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वर्तमान समय में विभिन्न स्थानों पर अनुसूचित जाति के बंधुओं पर अत्याचार एवं उत्पीड़न की हो रही घटनाओं की रा.स्व.संघ कड़े शब्दों में घोर निंदा करता है। कानून अपने हाथ में लेकर अपने ही समाज के बंधुओं को प्रताडि़त करना यह केवल अन्याय ही नहीं, अमानवीयता को भी प्रकट करता है।
प्रसार माध्यम परिस्थिति का समग्रता से आकलन करते हुए तथ्यों के आधार पर ऐसे समाचारों को प्रसारित कर सौहार्द का वातावरण बनाने के स्थान पर अविश्वास, अशांति, सघर्ष बढाने का ही कार्य करते दिखाई पड़ रहे हैं। यह भी निंदनीय है। विभिन्न राजनैतिक दल एवं जाति-विरादरी के शीर्षस्थ नेतृत्व ने अधूरी-अवास्तविक जानकारी देकर समरस समाज में असमंजस का वातावरण बनाने का प्रयास किया है। जो समरस समाज के लिए हितकर नहीं है। संघ ऐसे सभी राजनीतिक दल, जाति-विरादरी के शीर्षस्थ नेतृत्व से आह्वान करता है कि सामान्य जन सहयोग से समाज के असमंजस स्वरूप वातावरण को सामान्य बनाने का प्रयास करने की आवश्यकता है। और पीडि़त बंधुओं के प्रति संवेदना व्यक्त कर ऐसी घटनाएं न घटें इसकी चिंता करने की जरूरत है।
हम समाज के सभी वर्गों से आह्वान करते है कि परस्पर सौहार्द एवं विश्वास का वातावरण बिगाड़ने वाले तत्वों से सावधान एवं सतर्क रहें, प्रशासन से अपेक्षा है कि इस प्रकार की कानून की धज्जियां उड़ाने वाले व्यक्ति एवं समूहों पर त्वरित कानूनी कार्यवाही कर दोषियों को दण्डित किया जाये। -प्रतिनिधि
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