भीड़ पहुंच गई। इसमेंे कुछ लोगों ने घुसकर उपद्रव मचाया और स्थिति को बिगाड़ने की कोशिश की। वहां मौजूद सांसद और विधायकों ने उन्हें समझाने का भरसक प्रयास किया। एसएसपी बंगले के गेट पर लगी नेम प्लेट उखाड़ दी गई और जमकर नारेबाजी की गई। कुछ घंटे बाद मेरठ क्षेत्र के आईजी अजय आनंद, जो सहारनपुर में एसएसपी भी रह चुके हैं, एसएसपी बंगले पर पहुंचे। उन्होंने वहां जनपद के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में सांसद और विधायकों के साथ बातचीत कर उचित समाधान निकालने का भरोसा दिया। तब सभी लोग एसएसपी के बंगले से चले गए। बाद में पुलिस की ओर से दोनों पक्षों के खिलाफ संगीन धाराओं में दो मुकदमे दर्ज कराए गए। इसमें भाजपा सांसद और सभी विधायकों एवं भाजपा जिलाध्यक्ष बिजेंद्र कश्यप, महानगर अध्यक्ष अमित गगनेजा की उपस्थिति दर्शाई गई और सांसद के करीबियों को चुन-चुनकर नामजद किया गया। पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी को ताबड़तोड़ दबिशें भी दीं और कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया गया।
दलित सेना के मंडल प्रभारी सुरेंद्र बौद्ध ने आंबेडकर यात्रा पर हुए पथराव की निंदा की। उन्होंने पूर्व में यात्रा को निकालने की अनुमति न देने के लिए मायावती की तुष्टीकरण नीति को दोषी बताया। उन्होंने कहा कि बसपा के नेता हाल में हुई पराजय से भी सबक नहीं ले रहे हैं और एक पक्ष को खुश करने के लिए अनुसूचित वर्ग की भावनाओं से खिलवाड़ कर रहे हैं। उधर आंबेडकरवादी और चिंतक विनोद तेजयान का कहना था कि इस गांव में अनुसूचित वर्ग की यात्रा निकलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि दु:ख की बात यह है कि मायावती ने मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए भी उस गांव में रविदास जयंती और आंबेडकर यात्रा निकालने के प्रयासों को सफल नहीं होने दिया। उनका मानना है कि मोदी और योगी राज में अनुसूचित वर्ग की भावनाओं की हर स्तर पर कद्र होगी और उनके आयोजनों को भरपूर सहयोग एवं संरक्षण मिलेगा।
सहारनपुर में दो वर्ष डीआईजी रहे डॉ. अशोक कुमार राघव, जो वर्तमान में एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के कुलपति हैं, कहते हैं, ''पिछले 14 वर्ष से प्रदेश में गैर-भाजपा सरकारें रही हैं, जिनका मकसद हिंदुओं की भावनाओं को कुचलना रहा है। उस दौरान के ज्यादातर नौकरशाहों की मानसिकता भी वैसे ही विकसित हो गई है।'' उन्होंने यह भी कहा कि सहारनपुर का प्रशासन जन भावनाओं को नहीं समझ पा रहा है। उसकी यही मानसिकता दूधली प्रकरण के लिए जिम्मेदार है।
पिछले दिनों देवबंद में दुष्कर्म के आरोपी मसूद मदनी के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों को भी एसएसपी ने नाहक कानूनी शिकंजे मंे कसने का काम किया। डॉ. राघव कहते हैं कि वंदे मातरम् का गायन भारत की राष्ट्र नीति है। इसका गायन सभी को करना चाहिए। डॉ. राघव ने अपने प्रशासनिक अनुभव के आधार पर कहा कि जिन गांवों में अनुसूचित वर्ग और मुसलमानों की मिश्रित आबादी है, उनमें मुसलमान अनुसूचित वर्ग के लोगों को होली नहीं खेलने देते और मस्जिदों के सामने से उनकी बारात नहीं निकलने देते। यही नहीं रविदास जयंती पर जुलूस नहीं निकलने देते और रविदास मंदिर नहीं बनने देते। उनका यह भी कहना था कि अनुसूचित वर्ग के समर्थन से जीतने वाले मुसलमान जन प्रतिनिधियों ने कभी भी उनके हितों की पैरवी नहीं की।
योगाचार्य डॉ. वरुणवीर कहते हैं कि भाजपा सांसद और विधायकों की नाराजगी की वजह जायज है, क्योंकि अखिलेश राज में देवबंद में मुस्लिम उपद्रवियों द्वारा तब के पुलिस अधीक्षक (देहात) डा़ॅ अनिल मिश्र पर जानलेवा हमला कर उनके गनर से लूटी गई एके 47 राइफल पुलिस ने अब तक बरामद नहीं की। पिछले दिनों नकुड़ के एक युवक मयंक मित्तल द्वारा एक पोस्ट को पसंद किए जाने पर तत्कालीन डीजीपी जावीद अहमद ने रासुका लगवाने का काम किया। वरुणवीर ने कहा कि उन्होंने सहारनपुर का दौरा कर पूरी स्थिति की गहराई से जांच की। उन्हें लगता है कि जिला प्रशासन ने लखनऊ को सही स्थिति से अवगत नहीं कराया। वहीं भाजपा संासद राघव लखनपाल शर्मा ने पुलिस द्वारा भाजपा कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा को पूरी बात बता दी है। उन्होंने भी कहा कि जीत आखिर में सचाई की ही होगी। लोग महसूस कर रहे हैं कि हिंदुओं की भावनाएं कब तक कुचली जाएंगी?
लोग यह भी कह रहे हैं कि जब किसी मंदिर के पास से ताजिया का जुलूस निकलता है तो किसी को कोई दिक्कत नहीं होती पर जब किसी मस्जिद की बगल से कोई शोभायात्रा निकलती है तो उस पर पत्थर बरसाए जाते हैं, गोलियां चलाई जाती हैं। विरोध करने पर कहा जाता है कि मुसलमानों के साथ अत्याचार हो रहा है। इसलिए इस मामले की सचाई जितनी जल्दी हो, बाहर आनी चाहिए।
सहारनपुर का प्रशासन जन भावनाओं को नहीं समझ पा रहा है। उसकी यही मानसिकता दूधली प्रकरण के लिए जिम्मेदार है।
—डॉ. अशोक कुमार राघव
पूर्व डीआईजी
सहारनपुर का प्रशासन जन भावनाओं को नहीं समझ पा रहा है। उसकी यही मानसिकता दूधली प्रकरण के लिए जिम्मेदार है।
—डॉ. अशोक कुमार राघव
पूर्व डीआईजी
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