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'फिल्म जगत में भारतीय इतिहास को तोड़-मरोड़कर फिल्में बनाई जा रही हैं। दूसरी ओर हमारे समृद्धपूर्ण इतिहास को वामपंथी इतिहासकारों ने गलत ढंग से लिखा। इसमें आश्चर्य की बात नहीं होनी चाहिए क्योंकि यह बौद्धिकता की लड़ाई है। पर यह बौद्धिकता कैसी? यह जानना महत्वपूर्ण है।' यह कहना है भारतीय शिक्षण मंडल के सह संगठन मंत्री श्री मुकुल कानितकर का। वे दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज द्वारा ग्रुप ऑफ इंटैक्चुअल्स ऐंड एकेडिमिशियंस (जीआईए) कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि इतिहास को तोड़ने वाले तीन प्रकार के लोग होते हैं। जिसमें सबसे लम्पट होते हैं-सो कॉल्ड इतिहासकार, जो मैकाले के फॉलोअर्स हैं और अपने आप को वामपंथी कहने में गर्व महसूस करते हैं। मैकाले ने भारत के गौरवपूर्ण इतिहास को बदला क्योंकि अंग्रेजों को भारत को लूटना था। लूटना तभी संभव था, जब भारत के लोग दीन-हीन-दास बन जाते। उसने भारतीयों के मन को हराने के लिए हमारे आदर्शवादी एवं विराट इतिहास को बदल डाला। इसके बाद भारत को अंग्रेजों द्वारा लूटना आसान हो गया। ठीक यही काम भारत की आजादी के बाद शुरू की केंद्र सरकार ने मैकाले फॉलोअर्स से अपने ढंग से इतिहास लिखवाकर किया।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि हाल ही में आई फिल्म दंगल को ही देख लीजिये। उसमें फोगाट बहनों की कहानी दिखाई गई है। लेकिन आमिर खान एंड प्रोडक्शन ने उसमें ये कहीं नहीं दिखाया कि वह हनुमान जी की परम भक्त हैं। अब ये कितनी बड़ी सोची-समझी साजिश के तहत बदमाशी है। हमें ऐसे लोगों से लड़ाई जारी रखनी है, लेकिन हिंसात्मक होकर नहीं, सिर्फ और सिर्फ बौद्धिकता के स्तर पर। तभी जाकर इन देश विरोधियों का अस्तित्व खत्म हो पाएगा।
स्वामी विवेकानंद केंद्र की अल्कागौरी जोशी जी कहा कि जब हमें अपने पूर्वजों पर श्रद्धा नहीं है तो आखिर कैसे अपने आप पर गर्व होगा? ऐसा स्वामी विवेकानंद जी कहा करते थे। और आज हमारे युवाओं के साथ भी ऐसा है। इसमें उनका कोई दोष नहीं है, क्योंकि उन्होंने इतिहास किताबों में पढ़ा या फिल्मों से जाना है। इन दोनों ही माध्यमों में भारतीय इतिहास को गलत तथ्यों के साथ प्रस्तुत किया गया़, जिसका असर यह हुआ कि हम भारतीयों के मन में दीन-हीन की भावना बैठ गई और आज भी वर्तमान में ऐसा कुछ फिल्मकारों और इतिहासकारों द्वारा किया जा रहा है। शहीद राजगुरु कॉलेज की प्रधानाचार्य पायल मागो ने कहा कि अंग्रेज और वामपंथी इतिहासकारों द्वारा भारत के इतिहास में ऐसे-ऐसे तथ्य शामिल किये गए कि भारत के हिन्दू समाज को बौद्धिकता के स्तर पर पंगु बनाया जाए। यह काम उन्होंने बड़े ही शातिराना अंदाज में किया। ग्रुप ऑफ इंटैक्चुअल्स ऐंड एकेडिमिशियंस की संयोजिका व सर्वोच्च न्यायालय की वरिष्ठ अधिवक्ता मोनिका अरोड़ा ने कहा कि हमारा इतिहास कुछ चतुर इतिहासकार शिकारियों ने लिखा है। उनकी चाल देखिए कि हमारे पूर्वजों को डरपोक बताया और औरंगजेब, खिलजी जैसे लुटेरों को एक आदर्श के रूप में स्थापित किया । और आज फिल्म जगत के फिल्मकार भी वही कर रहे हैं। इन सभी को बेनकाब करने की आवश्यकता है। -प्रतिनिधि
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