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धुलागढ़ में मिलाद उन नबी के जुलूस की शक्ल में आए हथियारबंद मजहबी उन्मादियों ने पुलिस की मौजूदगी में हिन्दुओं के घर जलाए, उनमें लूटपाट की और हिन्दू महिलाओं पर दमन की सारी हदें पार कीं
जिष्णु बसु
श्चिम बंगाल की पूर्ववर्ती वाममोर्चा सरकार ने मजहबी उन्माद का जो विषबीज रोपा था, उसे ममता बनर्जी के नेतृत्व में वर्तमान तृणमूल सरकार ने खाद-पानी देकर विशाल वृक्ष के रूप में खड़ा कर दिया है। यही वजह है कि गत 12 से 16 दिसंबर और उसके बाद भी, हावड़ा के धुलागढ़ में मजहबी उन्मादियों ने भयंकर उत्पात मचाया। हिंदू घरों को जलाया गया, लूटा गया, महिलाओं को चुन-चुनकर अपमानित किया गया और जिसने भी विरोध किया, उसे ममता की पुलिस के सामने ही अधमरा कर दिया गया।
राजधानी कोलकाता से मात्र 28 किमी. दूर राष्ट्रीय राजमार्ग-6 पर स्थित धुलागढ़ में कट्टरवादी का अघोषित जिहाद अभी जारी है। लेकिन राज्य सरकार आंख बंद करे बैठी है क्योंकि आहत होने वाले हिन्दू हैं। सेकुलर मीडिया भी इस बारे में चुप्पी साधे है।
उस दिन मिलाद उन नबी मनाने के नाम पर स्थानीय कट्टरवादियों ने योजनाबद्ध तरीके से जगह-जगह हिंदुओं पर संगठित हमला बोला। ऐसा पहली बार हुआ था कि मुसलमानों ने इस बार अपना जुलूस एक हिंदू गांव के बीच से निकाला और आक्रामक और भड़काऊ नारे लगाए। धूलागढ़, काटवा और वीरभूम के मल्लारपुर में हिंदुओं पर असहनीय अत्याचार किए गए। जुलूृस में शामिल लोग लोहे की रॉड, देसी बमों इत्यादि से लैस थे। धूलागढ़ में शिवतल्ला के पास अन्नपूर्णा क्लब के सामने यह जुलूस हिंसक भीड़ में बदल गया। स्थानीय लोगों के विरोध करने पर कट्टर उन्मादियों की भीड़ आगजनी करने लगी, 11 दुकानें और 25-30 घर देखते ही देखते धू-धूकर जल उठे। पुलिस को बुलाया गया, पर पुलिस वाले हमेशा की तरह जान-बूझकर देर से पहंुचे। उपद्रवियों ने बाइकों पर सवार होकर क्षेत्र में लगातार देसी बमों का इस्तेमाल कर माहौल को भयानक बना दिया, इतना ही नहीं, उपद्रवियों ने पुलिस के एक टुकड़ी पर भी हमला किया, जिसमें कुछ अधिकारी घायल हुए। इसमें संदेह नहीं कि सारा उपद्रव पूर्व नियोजित था।
14 दिसंबर की सुबह से ही मजहबी उन्मादियों ने सकराइल विधानसभा और पोचला विधानसभा इलाकों में आतंक फैलाना शुरू कर दिया। कोलकाता के मीडिया की मानें तो, इस घटना के पीछे तृणमूल विधायक गुलशन मलिक का हाथ था।
दरअसल ममता बनर्जी सरकार ने सत्ता में आते ही 1000 से ज्यादा अवैध मदरसों को वैध करार दिया था। उन्होंने बंगलादेश से आए घुसपैठियों को पश्चिम बंगाल में पूरी छूट के साथ हर तरह की सुविधाएं दीं। इसका परिणाम 2014 के वर्धमान कांड के रूप में दिखाई दिया था। बंगलादेशी घुसपैठियों ने वर्धमान, नदिया और मालदा जैसे सीमावर्ती जिलों में बम बनाने के कारखाने बना लिए। सिमुलिया के गैरकानूनी मदरसे जैसे राज्य में हजारों अन्य मदरसे हैं जहां कथित तौर जिहाद का फलसफा पढ़ाया जाता है और कथित तौर पर एक बड़े मजहबी उपद्रव की तैयारी चल रही है।
त16 अक्तूबर को मोहर्रम के ताजियों के लिए चंदा वसूली के दौरान वीरभूम जिले के खरासिंह पुर गांव के कुछ उपद्रवियों ने गांव के एक लड़के इंद्रजीत दत्त को पीट-पीटकर मार डाला। इसी वजह से पुलिस ने मोल्लारपुर थाने से मिलाद उन नबी का जुलूस निकालने पर पाबंदी लगाई थी। इसके विरोध में मजहबी उपद्रवियों ने पुलिस पर भारी बमबारी की। इसमें पुलिस के एक सर्कल इंस्पेक्टर सहित कुछ पुलिसकर्मी घायल हुए। पुलिस ने घटना स्थल से कुछ अपराधियों को हिरासत में ले लिया। इसके बाद तृणमूल कांग्रेस ने तुष्टीकरण का मलहम लगाना शुरू किया। तृणमूल के विधायक अभिजीत राय की शह पर पुलिस ने उसी रात 12 निर्दोष हिन्दुओं को हिरासत में ले लिया, जिसमें एक छात्र क्रांति शाह भी था।
वोट बैंक की राजनीति के नशे में धुत तृणमूल सरकार की दुर्नीतियों का दुष्परिणाम पूरे पश्चिम बंगाल को भुगतना पड़ रहा है। बंगलादेशी जिहादी तत्व इस राज्य में अपना संजाल फैलाने में जुटे हैं। विगत में उजागर चिटफंड घोटाले में भी इन ताकतों का जिक्र अखबारों में कई बार हुआ है। लोकतंत्र के नाम पर जिहाद तंत्र को उकसाने में लगीं ममता बनर्जी मुस्लिम तुष्टीकरण में वामपंथियों को भी पीछे छोड़ चुकी हैं।
हिंदुओं पर ही साधा निशाना, महिलाओं से अमानवीय व्यवहार
11 दिसंबर को वर्धमान जिले के काटवा थानांतर्गत पानुघाट दास पाड़ा गांव के शनि मंदिर में गाय के कटे पैर पाए गए थे। वहां के हिंदुओं ने इसके विरोध में थाने में प्राथमिकी दर्ज कराने की कोशिश की, जिसमें इकबाल शेख, फिरोज शेख, बिल्लाल शेख एवं मोर शेख का नाम आने की वजह से पुलिस वालों ने रपट लिखने से मना कर दिया। कटवा थाने के हफीजुल शेख ने हिंदुओं को धमकी दी कि जब तक कब्रिस्तान में आने-जाने के रास्ते का विवाद नहीं सुलझेगा तब तक इस समस्या का समाधान संभव नहीं है। इसी बीच 12 दिसंबर को संथाल गुपीन मुर्मर्ू को मजहबी उन्मादियों ने बेरहमी से पीटा। विरोध करने पर वहां की महिलाओं से आपत्तिनजक छेड़खानी की गई। इसके विरोध में 14 दिसंबर को हिन्दू जागरण मंच के तत्वावधान में हिंदुओं ने कटवा बंद का आह्वान किया। बंद को पूर्ण समर्थन मिला। कटवा बस स्टैण्ड के पास हथियारों से लैस कुछ उपद्रवियों ने बंद समर्थकों पर आक्रमण किया। इस घटना से स्थानीय लोगों में भारी रोष पैदा हुआ है। उधर पुलिस ने चुन-चुनकर स्थानीय हिन्दुओं की बेहरमी से पिटाई की। पुलिस द्वारा वहां के भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं और उनके घर की महिलाओं पर भी अत्याचार किया गया। उदाहरण के तौर पर कटवा के वार्ड 11 के भाजपा अध्यक्ष कार्तिक पाल की पत्नी सोमा पाल के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया। 14 दिसंबर की रात आठ बजे पुलिस सोमा को घर से उठा ले गई। 15 दिसंबर को पूरे दिन उन्हें थाने में प्रताडि़त किया गया।16 दिसम्बर को उनके खिलाफ कोई सबूत न मिलने पर भी उन्हें अदालत में पेश किया गया, लेकिन अदालत ने उन्हें तुरंत रिहा कर दिया।
सेकुलर ममता सरकार ने पार की सारी हदें
2014 के बाद से हुगली नदी में बहुत पानी बह चुका है। जमाते इस्लामी नेता सिद्दीकुल चौधरी, जिसने वर्धमान बम विस्फोट के बाद जिहादियों के समर्थन में एक विशाल रैली की तथा उसके जरिए उनके लिए पैसा इकट्ठा करने का आह्वान किया था, आज तृणमूल सरकार में मंत्री पद पर आसीन हैं। तृणमूल के ही मंत्री फिराद हाकिम ने 29 अप्रैल, 2016 को एक अखबार में दिए बयान में अपने चुनाव क्षेत्र को बड़े गर्व के साथ 'मिनी पाकिस्तान' बताया था। इतना ही नहीं, दक्षिण 24 परगना जिले के कैनिन थाना, नलियाखाली गांव में 2012 के भयानक दंगे के बाद पुलिस रिपोर्ट में मुख्य आरोपी अहमद हुसैन इमरान आज तृणमूल जीते राज्यसभा सदस्य हैं। उपर्युक्त बातों से स्पष्ट है कि तृणमूल सरकार मजहबी उन्मादियों के प्रति उदार है और जिहादी मानसिकता की पोषक है। 2016 की दुर्गापूजा के दौरान, दुर्गा प्रतिमा विजर्सन के विषय में तृणमूल सरकार के एक फतवे जैसे निर्देश की कलकत्ता उच्च न्यायालय ने भर्त्सना की थी। इस सरकार के मजहबी उन्मादियों के प्रति इसी नरम रवैये की वजह से दुर्गापूजा के तुरंत बाद जगह-जगह हिन्दुओं पर अत्याचार की घटनाएं हुईं। एक दलित नाबालिग लड़की को सरकार के इसी रवैए के चलते एसिड हमले का शिकार होना पड़ा। सात दिन अस्पताल में तड़पने के बाद उसकी जान चली गई थी। खड़गपुर के दलित युवक रोहित ताती की अपनी बहन के साथ छेड़खानी का विरोध करने पर मजहबी तत्वों ने खुलेआम पीट-पीटकर हत्या कर दी।
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