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'भारत ने सारी सृष्टि में स्थित जीव व चराचर की ओर देखने की देवत्व दृष्टि दी है। सृष्टि में स्थित सारी समस्या का निराकरण इसी दृष्टि में है सबको देवत्व की तरह देखो। विज्ञान की सीमा है, विज्ञान के ऊपर भी एक शक्ति है ईश्वरत्व की। प्राणी जगत का जीवन एकात्म होगा तब सबके सुख की कामना होगी। उक्त उद्बोधन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री भैयाजी जोशी ने इंदौर में 'मृग मरीचिका धारणक्षम अर्थनीति की खोज' पुस्तक के विमोचन अवसर पर व्यक्त किए। ग्राहक सेवा प्रतिष्ठान द्वारा पुस्तक का प्रकाशन किया गया है। कार्यक्रम का आयोजन अ़भा.ग्राहक पंचायत ने किया था।
भारतीय चिंतन पर उन्होंने कहा कि दुनिया के देशों का हम विचार करें तो भारत की अलग पहचान है। भारत का चिंतन सर्वकालिक रहा है। हमारे ऋषि-मुनियों की बातें आज भी प्रासंगिक हैं। भारत का चिंतन सभी का मार्गदर्शन करता है। मनुष्य को दिशा प्रदान करता है।
इस चिंतन का स्मरण, हम निरंतर करते आए हैं। आजादी के बाद हम कई विपदाओं से गुजरे। वर्ष 1947 के बाद हमारे पास मौका था कि भारतीय चिंतन से देश को आगे बढ़ाएं, दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हो सका।
'गागर में सागर की तरह है विशेषांक'
'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने वर्ष 1925 में स्थापना के बाद समय-समय पर विभिन्न पड़ावों को पार कर अपनी विकास यात्रा की है जो आज भी जारी है। अनेक चुनौतियों के साथ 90 वर्ष की अथक साधना से संघ का वर्तमान स्वरूप समाज के सामने निखर कर खड़ा है।' ये बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, राजस्थान के क्षेत्र प्रचारक श्री दुर्गादास ने जयपुर के भारती भवन में पाञ्चजन्य के संघ की 90 वर्षीय यात्रा पर केंद्रित संघ पर केंद्रित 90 वर्ष के संग्रहणीय विशेषांक के विमोचन पर कहीं। उन्होंने कहा कि संघ ने अब तक पांच पड़ावों में अपनी विकास यात्रा पूरी की है।
1925 से 1947 के समय में संघ ने सिद्ध किया कि हिन्दू भी संगठित हो सकते है, जो डॉ. हेडगेवार जी की कल्पना का मूर्त रूप था। उन्होनें कहा कि यह विशेषांक गागर में सागर है। इस अंक में सामाजिक समरसता व भारत विभाजन के समय की घटनाओं का अच्छी तरह से उल्लेख किया गया है विसंके, जयपुर
'विमुद्रीकरण काले धन के खिलाफ जनांदोलन'
'विमुद्रीकरण देश में काले धन के खिलाफ सबसे बड़ा जनांदोलन है जिसके कारण देश को हानि पहुंचाने वाले आतंकवादियों, नक्सलवादियों, नशा कारोबारियों, रिश्वतखोरों समेत देश के अहित में कार्य करने वाले हर व्यक्ति की कमर टूटी है।' ये उद्गार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राजस्थान क्षेत्र के संघचालक प्रोफेसर भगवती प्रकाश शर्मा ने व्यक्त किये। श्री शर्मा पिछले दिनों पाली नगर परिषद सभागार में 'विमुद्रीकरण में निहित राष्ट्रहित' विषय पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। प्रो़ शर्मा ने कहा कि विमुद्रीकरण के पश्चात कष्ट सहते हुए भी देश का गरीब इस पुनीत कार्य में माथे पर शिकन लाए बगैर अपनी भावी पीढि़यों के उज्ज्वल भविष्य की कामना को साकार होते देख रहा है। इस फैसले के पश्चात जहां नकली धन के काराबोरियों को नुकसान हुआ है, वहीं बैंक में जमा होने के पश्चात लोगों के घरों में पड़ा पैसा देश की जीडीपी दर को बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाएगा।
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