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पंतनगर (उत्तराखंड) स्थित गोविंद बल्लभ पंत विश्वविद्यालय परिसर में राष्ट्रीय युवा दिवस (12 जनवरी) के उपलक्ष्य में दो दिवसीय संगोष्ठी आयोजित हुई। यह संगोष्ठी युवा रैली के साथ शुरू हुई। संगोष्ठी का विषय था 'युवा सशक्तिकरण हेतु कौशल विकास-अवसर चुनौतियां तथा भविष्यगत रणनीतियां'। इसमें देश के अनेक महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयांे के छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। संगोष्ठी को स्वामी नरसिम्हा महाराज (मायावती आश्रम, चंपावत), सुश्री रेखा दवे (सह सचिव, विवेकानंद केंद्र, कन्याकुमारी), स्वामी मित्रानंद (चिन्मय युवा मिशन, चेन्नई), डॉ. राजेंद्र डोभाल, (डी जी, यूकोस्ट), डॉ. आर. एल. रैना (कुलपति, जे. के. लक्ष्मीपत विश्वविद्यालय, जयपुर), डॉ. बी. के. कुठियाला (कुलपति, माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल) व श्री अतुल जैन आदि ने संबोधित किया। वक्ताओं ने कौशल विकास के बारे में युवाओं को मार्गदर्शन दिया, साथ ही निर्भय और सशक्त होकर जीवन जीने के लिए प्रेरित किया। वक्ताओं का कहना था कि यदि जीवन एक आदर्श के साथ जिया जाए तो कुछ भी असंभव नहीं है।
सुश्री रेखा दवे ने कहा कि शिक्षा, सेवा और सामाजिक सशक्तिकरण के प्रयासों द्वारा स्वामी विवेकानंद को जीवंत किया जा सकता है। स्वामी नरसिम्हा महाराज ने युवाओं से कहा कि वे विवेकानंद का प्रतिरूप बन कर देश के विकास में खप जाएं। उन्होंने स्वामी विवेकानंद के 'अभय बनो' के संदेश को जीवनमंत्र बनाने का संदेश दिया।
पंत विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. जे. कुमार ने संगोष्ठी के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए इसे विश्वविद्यालय की गतिविधियों का महवपूर्ण हिस्सा बताया। उन्होंने यह भी कहा कि देश की चुनौतियों का समाधान युवाओं के योगदान से ही संभव है।
विवेकानंद स्वाध्याय मंडल (वीएसएम) इस विश्वविद्यालय में प्रतिवर्ष इस संगोष्ठी का आयोजन करता है। इससे जुड़े छात्र स्वामी विवेकानंद के संदेश और आदशार्ें को लेकर अपने शिक्षणेत्तर क्रियाकलापों का प्रबंध करते हैं। विभिन्न महाविद्यालयों और विभागों के छात्र एक उद्देश्य के लिए एकजुट होते हैं। और वह उद्देश्य है समाज को कुछ वापस देने की प्रवृत्ति। इस संगोष्ठी के अतिरिक्त विवेकानंद स्वाध्याय मंडल वर्षभर विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम और गतिविधियां चलाता है। इनमें स्टडी सर्किल, प्रार्थना सत्र, वाद विवाद प्रतियोगिता, पर्सनॅलिटी डेवलपमेंट वर्कशॉप,पब्लिक स्पीकिंग वर्कशॉप आदि प्रमुख हैं।
प्रत्येक रविवार को प्रार्थना सत्र में छात्र रामकृष्ण परमहंस, मां शारदा एवं स्वामी विवेकानंद के चित्र के सामने बैठकर ध्यान करते हैं। ध्यान और मंत्रोच्चार करने से एक इनमें अनोखी ऊर्जा का संचार होता है। प्रार्थना सत्र के पश्चात् विश्वविद्यालय के छात्र गरीब स्कूली छात्रों को पढ़ाते हैं और उन्हें वैचारिक मंथन के लिए भी प्रेरित करते हैं।
इसी गतिविधि के अंतर्गत सुपर-20 कार्यक्रम भी चलता है। इस कार्यक्रम में सरकारी विद्यालयों के छात्रों के लिए प्रतिवर्ष एक प्रतियोगिता आयोजित की जाती है, जिसमें से 20 बच्चों को चुन कर उन्हें वीएसएम के सदस्य सालभर पढ़ाते हैं। उनकी पढ़ाई के साथ उनके व्यक्तित्व विकास पर भी समुचित ध्यान दिया जाता है। इसके अतिरिक्त बच्चों को प्रोत्साहित करने हेतु उन्हें 100 रुपए प्रतिमाह दिए जाते हैं। यह प्रोत्साहन राशि विश्वविद्यालय के छात्रों से ही एकत्रित की जाती है। स्टडी सर्किल में छात्र वेद और उपनिषद के जटिल विषयों से लेकर लोकहित के विषयों पर विचार प्रस्तुत करते हैं तथा औरों के विचारों को समझने का प्रयत्न करते हैं।
विश्वविद्यालय के छात्रों में देशप्रेम जगाने के उद्देश्य से वीएसएम के सदस्य देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत कार्यक्रम का आयोजन करते हैं- 'एक शाम शहीदों के नाम।' देश के युवाओं को संबोधित इस कार्यक्रम में नाट्य प्रस्तुति के द्वारा देश के प्रति हमारे क्या कर्तव्य हैं, यह बताया जाता है।
स्वामी विवेकानंद की जयंती के अवसर पर एक युवा संगोष्ठी का आयोजन हर साल 12-13 जनवरी को होता है। इस संगोष्ठी में युवाओं से संबंधित विषयों पर मंथन होता है। समाज जीवन की अनेक हस्तियां इस संगोष्ठी में युवाओं का मार्गदर्शन कर चुकी हैं। 2017 से पूर्व डॉ. एच. सी. वर्मा, कैलाश खेर, कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौर जैसे व्यक्तित्वों ने इस मंच की शोभा बढ़ाई है। संगोष्ठी के पश्चात् 14-15 जनवरी को राष्ट्रीय स्तर की अंतर विश्वविद्यालयी वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। इस प्रतियोगिता में देशभर के विभिन्न विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के अग्रणी वक्ता प्रतिभाग करते हैं। स्कूली बच्चों के लिए भी कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
इन सभी गतिविधियों का मार्गदर्शन करते हैं इसी विश्वविद्यालय के एक विशिष्ट अध्यापक डॉ. शिवेंद्र कुमार कश्यप। -राजेंद्र चड्ढा
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