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उत्तर प्रदेश के युवा वैज्ञानिक आनंद कुमार पांडेय ने ब्रेकर के जरिए बिजली पैदा करने के एक अनूठे तरीके की खोज की है। आने वाले समय में इससे सड़कें जगमग हो सकती हैं
विवेक त्रिपाठी
युवा मन चाहे तो क्या नहीं कर सकता। उसकी सकारात्मक ऊर्जा नए-नए आविष्कार कर सकती है। कुछ ऐसा ही किया है सुल्तानपुर (उत्तर प्रदेश) के युवा वैज्ञानिक आनंद कुमार पांडेय ने। उन्होंने गति अवरोधक (स्पीड ब्रेकर) से बिजली बनाने का सपना साकार किया है। उन्होंने एक ऐसा स्पीड ब्रेकर बनाया है, जिससे बिजली पैदा हो सकती है। ब्रेकर पर वाहन पहुंचते ही उसके नीचे लगा उपकरण दब जाएगा और उसी से बिजली पैदा होगी। आनंद का मानना है कि इस तरह से जो बिजली मिलेगी, उससे आठ से 10 घंटे का बैकअप लिया जा सकता है। सुल्तानपुर जिले के अखंडनगर थाना क्षेत्र के पतारखास गांव निवासी सियाराम पांडेय के छोटे पुत्र आनंद ने निर्धनता में अपनी पढ़ाई की। उनके पिता एक सामान्य कृषक हैं। अमेठी से बीटेक करने बाद उन्होंने कुछ नया करने की ठानी।
जगमगाएंगी सड़कें
आनंद ने बताया कि 160 किलोग्राम की बाइक के एक बार गुजरने से तीन वाट ऊर्जा का निर्माण होगा। एक घंटे तक गुजरने में 157 वाट बिजली उत्पन्न हो सकती है। इस प्रकार एक दिन में 4 किलोवाट बिजली सिर्फ बाइक के गुजरने से पैदा हो सकती है। एक माह में 113 किलोवाट तक बिजली उत्पन्न की जा सकती है। पांडेय ने बताया कि इसी प्रकार 3000 किलोग्राम की कार को ब्रेकर से गुजरने पर एक मिनट में 59 वाट, एक घंटे में 3, 528 वाट, एक दिन में 85 किलो वाट तथा एक माह में लगभग 2541 किलोवाट तक बिजली उत्पन्न की जा सकती है। इसकी मदद से जहां एक ओर सड़क पर लगी स्ट्रीट लाइटों को जलाने के लिए अलग से बिजली का इंतजाम नहीं करना होगा, वहीं एक इलेक्ट्रिसिटी बैकअप तैयार करके उसका सही समय पर इस्तेमाल किया जा सकता है।
नहीं मानी हार
ब्रेकर से बिजली बनाने की विधि का पहला प्रयोग उन्होंने रोलर विधि द्वारा किया, लेकिन यह सफल नहीं हुआ। इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और अब उसका सुखद परिणाम सामने है। उत्तर प्रदेश की विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद ने इस प्रयोग को एक खोज माना है। इसके लिए उत्तर प्रदेश, भाजपा के अध्यक्ष और सांसद केशव प्रसाद मौर्य के आग्रह पर केन्द्रीय ऊर्जा राज्यमंत्री पीयूष गोयल द्वारा सहायता भी मिली है। इस उपलब्धि के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आनंद को सम्मानित भी किया है।
अन्य आविष्कार
इसके अलावा आनंद ने चालक-विहीन मेट्रो रेल, रिमोट से बिजली के उपकरणों को चलाने वाला यंत्र, हवा से चलने वाली कार सहित अनेक उपकरण तैयार किए हैं। इन उपकरणों पर तेजी से काम करने के लिए आनंद ने केंद्र सरकार से एक प्रयोगशाला की मांग की है, जिस पर सहमति हो गई है। आनंद कहते हैं कि मैं स्वदेशी तकनीक से ही सारे उपकरण बनाने का प्रयास करता रहता हूं, ताकि हमारे देश के व्यापार में ही वृद्धि हो, अपना राष्ट्र मजबूत हो।
सस्ती दरों पर सामान देने का प्रयास
आनंद की तमन्ना है कि हमारे देश में चीन से भी सस्ती दरों पर लोगों को सामान मिले। इसी के लिए वे दिन-रात काम कर रहे हैं। आनंद के आविष्कारों से देश को कितना लाभ होगा, उनकी योजनाएं कितनी सफल होंगी, यह तो भविष्य में पता चलेगा। लेकिन इतना साफ है कि वे नए आविष्कारों के लिए पूरी तरह समर्पित हैं। उन्हें प्रारंभ में विफलता भी मिली, किन्तु वे निराश नहीं हुए। यह अन्य युवकों के लिए भी संदेश है।
ऐसे चलेगी मशीन
आनंद ने बताया कि इस खास ब्रेकर के नीचे लगे शॉकरों पर से जब कोई वाहन गुजरेगा तो ये दब जाएंगे। इनके दबने से नीचे लगी गरारी घूमेगी। इस गरारी से लगे डायनेमो के द्वारा बैटरी चार्ज हो जाएगी। गरारी के निरंतर घूमते रहने से जो ऊर्जा पैदा होगी उसे डायनेमो डीसी करेंट में बदलता रहेगा। इतना ही नहीं, यह खास सर्किट इस तरह धीरे-धीरे पैदा होने वाली बिजली को चार्जेबल बैटरी में जमा करता रहेगा। इसे जरूरत के हिसाब से प्रयोग किया जा सकेगा। एक बैटरी में आठ से दस घंटे का बैकअप तैयार किया जा सकेगा।
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