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गत दिनों दीनदयाल उपाध्याय, गोरखपुर विश्वविद्यालय में सेवा भारती की युवा शाखा 'युवा भारती' की ओर से 'सेवा, समरसता और युवा' विषयक राष्ट्रीय परिसंवाद का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में रा.स्व.संघ के अखिल भारतीय सह सेवा प्रमुख श्री अजित महापात्र उपस्थित रहे। गोष्ठी को संबोधित करते हुए श्री महापात्र ने कहा कि युवाओं को देश के बारे में सोचना चाहिए। मसलन देश क्या है? क्या हो सकता है? गरीब होना क्यों गुनाह है? सबकी सेवा करने वाला समाज का वंचित वर्ग सर्वाधिक उपेक्षित क्यों है? तमाम तरक्की के बावजूद देश के 27़2 करोड़ लोग दो वक्त की रोटी को क्यों मोहताज हैं? अगर आपको यह सोच परेशान करेगी, आप इनके हल के बारे में सोचेंगे, इनको दूर करने का प्रयास करेंगे तो देश जरूर बदलेगा। उन्होंने कहा कि सामर्थ्यवान् युवाओं को समाज के प्रति अपने दायित्वों का निर्वहन करना चाहिए। यह देश जीवन मूल्यों पर विश्वास करने वाला है। स्वामी विवेकानंद ने शिकागो सम्मेलन में इसे ही प्रमुखता से रखा। विवेकानंद ने कहा कि मुझे सौ समर्पित युवा मिल जाएं तो मैं इस देश का भविष्य बदल दूंगा।
उन्होंने युवाओं का आह्वान किया कि वे गरीब बस्तियों में सेवा कार्य करें। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्रो़ श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी ने कहा कि भारत को मूलत: युवाओं का देश कहा जाता है। देश को आगे ले जाने में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। प्रतिनिधि
'संघ का लक्ष्य समाज का संगठन करना'
पिछले दिनों नई दिल्ली के विश्व पुस्तक मेले में भारतीय शिक्षा मंडल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री श्री मुकुल कानितकर ने 'जानिये संघ को' तथा 'नो अबाउट आरएसएस' शीर्षक से दो पुस्तकों का लोकार्पण किया। श्री अरुण आनंद लिखित इन पुस्तकों को प्रभात प्रकाशन ने प्रकाशित किया है। इस अवसर पर श्री मुकुल कानितकर ने पुस्तकों के विषय 'जानिये संघ को' पर चर्चा करते हुए कहा कि जिसने एक बार ध्वज प्रणाम कर लिया, उसको हम अपनी सूची में स्वयंसेवक मानते हैं। संघ को बाहर रह कर नहीं समझा जा सकता, संघ को समझने के लिए शाखा में आना आवश्यक है। संघ में आने पर व्यक्ति स्वत: ही व्यवस्थित हो जाता है, वह बाद में किसी भी क्षेत्र में जाता है तो दिया गया कार्य सवार्ेत्तम ढंग से पूर्ण करता है। उन्होंने कहा कि संघ में प्रचारक बनने पर परिवार को छोड़ा नहीं, अपितु और विस्तृत किया जाता है। विवाह न करना समाज से संन्यास न होकर यहां समाज से जुड़ने का माध्यम बन जाता है और एक प्रचारक के लिए पूरा देश अपना परिवार बन जाता है। संघ इतना बड़ा है कि परस्पर विरोधी चीजें इसमें समावेशित हो जाती हैं। इससे कोई दिक्कत नहीं होती। उन्होंने कहा कि आज से 15-20 साल पहले संघ में प्रचार विभाग नहीं था। परमपूज्य गुरु जी के पत्रों में लिखा है 'प्रसिद्धि पराणूप' यह मराठी का शब्द है, जिसका अर्थ है प्रसिद्धि से दूर रहना। इसलिए गुरुजी फोटो नहीं खिंचवाते थे, उनकी फोटो बहुत कम मिलेगी। लेकिन 15-20 साल पहले संघ को समझ में आया कि युग बदल रहा है, युग की व्यवस्थाएं बदल रही हैं और उसमें यदि हम नहीं बात करेंगे तो लोग हमारे बारे में जो मन में आया, वह लिखेंगे। उससे अच्छा है कि हम ही अपने बारे में बताना शुरू करें। इसलिए सूचनाओं-विचारों को प्रवाह देने के लिए संघ में प्रचार विभाग बना। उन्होंने कहा कि संघ ने स्वयं को युगानुकूल रखने के लिए लचीला बनाया है और यह संघ की ताकत भी है। वास्तव में यह हिन्दू धर्म, हिन्दू समाज और संस्कृति की ताकत है। इतने हजारों वषोंर् से, हजारों आक्रमणों के बाद भी हिन्दू संस्कृति जीवित है, इसका एकमात्र कारण है कि यह झुकावदार है, और किसी एक स्तम्भ पर टिकी हुई नहीं है। इसमें किसी एक जगह से बता दिया कि यह करो, ऐसा नहीं है। अलग-अलग रूप लेकर विविधता से अपने आपको ढालें, यही बात संघ में है। इसलिए संघ पर पुस्तक लिखना बहुत जबरदस्त काम है जो अरुण आनन्द ने किया। (इंविसंके)
भारत के चितंन का आधार अध्यात्म
भोपाल के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ़ मनमोहन वैद्य ने विद्यार्थियों के साथ संवाद एवं 'भारत की अवधारणा' विषय पर व्याख्यान दिया। इस विश्वविद्यालय के तत्वावधान में रजत जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो़ बृज किशोर कुठियाला ने की। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री वैद्य ने कहा कि भारत दुनिया में एक विशेष स्थान क्यों रखता है? उसकी पहचान क्या है? उसकी विशेषता क्या है? भारत की संस्कृति में सबके लिए स्थान और सम्मान क्यों है? जब हम इन प्रश्नों के उत्तर तलाशते हैं, तब हमें ध्यान आता है कि अध्यात्म भारत के चिंतन का मूल आधार है, जो भारत को दुनिया में विशेष बनाता है। अध्यात्म, जीवन के प्रति विशिष्ट दृष्टि, सर्वसमावेशी सिद्धांत, विद्या एवं अविद्या की परंपरा, यह भारत की विशेषता है। भारत में जीवन को देखने की एक विशिष्ट दृष्टि है। यहां अनेक विविधताओं को जोड़ने वाला तत्व अध्यात्म है। हम मानते हैं कि सबमें एक ही तत्व व्याप्त है। सब एक ही चैतन्य का अंश हैं। इसी विचार के कारण हम अनेकता में एकता को आसानी से स्वीकार कर लेते हैं, क्योंकि हमारा मानना है कि एक ही तत्व है, जो अनेकता में अभिव्यक्त हुआ है। इस अवसर पर अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो़ बृज किशोर कुठियाला ने कहा कि 'मैं ही' नहीं, बल्कि 'मैं भी' भारत की अवधारणा है। अर्थात् अपने साथ समाज और देश की चिंता करना ही भारतीय विचार है। (विसंकें, भोपाल)
गोधन बनेगा समृद्धि का आधार
गुजरात में पिछले कई वषोंर् में गोरक्षा, संवर्धन और विकास क्षेत्र में काफी सराहनीय कार्य हुआ है। इस कार्य को आगे बढ़ाने के लिए वाइब्रेंट समिट एक बेहतर माध्यम बना है। औद्योगिक विकास के साथ परंपरागत उद्योग कृषि एवं पशुपालन को प्रोत्साहन देने के लिए हाल ही में कुछ समझौते किए गए। इसमें 146 करोड़ रु. के खर्च से विभिन्न प्रकल्प शुरू किए जाएंगे। वाइब्रेंट समिट में गोसेवा आयोग द्वारा 'लाइवस्टक कन्सेप्ट: इन्वेस्टमेंट, अपर्चुनिटी एंड चैलेंजेस' विषय पर अमदाबाद में एक सेमिनार आयोजित किया गया। इस अवसर पर गोसेवा एवं गोचर विकास बोर्ड के चेयरमैन श्री वल्लभभाई कथीरिया ने कहा कि खेतीबाड़ी के साथ संलग्न पशुपालन को आर्थिक रूप से सक्षम बनाना होगा। खेती और पशुपालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाने का आधार है। ऐसे में पशुपालन के माध्यम से दूध उत्पादन करके लोगों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाया जा सकता है। इस दिशा में लगातार प्रयास भी किया जा रहा है। केन्द्रीय राज्यमंत्री श्री मनसुखभाई मांडविया ने पशुपालन का महत्व बतलाते हुए कहा कि प्राचीनकाल में गोधन काफी महत्वपूर्ण था, जिस व्यक्ति के पास गायों की संख्या जितनी ज्यादा हो, उसे उतना ही धनवान माना जाता था। आज भी गोपालन वैज्ञानिक पद्धति से किया जाए तो इसके फलदायी परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।
इस मौके पर राज्य के मुख्यमंत्री श्री विजय रूपाणी एवं केन्द्रीय रक्षा मंत्री श्री मनोहर पर्रिकर की उपस्थिति में पशुपालन एवं गोसेवा क्षेत्र में चार करार किए गए। इनमें 51 करोड़ रुपए के खर्च से 1000 गायों के लिए सजीव खेती के साथ गोशाला बनाई जाएगी। यह प्रोजेक्ट गोग्राम विकास एलएलपी द्वारा विकसित किया जाएगा, जिसे 350 एकड़ में विकसित करने के साथ ही नागरिकों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। इसके साथ ही श्री सरस्वती सीताराम फाउंडेशन के साथ हुए एमओयू के अंतर्गत गाय के गोबर से आर्थिक उपार्जन करने का प्रोजेक्ट स्थापित किया जाएगा। 50 करोड़ के खर्च से स्थापित होने वाले इस प्रोजेक्ट से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा। प्रतिनिधि
'देश-समाज के निर्माण में संचार की भूमिका अहम'
'देश व समाज के निर्माण में संचार की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इंटरनेट के आगमन ने समाज के प्रत्येक व्यक्ति को संचार प्रक्रिया का हिस्सा बना दिया है। संचार क्रांति से जुड़ा विश्व संपूर्ण मानव जाति के लिए हितकर होगा और संचार क्रांति ने प्रगति व सफलता के अनेकों मार्ग प्रशस्त किए हैं।' गत दिनों पाञ्चजन्य एवं आर्गनाइजर (भारत प्रकाशन) के समूह संपादक श्री जगदीश उपासने ने विश्व पुस्तक मेले के दौरान राष्ट्रीय पुस्तक न्यास व प्रेरणा मीडिया नैपुण्य संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 'संचार की भारतीय परंपरा' विषयक विचार गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में ये विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित जौनपुर विवि. के पूर्व कुलपति प्रो़ प्रेमचन्द्र पतंजलि ने वैदिक संचार पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत में संचार सूत्र प्रणाली महत्वपूर्ण रही है। भारतीय संस्कृति में संचार की विविध प्रणालियों व प्रारूपों का वर्णन मिलता है। कार्यक्रम संयोजक व संचालक डॉ़ प्रदीप कुमार ने आयोजन की प्रस्तावना प्रस्तुत करते हुए संचार की भारतीय परंपरा के विविध पक्षों का उल्लेख किया। प्रतिनिधि
'भारत का प्राचीन इतिहास छात्रों को पढ़ने की आवश्यकता '
'राष्ट्रीय विचारों से भारतीय समाज को एकजुट बनाये रखने का सबसे बेहतर माध्यम पुस्तक है। वर्तमान समय में शिक्षा के क्षेत्र में प्राचीन इतिहास पाठ्यक्रम से नदारद है, जिससे आज के छात्र अनभिज्ञ हंै, इसलिए छात्रों को पाठ्यक्रम में बदलाव कर भारत का प्राचीन इतिहास पढ़ने की आवश्यकता है।' ये उद्गार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख श्री जे.नंद कुमार ने मध्य प्रदेश के कटनी में साधुराम विद्यालय में आयोजित 7वें पुस्तक एवं स्वदेशी मेले में सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि इस देश में बहुत से साहित्य जगत से जुड़े हुए साहित्यकार व विद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थी निजी हित के चलते देश को तोड़ना चाहते हंै पर इस देश को तोड़ पाना संभव नहीं है। यह देश चिरपुरातन काल का है जब हमारे वेदों की रचना हुई थी उससे भी पहले की हमारी यह हिन्दू संस्कृति है।
उन्होंने कहा कि समाज में हर किसी को अच्छा साहित्य मिलना चाहिये और इस तरह के पुस्तक मेले का आयोजन सभी जगह होना चाहिये। साथ ही इसकी व्यापकता भी बढ़नी चाहिये। हमें बड़ा सोचना व बड़ा करना पड़ेगा तभी हम अपनी मंजिल को पा सकेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे चित्रकूट महात्मा गांधी ग्रामीण विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. नरेश चन्द्र गौतम ने अपने उद्बोधन में कहा कि पुस्तक लिपिबद्ध कार्यक्रम या वास्तु है जिससे अतीत को जान सकते हैं। आदिकाल से पत्थर और पत्तों पर लिखा जाता था जो अब कागज में लिखा जाने लगा है। किताब से संस्कार और संस्कृति जानने को मिलती है जिसमे शालीनता, सरलता और स्वच्छता रहती है। और इस तरह के पुस्तक मेले से यह क्रम निरंतर जारी रहता है। प्रतिनिधि
महापुरुषों के कार्य पहुंचाएं जनजन तक
विहिप व बजरंग दल द्वारा महापुरुष विवेकानन्द नमन वंदन कार्यक्रम गत दिनों देहरादून के अम्बेडकर पार्क में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। महापुरुष नमन वंदन कार्यक्रम में बजरंग दल महानगर संयोजक श्री विकास वर्मा ने कहा कि वर्तमान की भागदौड़ में हम अपनी सनातन संस्कृति को अग्रसर करने वाले महापुरुषों को भूल बैठे हैं। हमारा उद्देश्य महापुरुषों द्वारा किये गए आध्यात्मिक व सामाजिक कायोंर् को जन जन तक पहुंचाकर समाज में वही चरित्र दोबारा उत्पन्न करना है। इस शृंखला मंे संगठन महापुरुषों के नमन वंदन कार्यक्रम समय-समय पर करता है। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानन्द का चरित्र सनातनी सभ्यता के लिये सर्वत्र उपयोगी और विस्तारवादी रहा है। कार्यक्रम में दर्शन लाल, दुर्गा वाहिनी विभाग संयोजिका भावना शर्मा व कमल बिज्लवाण सहित अनेक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
(विसंके, देहरादून)
'समाज उत्थान का कार्य करता संघ'
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ-मेहसाणा विभाग, गुजरात द्वारा वैश्विक परिदृश्य में गत दिनों भारत विषय पर प्रबुद्ध नागरिक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। विचार गोष्ठी के समापन सत्र को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख श्री अनिरुद्ध देशपांडे ने संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आप सब समाज के चिंतक वर्ग से हैं और आप सबने मिलकर एक गंभीर विषय पर चिंतन किया। संघ संस्थापक पू़ डॉ़ साहब कहा करते थे कि संघ की रजत जयंती मनाने की उत्सुक्ता नहीं है क्योंकि संघ कोई संप्रदाय,संस्था नहीं है। संघ यानी समाज और समाज यानी संघ। संघ समाज में जागृति लाने और समाज उत्थान का कार्य करता है। स्वतंत्रता के बाद समाज स्वच्छ रहे और भेदभाव रहित रहे, इसी के लिए संघ प्रयासरत है। राष्ट्र की चिंता करने वाले लोगों से संघ बना है। संघ सिर्फ संगठन करेगा। स्वयं प्रेरणा से आपदा के समय समाज के साथ खड़ा रहे, वह संघ है। संघ समाज को एकरस रखने के लिए सतत प्रयत्नशील है। उन्होंने कहा कि हमारा राष्ट्र सांस्कृतिक राष्ट्र है। अन्य देशों की तुलना में यहां अनेक विविधता होने पर भी यह एक राष्ट्र है और सर्वसमावेशक है। पू़ डॉ. साहब को किसी ने पूछा कि आपके अनुसार हिन्दू की व्याख्या क्या है ? तब ड़ॉ साहब ने उत्तर दिया कि जो भी इस भूमि को माता माने वो सभी हिन्दू हैं। गुजरात (विसंकें)
'अनिवासी भारतीय निभाएं अहम भूमिका'
'पहले मुस्लिम आक्रान्ताओं ने देश को लूटा और बाद में अंग्रेजों ने इसे लगभग बर्बाद कर दिया, लेकिन भारत अपनी मेधा के बल पर अब पुन: बदल रहा है। दुनिया में भारतीयों को देखने का नजरिया बदल रहा है और अनिवासी भारतीयों को बदलाव की गति को बढ़ाने में अपना सहयोग देना चाहिए।' पिछले दिनों जालंधर के श्री गुरु गोबिंद सिंह एवेन्यू स्थित सर्वहितकारी शिक्षा समिति परिसर में आयोजित अनिवासियों के एक सम्मेलन में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए रा.स्व.संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने ये विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि मातृभूमि से जुड़ाव मानवीय प्रकृति है। पारसियों का उदाहरण बताता है कि सदियों बााद भी वह अपनी मिट्टी से जुड़े हुए हैं। देश के अंदर हम जिस प्रांत के हों, लेकिन जब हम विदेश में मिलते हैं तो भारतीय के तौर पर। यह हमारे देशप्रेम को दर्शाता है। प्रतिनिधि
'अच्छे साहित्य का निर्माण समय की जरूरत'
गत दिनों नई दिल्ली में इन्द्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र तथा नेशनल बुक ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में विश्व पुस्तक मेले में राष्ट्रीय साहित्य एवं डिजिटल मीडिया विषय पर विचार गोष्ठी आयोजित की गई। इस अवसर पर सुरुचि प्रकाशन की 'कल्पवृक्ष' नामक पुस्तक का विमोचन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख श्री जे़ नन्दकुमार ने किया। गोष्ठी को संबोधित करते हुए श्री नन्दकुमार ने कहा कि राष्ट्र क्या है, राष्ट्रीय क्या है, यह चर्चा बहुत सालों से भारत में चल रही है। देश में कुछ लोगों के विचार में राष्ट्र जैसी कोई चीज नहीं है, ऐसे विचार रखने वाले बौद्धिक, तथाकथित लेखकों की लिखी हुई पुस्तकें भी हमें मिलती हैं। भारत एक सांस्कृतिक राष्ट्र है, हिमालय से समुद्र तक का भाग एक राष्ट्र है। यह कोई नया या बनावटी विचार नहीं है। राष्ट्रीय साहित्य के संदर्भ में इस विचार को समाज के अन्दर पहुंचाने के लिए पहले जो साहित्य निर्माण होता रहता था, उस साहित्य के प्रचार के बारे में हमें सोचना होगा। उस तरह के साहित्य से मिले विचार से ही पूर्व में यह राष्ट्र शक्तिशाली बना था।
इसको ध्यान में रखते हुए ही प्राचीन काल में यहां रामायण, महाभारत आदि ग्रंथों का तमिल, तेलगु, मलयालम आदि विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनुवाद हुआ और इन ग्रंथों के विचार एवं आदर्श जन-जन के हृदय तक पहुंचे। उन्होंने चिंता जताई कि भारत में उभरे तथाकथित नवराष्ट्रवादी, वामपंथी सोच वाले कहते हैं कि संस्कृत आयोंर् की भाषा है और वह यहां बाहर से आए थे। यह उनका अराष्ट्रीय दृष्टिकोण है। प्रतिनिधि
'अध्यात्म के जुड़ाव से होता व्यक्ति निर्माण '
'अध्यात्म और जीवन शैली एकजुट होती है, तभी व्यक्ति का निर्माण होता है। हरियाणा के गुरुग्राम में 2 से 5 फरवरी तक आयोजित होने वाले हिन्दू आध्यात्मिक और सेवा मेले के बारे में बॉलीवुड कलाकार रणदीप हुड्डा ने प्रेस क्लब दिल्ली में आयोजित प्रेस वार्ता में संवाददाताओं से ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि एचएसएसएफ मानवता व आध्यात्मिक संस्थाओं के कायोंर् की सराहना एवं बढ़ावा देने के उद्देश्य से बनाई गई संस्था है। एचएसएसएफ 2-5 फरवरी, 2017 तक लेजर वैली, सेक्टर-29, गुरुग्राम में चार दिवसीय मेला आयोजित करने जा रहा है। इस मेले में विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर एवं अन्य प्रमुख लोग इसमें उपस्थित रहेंगे। प्रतिनिधि
भोपाल में सहकार भारती ने मनाया स्थापना दिवस
सहकार भारती भोपाल महानगर द्वारा 'सहकार भारती स्थापना दिवस' के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत कार्यवाह श्री अशोक अग्रवाल, प्रदेश के सहकारिता मंत्री श्री विश्वास सारंग सहित अन्य गणमान्यजन उपस्थित रहे। इस अवसर पर प्रमुख रूप से उपस्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत कार्यवाह श्री अशोक अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश में सहकारिता आन्दोलन दम तोड़ रहा है। इसके लिए वे लोग जिम्मेदार हैं, जिन्होंने सहकारिता का उपयोग राजनीतिक हित साधने के लिए किया। सहकार भारती के प्रदेश अध्यक्ष श्री शिवनारायण पाटीदार ने कहा कि गांव से शहर की तरफ लोगों का पलायन रोकना है तो सहकारिता को अपनाना होगा। ऐसा नहीं किया तो स्थिति खराब होगी। सहकार भारती के क्षेत्र संगठन प्रमुख श्री इन्दर सिंह सेंगर ने कहा कि सहकारिता के क्षेत्र में मध्य प्रदेश की स्थिति गुजरात, महाराष्ट्र की तुलना में खराब है। सहकारिता मंत्री श्री विश्वास सारंग ने कहा कि पाकिंर्ग से लेकर पर्यटन तक को हम सहकारिता से जोड़ रहे हैं। संयुक्त परिवार में तो सहकारिता है ही, अकेले परिवार में सहकारिता होती है। हम यह मानते हैं कि जिस उद्देश्य को लेकर सहकारिता आई थी, उसमें अब कमी आ गई है। लोग कहते हैं, जीवन की जरूरत रोटी, कपड़ा और मकान है, लेकिन ये चीजें तो जेल में भी मिल जाती है। रोटी, कपड़ा और मकान के साथ समाज, परिवार और मित्र-बांधवों का होना भी आवश्यक है। सहकारिता में विघटन हुआ यह सच है, लेकिन यह विघटन केवल सहकारिता में नहीं बल्कि व्यक्ति का भी अवमूल्यन हुआ है। आज व्यक्ति बिगड़ गया है, इसलिए हर समाज में अवमूल्यन और विघटन की स्थिति देखने को मिल रही है। उन्होंने सहकारी मंथन जैसे नवाचार आरंभ किए हैं, जिनके अच्छे परिणाम आने लगे हैं। भोपाल (विसंकें)
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