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हरियाणा सरकार ने सोनीपत जिले के राई गांव में 9 से 11 फरवरी तक दीनदयाल उपाध्याय मेमोरियल अखिल भारतीय नेशनल स्टाइल कबड्डी प्रतियोगिता का आयोजन किया। इसमें हरियाणा की टीम ने रेलवे को हराकर एक करोड़ रु. का इनाम जीता। इसमें 12 टीमों ने हिस्सा लिया।
-मनोज जोशी-
पहले भारत केसरी दंगल और फिर दीनदयाल उपाध्याय मेमोरियल अखिल भारतीय नेशनल स्टाइल कबड्डी। इन दोनों आयोजनों के साथ हरियाणा सरकार के खेल एवं युवा मामलों के मंत्रालय ने साबित कर दिया है कि देश में खेलों को बढ़ावा देने में वह सबसे आगे है। आकर्षक इनामी राशि, देश के श्रेष्ठ खिलाडि़यों की मौजूदगी और उनके बीच पुराने दिग्गजों को सम्मानित करने की परम्परा, ये समस्त चीजें इस आयोजन को बाकी आयोजनों से एकदम अलग साबित करती हैं।
इस बार राई स्थित मोतीलाल नेहरू खेलकूद विद्यालय में तीन दिवसीय कबड्डी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। इसमें पहला इनाम एक करोड़, दूसरा 50 लाख, तीसरा 25 लाख और चौथा 11 लाख रुपये का था। हरियाणा की टीम ने रेलवे को हराकर एक करोड़ का इनाम जीता। देश के पुराने अर्जुन और द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेताओं को सम्मानित करके आयोजकों ने साबित कर दिया कि वे भविष्य के चैम्पियन तैयार करने के साथ पुराने दिग्गजों को भी साथ लेकर चलते हैं। राज्य सरकार चाहती तो कोई टूर्नामेंट कराकर अपने खिलाडि़यों में सारा इनाम बांट सकती थी। लेकिन उसने सभी खिलाडि़यों को
अच्छा अवसर देने के उद्देश्य से देश की शीर्ष 12 टीमों को आमंत्रित किया और उनमें एक स्वस्थ प्रतियोगिता कराकर शीर्ष चार टीमों में इनाम बांटा।
टूर्नामेंट में भाग लेने वाली 12 टीमों को चार वगोंर् में बांटा गया था। पूल 'ए' में सेना, तमिलनाडु और महिंद्रा एंड महिंद्रा की टीमें थीं। पूल 'बी' में मेजबान हरियाणा, दिल्ली और बीपीसीएल की टीमों को रखा गया। पूल 'सी' में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, एयर इंडिया और पूल 'डी' में रेलवे, उत्तराखंड और ओएनजीसी की टीमों को रखा गया था। ज्यादातर मुकाबलों में कड़ा संघर्ष दिखा। इस खेल में भारत की रफ्तार को देखकर लगता है कि वह सही ट्रैक पर है, जहां काफी संख्या में हर साल अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी तैयार हो रहे हैं। यहां यह बताना जरूरी है कि आज 35 देशों में कबड्डी खेली जाती है। इस खेल की विश्व चैम्पियनशिप भी होती है और यह एशियाई खेलों का एक नियमित अंग है। अगर कबड्डी खेलने वाले देशों की संख्या 50 तक पहुंच जाती है तो भारत इसे ओलिम्पिक में शामिल करने की दिशा में कदम उठाएगा। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय कबड्डी महासंघ के अध्यक्ष जनार्दन सिंह गहलौत इस दिशा में अहम भूमिका निभा सकते हैं। वहीं, एशियाई खेलों में कबड्डी को 1990 में पहली बार शामिल किया गया था। तब से लेकर 2014 के इंचियोन एशियाई खेलों तक भारत ने कभी कबड्डी का गोल्ड मेडल नहीं गंवाया। इसी तरह 2010 में पहली बार महिलाओं की कबड्डी को इन खेलों में शामिल किया गया और भारतीय टीम दोनों बार चैम्पियन रही।
आज जरूरत है इस श्रेष्ठता को बरकरार रखने की। यह अपने आप में गर्व का विषय है कि हमारी परम्परा से जुड़े इस खेल को आज न सिर्फ 35 देश खेलते हैं, बल्कि साल में दो बार कबड्डी लीग का आयोजन भी किया जाता है। इसमें बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन, अभिषेक बच्चन और पूर्व विश्व सुंदरी ऐश्वर्या राय से लेकर कई हस्तियां इन खिलाडि़यों के प्रदर्शन पर तालियां बजाती दिखाई देती हैं। इस श्रेष्ठता को बरकरार रखने और अपनी परम्पराओं को जिंदा रखने के उद्देश्य से ही हरियाणा सरकार ने यह पहल की। वहीं, हरियाणा की टीम ने देश की चुनिंदा टीमों के बीच यह खिताब जीतकर साबित कर दिया कि उसके बढ़ते कदम सही दिशा की ओर हैं। हरियाणा ने सेमीफाइनल में उस सेना टीम को हराया, जिसने उसे राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में हराया था।
यानी हरियाणा की टीम ने इस जीत के साथ पिछली हार का हिसाब चुकता कर लिया। इसी तरह राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में रेलवे जैसी आला दर्जे की टीम को सेमीफाइनल में कड़े संघर्ष में हराने के बाद हरियाणा ने यहां भी उसका पीछा नहीं छोड़ा और फाइनल में उसे हराकर खिताब पर कब्जा जमा लिया। यह स्थिति तब है जबकि अनुभवी कप्तान अनूप कुमार की अगुआई में हरियाणा ने कई तरह के प्रयोग किये, जिसमें प्रमुख है युवा खिलाडि़यों को ज्यादा से ज्यादा मौका देना। यही वजह है कि टीम के युवा खिलाड़ी आशीष सांगवान, सुनील कुमार, प्रवेश, रोहित गुलिया, नवीन कुमार, विकास कुमार और विकास कंडोला जूनियर से सीनियर में आकर भी अपनी उपस्थिति शानदार तरीके से दर्ज कराने में सफल रहे। वहीं, कप्तान अनूप के अलावा सुरेद्र नाडा, राकेश नरवाल, अनिल और योगेश हुड्डा के अनुभव ने टीम की बल्ले- बल्ले कर दी। सच तो यह है कि हरियाणवी टीम ने लट्ठ गाड़ दिया़..़डूंडा ढा दिया़.़..चाड़ा फाड़ दिया यानी गजब ढा दिया।
गौरतलब है कि देश की आबादी का केवल दो फीसदी हिस्सा ही हरियाणा में रहता है, लेकिन यह राज्य अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में देश को 30 से 40 फीसदी तक पदक दिलाता है। खासकर कुश्ती, मुक्केबाजी, हॉकी और एथलेटिक्स सहित तमाम खेलों में हरियाणा का कोई जवाब नहीं है। गोल्फ और टेनिस जैसे एलीट क्लास के खेलों में भी हरियाणा से चैम्पियन सामने आते रहे हैं। यह सब इसलिए सम्भव हुआ, क्योंकि हरियाणा ने अपने युवाओं की ऊर्जा को सही दिशा में लगाया। इसके लिए उसने अपने खेल ढांचे में युद्घ स्तर पर सुधार किया। इसके लिए जिला स्तर पर स्पोर्ट्स नर्सरी का निर्माण किया गया। क्रिकेट, जूडो, बॉक्सिंग, हॉकी, बास्केटबॉल, कबड्डी, कुश्ती, फुटबॉल, वॉलीबॉल, टेबल टेनिस, जिम्नास्टिक, बैडमिंटन और एथलेटिक्स की अकादमियों का गठन किया गया। खेल प्रतियोगिता योजना के अंतर्गत इनामी प्रतियोगिताएं कराई गईं जिनका आयोजन देश के अन्य भागों में नहीं होता। इन्सेंटिव स्कीम के तहत शानदार प्रदर्शन करने पर भारी इनाम और स्कॉलरशिप भी दी गई। राज्य में अर्जुन पुरस्कार, ध्यानचंद पुरस्कार और द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेताओं के लिए अलग से पेंशन योजना शुरू की गई। इसके अलावा युवा कल्याण योजना और खेल उपकरण योजना के अंतर्गत स्कूल स्तर से लेकर जिला स्तर पर खेलों के बुनियादी उपकरण मुहैया कराए गए।
हरियाणा सरकार कबड्डी को कितनी गंभीरता से लेती है, इसका अंदाजा पूरी सरकारी मशीनरी की इस आयोजन में मौजूदगी से लगाया जा सकता है। इसमें राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के अलावा खेल मंत्री अनिल विज, परिवहन मंत्री कृष्ण लाल पवार, सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर, महिला एवं बाल विकास मंत्री कविता जैन और इससे एक दिन पहले राज्य के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु मौजूद थे।
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