यह पोखरण से बड़ा परीक्षण है
|
अर्थव्यवस्था को काले धन के कैंसर से मुक्त कराने के लिए सरकार के अभियान को कोई सर्जिकल स्ट्राइक तो कोई अर्थ जगत का पोखरण परीक्षण बता रहा है लेकिन अर्थशास्त्री इसका आकलन उससे भी कहीं ज्यादा कर रहे हैं, जिससे अर्थव्यवस्था का कायांतरण होना सुनिश्चित है
डॉ. अवनीश मिश्र
रतीय अर्थव्यवस्था का तकरीबन 20 प्रतिशत धन नकद रूप में लोगों के पास अघोषित रूप से जमा है। कुछ लोग इसे 50 प्रतिशत तक भी बताते हैं। संपत्ति सौदों में सबसे ज्यादा काला धन जमा है, यह बात तो जगजाहिर थी लेकिन हाल ही में कालेधन पर बनी समिति ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया कि शिक्षण से जुड़े संस्थान बहुत बड़ी मात्रा में काले धन को खपाने का जरिया बनते जा रहे हैं। ऐसे में इस अघोषित धन को मुख्य धारा में कैसे लाया जाए यह यक्ष प्रश्न था? इसके लिए भारत सरकार ने चरणबद्ध तरीके से कई उपाय किए। मसलन, जनधन योजना के तहत प्रत्येक व्यक्ति के बैंक खाते खुलवा दिए गए। सरकार की तरफ से अघोषित कालेधन को घोषित करके लोगों को मुख्य धारा में शामिल होने का मौका दिया गया लेकिन जब इससे भी बात नहीं बनी तो उन्होंने जिस मुद्रा में (रु. 500- रु.1000) सबसे ज्यादा काला धन था, उसे निरस्त कर दिया। मोदी सरकार द्वारा उठाए गए इस एक कदम ने नेताओं, अधिकारियों और बिल्डर्स आदि के पास जमा काले धन को एक झटके में रद्दी बना दिया।
कोई इसे अर्थजगत का सर्जिकल स्ट्राइक तो कोई इसे पोखरण परीक्षण बता रहा है लेकिन यह पोखरण परीक्षण से कहीं बड़ी चीज है। निश्चित रूप से पोखरण परीक्षण से हमारी सामरिक ताकत बढ़ी थी और शायद उसका भविष्य में कुछ इस्तेमाल करने की नौबत भी आए लेकिन यह ऐतिहासिक फैसला खेत में काम करने वाले किसान से लेकर प्रधानमंत्री तक को प्रभावित करता है। मुझे पूरा यकीन है कि प्रधानमंत्री मोदी इसे ढंग से लागू कराते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था का कायांतरण कराने में कामयाब होंगे। सरकार के द्वारा काले धन को मुख्य धारा में लाने के लिए जो योजनाएं बनाई गईं, उसमें यदि सबसे ज्यादा पैसा आया तो मोदी सरकार की कोशिशों से आया है। इसका सीधा मतलब है कि जिन लोगों ने भी पैसा घोषित किया है, उसे कहीं न कहीं सरकार के सख्त कदम उठाए जाने की भनक थी? उसे इस बात का अहसास हो गया होगा कि अब कुछ ऐसा होने जा रहा है कि जो अभूतपूर्व है। आयकर विभाग की वेबसाइट पर यह संकेत था कि समय रहते काला धन रखने वाले लोग चेत जाएं नहीं तो यह टाइम बम की तरह फट जाएगा। ऐसा हुआ भी। पहला टाइम बम इस रूप में फटा कि आपका सारा काला धन बेकार हो गया। दूसरा टाइम बम उन पर फटेगा जो अपने इस धन को सफेद करने की कोशिश करेंगे। आयकर विभाग को निश्चित रूप से उन पर नजर रखने को कहा गया होगा। ऐसा नहीं है कि कालेधन को सफेद में तब्दील करने के लिए लोग रास्ता नहीं खोजेंगे। अब ये लोग काले धन को सफेद करने के लिए तमाम धार्मिक संस्थानों का रुख करेंगे। गौरतलब है कि मंदिर-मस्जिद आदि को मिला चंदा, दान आदि अघोषित होता है। ऐसे में सरकार को यहां पर नाकेबंदी करनी होगी ताकि कालेधन इकट्ठा करने वाले लोगों के लिए ये जगह ऐशगाह न बन पाए।
मुद्रा परिवर्तन की प्रकिया से आम आदमी को छोटी-मोटी दिक्कतें आ सकती हैं। एक-दो दिन वह इन रुपयों का इस्तेमाल नहीं कर पाएगा लेकिन जिन लोगों के पास घोषित संपत्ति है, उन्हें जरा भी दिक्कत नहीं होगी। यदि उनके पास 10 लाख रुपए नकद पड़े है तो कुछ दिनों बाद वे बैंक जाएंगे और 10 लाख रुपए के नए नोट लेकर आ जाएंगे, क्योंकि उन्होंने सरकार को बता रखा है कि हम 70 लाख का काम करते हैं, जिसमें से 10 लाख रुपए नकद उनके पास उपलब्ध रहता है। उस पर भी हम टैक्स जमा करते हैं। लेकिन यदि हम 10 लाख रुपए कमाते हैं और 70 लाख रुपए लेकर बैंक जाएंगे तो वह पकड़ में आ जाएगा। इन लोगों के लिए भी सरकार ने एक मौका दिया, जिसका फायदा उन्होंने नहीं उठाया। मुद्रा परिवर्तन के चलते भले ही थोड़ी-बहुत दिक्कतें उठानी पड़े लेकिन मुख्य धारा में सारा पैसा आ जाने से अर्थव्यवस्था में उछाल भी आता है। मोदी सरकार से पहले भी एक कमेटी ने मुद्रा परिवर्तन की संस्तुति की थी। पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम के समय यह तय भी हुआ था कि विमुद्रीकरण किया जाएगा, लेकिन यह बात लीक हो गई थी, जबकि मोदी सरकार ने इसे चुपचाप अंजाम दे दिया। इससे पूर्व सरकार ने 2005 से पूर्व के 500 नोट को बंद करने का निर्णय लिया था। उसकी भी तारीख लगातार सरकार बढ़ाए जा रही थी लेकिन इस बार कुछ ही घंटों के भीतर ही इन नोटों को बंद करने का निर्णय लिया गया।
सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम के कई सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगेे। सबसे पहले तो रिश्वत पर रोक लगेगी। जब रातों-रात आपका अघोषित धन रद्दी में तब्दील हो गया तो रिश्वत के लिए धन कहां से लाएंगे? दूसरा यदि वे इस कालेधन को घोषित करते हैं तो यह पैसा मुख्य धारा में आ जाएगा। तीसरी बात यह कि भारत सरकार की टैक्स से मिलने आय में बढ़ोतरी होगी। चौथी सबसे बड़ी बात कि अब जन-धन योजना के सभी खाते अच्छी तरह से काम करना शुरू कर देंगे। अब फसल बेचकर लाने वाला किसान और मजदूरी करके कमाने वाली महिला अपना पैसा बैंक के खाते में रखेगी। अर्थव्यवस्था की मुख्य धारा में इतना सारा धन आने से भारत की जीडीपी 20 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। मान लीजिए विकास दर आज आठ प्रतिशत है तो आने वाले दो वर्षों में सब कुछ ठीक-ठाक चलने पर इसमें दो प्रतिशत का इजाफा देखने को मिल सकता है।
अमेरिका में किसी भी व्यक्ति को एक आधारकार्ड की तरह नागरिकता नंबर दिया जाता है, उसकी मदद से यह पता लगाया जा सकता है कि उसके कितने बच्चे हैं? बैंक के खाते में कितना पैसा है? संपत्ति कितनी है? उसी तरह से भारत का आर्थिक सिस्टम भी पूरी तरह से पारदर्शी हो जाएगा। मसलन, चांदनी चौक के एक गल्ला व्यापारी को देखने पर आपको यही लगेगा कि वह बामुश्किल 10 से 15 हजार रुपए कमाता होगा लेकिन जब आप उसके घर में जाकर देखेंगे तो पाएंगे कि उसके पास करोड़ों रुपए हैं। 10 साल बाद आप इंकम टैक्स रिटर्न से आप किसी भी व्यक्ति की आय का सही अंदाजा लगा सकेंगे। साथ ही जब प्रत्येक नागरिक की प्रति व्यक्ति आय का पता चल जाएगा तो देश की वास्तविक अर्थव्यस्था का आंकलन किया जा सकेगा। इससे विश्व में भारत का प्रभुत्व बढ़ जाएगा। डिजिटल इकॉनोमी की दिशा में भी सकरात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे क्योंकि भारत सरकार ने बड़ी धनराशि को संभालने के लिए सुनियोजित तरीके से वीजा और मास्टरकार्ड से अलग एक रुपे सिस्टम विकसित किया है। साथ ही एक नया इंडियन पेमेंट गेटवे विकसित किया। आइएमपीएस के जरिए आप दिन या रात कभी भी पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं। सरकार ने इस तकनीक को सभी बैंकों पर लागू कर दिया। साथ ही बैंकों की तमाम शाखाओं को कोर बैंकिंग सिस्टम के तहत ला दिया ताकि आप आसानी से इंटरनेट ट्रांजेक्शन कर सकें। इस बीच भारत सरकार ने ई-कॉमर्स को भी बढ़ावा दिया। विमुद्रीकरण से मुद्रा सिकुड़ती है। कहने का तात्पर्य यदि मुद्रा का प्रसार 10 लाख का था तो उसमें से पांच लाख अघोषित काला धन के लापता हो जाने के बाद सिर्फ पांच लाख रुपए ही रह जाएंगे और खरीददारी भी इसी मुद्रा से होगी। यानी मांग कम हो गई और आपूर्ति ज्यादा बढ़ गई। ऐसे में महंगाई भी कम होगी।
भले ही विपक्षी दल मुद्रा परिवर्तन की प्रक्रिया को आम लोगों के लिए अव्यहारिक साबित करने की कोशिश कर रहे हों लेकिन क्या प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस यह बताने का कष्ट करेगी कि वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के समय में जब ऐसी ही बात चली, जिसे केवल नीचे तक फैल जाने की वजह से नहीं लागू किया जा सका था, यदि वे लागू कर देते तो क्या यही आरोप तब भी लगाते। जबकि स्थिति इतनी खराब हो गई थी कि एक हजार का नोट बांग्लादेश और पाकिस्तान में महज 200 रुपए में मिल रहा था। ऐसे में उसे निरस्त करना बहुत जरूरी था। बहरहाल, मोदी सरकार द्वारा की गई इस निर्णायक कार्रवाई का सबसे ज्यादा असर उत्तर प्रदेश के चुनाव में देखने को मिलेगा। गौरतलब है कि चुनाव में एक साल बाकी रहते ही सभी राजनीतिक पार्टियां पैसा कमाने में जुट जाती हैं। निश्चित तौर पर यह पैसा चेक की बजाए नकद ही जुटता रहा है लेकिन अब उसका कोई मतलब नहीं रहा। दूसरा पार्टियां जब पैसा खर्च करती थी तो नकद करती थीं, उस पर भी लगाम लगी। तीसरा जनता को रिश्वत के रूप में धन बांटने वाली परंपरा पर भी नकेल कस गई। कहा जाता है कि सबसे अधिक धन सत्तारूढ़ दल के पास होता है, ऐसे में उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी को बहुत बड़ा सदमा लगेगा। वहीं आमजन के बीच भाजपा की छवि मजबूत होगी क्योंकि उसने 2014 में किए गए काले धन पर नियंत्रण के वादे को पूरा करके दिखा दिया है। (लेखक जाने-माने अर्थशास्त्री और मनी मिश्रा सेक्योरिटीज के प्रबंध निदेशक हैं)
गोपाल कृष्ण अग्रवाल
देश के भीतर एक समानांतर अर्थव्यवस्था चल रही थी। उसके अंदर संप्रग सरकार के दौरान भ्रष्टाचार के द्वारा जो धन अर्जित किया गया था वह विभिन्न माध्यमों से खप रहा था। जिसे ठिकाने लगाना बहुत जरूरी हो गया था। काला धन जो कि राजनेताओं, बिल्डरों और बड़े व्यवसायियों के पास जमा हो रखा था उससे कई तरह की समस्याएं सामने आ रही थीं। मकानों के दाम आसमान छू रहे थे। ऐसे में एक आम आदमी के घर खरीदने का सपना महज सपना ही बनकर रह गया था। फिर सोने में बहुत ज्यादा निवेश हो रहा था और उसका आयात किया जा रहा था। इसके भी पीछे काला धन काम कर रहा था। इन सभी विषयों को सुलझाने और आर्थिक व्यवस्था को नियंत्रण में रखने के लिए इस काले धन को नष्ट करके नई मुद्रा को बाजार में लाया जाए ऐसा निर्णय लिया गया। कालेधन और भ्रष्टाचार पर जब एसआईटी का गठन हुआ था तो सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ निर्णय लिए। इसके बाद बेनामी संपत्ति को रोकने के लिए बिल लाया गया। साथ ही इंकम डिस्क्लोजर स्कीम के तहत लोगों को एक अंतिम मौका दिया गया ताकि जिनके पास काला धन है वह इसका खुलासा करके कर अदा करते हुए अपने धन को सफेद कर सके। इसके बाद भी जो सामने नहीं आया वह पूरी तरह से अवैध धन था। उसके लिए कुछ इसी तरह के सख्त कदम उठाने की जरूरत थी, जिसे मोदी जी ने उठाया।
यदि किसी के पास सफेद धन है और उसने वैध तरीके से कमाया है तो उसे कोई चिंता करने की जरूरत नहीं है। वह उसे बैंक में डालकर प्रयोग में ला सकता है। लेकिन अगर काला धन है तो कोई उसके पास रास्ता नहीं है। केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम से भविष्य में सुखद परिणाम सामने आएंगे। वहीं जिन लोगों ने काले धन को छुपाए रखा और सरकार की बात नहीं मानी, उनके लिए यह आत्मघाती कदम साबित होगा।
मुद्रा परिवर्तन की प्रक्रिया को लेकर विपक्ष तमाम तरह के सवाल उठा रहा है लेकिन सच्चाई यह है कि उसके आरोपों में तनिक भी दम नहीं है। वे पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं और वे येन-केन-प्रकारेण अपनी भड़ास निकाल रहे हैं। यूपीए के शासनकाल में कांग्रेस के अधिकतर नेता भ्रष्टाचार में लिप्त थे। उन्होंने देश को जमकर लूटा, इसमें कोई दो राय नहीं है। इन्हीं लोगों के पास अत्यधिक मात्रा में काला धन है। चाहे आप मायावती को लें या फिर समाजवादी पार्टी में अखिलेश यादव और उनके परिजनों के बीच चल रहे झगड़े को लें, सब पैसे की ही लड़ाई है। लालू यादव पूरे जीवनभर भ्रष्टाचार में लिप्त रहे। इन्होंने काले धन के रूप में अकूत संपत्ति इकट्ठी कर रखी है। ऐसे में यदि ये लोग मोदी सरकार के फैसले पर सवाल उठाएं तो सहज ही समझा जा सकता है कि ये आलोचना क्यों कर रहे हैं और एक आम आदमी को इससे कोई दिक्कत क्यों नहीं है।
कुछ लोग तर्क दे रहे हैं कि इस निर्णय को लागू करने से पहले लोगों को कुछ समय दिया जाना चाहिए था। अगर सरकार समय देती तो काला धन रखने वाले कोई न कोई रास्ता खोज लेते और जिस उदद्ेश्य के लिए यह कदम उठाया गया था, उसके कोई मायने नहीं रह जाता। लेकिन इसके विपरीत सरकार ने ऐसे लोगों का रास्ता पूरी तरह से बंद कर दिया।
(लेखक जाने-माने अर्थ विशेषज्ञ है)
कामवाली बाई मालिक से – ये रहे आपके पैसे जो आपने छह महीने में पगार दी है, सब ब्लैक हो गए हैं, व्हाइट कराके मेरे जनधन खाते में डाल देना।
नर्स डॉक्टर से – मोदी जी भी कमाल हैं, अस्पताल में छूट दे दी। उन्हें पता था कि आज रात कई लोगों को अस्पताल जाना पड़ सकता है।
मोदी जी सच में राम राज्य वाली फीलिंग करवा दी। जेल खोल दो आतंकवादी भागते नहीं। तिजोरी खोल दो चोरी होती नहीं।
टिप्पणियाँ