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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 12 से 14 नवम्बर तक लोकमंथन का आयोजन किया जाएगा। इस आयोजन की विशेषता यह होगी कि इसमें राष्ट्र निर्माण में कला, संस्कृति और इतिहास की भूमिका पर विस्तार से चर्चा होगी और खास बात यह कि यह मंथन औपनिवेशिक मानसिकता से आजादी के लिए होगा। इस तीन दिवसीय महोत्सव का आयोजन मध्यप्रदेश सरकार और प्रज्ञा प्रवाह नामक संस्था द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है। इसमें कला, संस्कृति, इतिहास, राजनीति, अर्थ नीति समाज-विज्ञान और तमाम दूसरे क्षेत्रों से जुड़े युवा और बुद्धिजीवी मिलकर सार्थक संवाद करेंगे और राष्ट्रवादी सोच के अनुरूप चर्चा करेंगे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख श्री जे.नंद कुमार ने नई दिल्ली के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में आयोजित एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि लोकमंथन का उद्देश्य है कि राष्ट्र निर्माण को लेकर अब तक बनी पश्चिम परस्त अवधारणा को दूर कर भारत के इतिहास, कला, विज्ञान, संस्कृति, भूगोल और मनोविज्ञान को यूरोपीय आस्थावाद से बाहर निकालकर राष्ट्रीयता की संकल्पना की स्थापना की जाए। उन्होंने कहा कि लोकमंथन के माध्यम से नवउदारवाद और वैश्वीकरण के मौजूदा दौर में राष्ट्रीयता का देशज या यूं कहें कि शुद्ध भारतीय पाठ तैयार करने की योजना है। कार्यक्रम में भोपाल स्थित भारत भवन की भी हिस्सेदारी होगी और यह आयोजन पूरी तरह लोकवादी भी होगा। इस महोत्सव को लगभग 130 विद्वान वक्ता संबोधित करेंगे। कार्यक्रम के आयोजन समिति के अध्यक्ष मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हैं। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम की विशेषता यह है कि इसमें स्वतंत्र सोच रखने वालों की भागीदारी अहम होगी। महोत्सव के आयोजन और इसके लिए स्थापित वैचारिक मंच के सन्दर्भ में अभी तक इस देश में बौद्धिक मंथन, वैदेशिक या यूरोपीय सोच के तहत होता आ रहा है। राष्ट्रीयता की संकल्पना को मजबूत बनाने के लिए जरूरी है कि हम अपनी नजर से देश, समाज, संस्कृति इतिहास और कला को देखने की कोशिश करें। -इ. प्र. वि.सं. के.
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