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अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़कर सेना में भर्ती होने वाले फौजियों के लिए खुशखबरी है। अब वे अपनी शैक्षणिक योग्यता को नौकरी करते हुए बढ़ा सकते हैं। इस संबंध में हाल ही में राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एन.आई.ओ.एस.) और सेना के बीच एक समझौता हुआ है। समझौते पर एन.आई.ओ.एस. के अध्यक्ष प्रो. चन्द्रभूषण शर्मा और मेजर जनरल देबाशीष राय (अतिरिक्त महानिदेशक, एम.टी., ए.ई.सी.) ने हस्ताक्षर किए हैं। इसके अनुसार सैनिक जहां भी तैनात रहेंगे वहां तक एन.आई.ओ.एस. उनके लिए पठन सामग्री भेजेगा। इसमें किताबों के साथ-साथ ऑडियो और वीडियो भी शामिल हैं। उम्मीद है कि इससे चार लाख जवानों को अपनी शैक्षणिक योग्यता बढ़ाने में मदद मिलेगी। उल्लेखनीय है कि अभी भी सेना में ऐसे जवान लाखों में हैं, जो आठवीं, नवीं या दसवीं पास होते हैं। हालांकि अब जो जवान भर्ती हो रहे हैं वे कम से कम दसवीं पास होते हैं। सेना का नियम है कि यदि कोई जवान चाहे तो वह 17 वर्ष की नौकरी करने के बाद पेंशन लेकर घर लौट सकता है। 17 वर्ष के बाद जो जवान नौकरी करते रहते हैं और इस बीच उन्हें कोई पदोन्नति नहीं मिलती है तो वे दो वर्ष और नौकरी कर सकते हैं। इसके बाद उन्हें पेंशन पर जाना ही पड़ता है। 17 वर्ष के बाद पेंशन जाने वाले जवानों की संख्या करीब 80 प्रतिशत है।
चूंकि ऐसे जवानों के पास कोई बड़ी शैक्षणिक योग्यता नहीं होती है इसलिए ये जवान सेना की नौकरी के बाद कहीं छोटी-मोटी नौकरी ही कर पाते हैं। ज्यादातर जवान सरकारी या निजी संस्थानों में गार्ड की नौकरी करते हैं। ऐसे जवान भी कहीं अच्छी नौकरी कर सकें, इसको देखते हुए ही यह समझौता हुआ है। इसके तहत जवानों को पढ़ाने के लिए उनके कार्यस्थल पर ही कक्षाएं लगाई जाएंगी।
एन.आई.ओ.एस. के अध्यक्ष प्रो. चन्द्रभूषण शर्मा ने बताया कि जनवरी, 2017 से जवानों को पढ़ाने का काम शुरू कर दिया जाएगा। दसवीं, ग्यारहवीं या बारहवीं करने वाले जवानों के लिए उनकी सुविधा और समय की उपलब्धता को देखते हुए सप्ताह के अंत में सायं को कक्षाएं लगाई जाएंगी। इसके लिए एन.आई.ओ.एस. स्थानीय स्तर पर ही शिक्षकों की व्यवस्था करेगा। जहां भी सेना की टुकडि़यां हैं उसके आसपास के विद्यालयों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को यह दायित्व दिया जाएगा।
इस समझौते की जानकारी सभी जवानों को उनकी यूनिट के जरिए दी जा रही है। जवानों को कुल पांच विषयों की पढ़ाई कराई जाएगी। इनमें से तीन विषय खासकर जवानों के लिए तैयार किए जा रहे हैं।
एक विषय के रूप में जवानों को भारतीय सेना का इतिहास भी पढ़ाया जाएगा। प्रत्येक छात्र को कोई एक भाषा भी पढ़नी होगी। जवान अपनी रुचि के विषय ले सकते हैं। एक वर्ष के पाठ्यक्रम के लिए हर जवान से 1,500 रु. का शुल्क लिया जाएगा।
इस शुल्क के बदले ही उन्हें पठन सामग्री भेजी जाएगी। जवानों को परीक्षा शुल्क के रूप में 300 रु. अलग से देने होंगे। इस पहल से निश्चित रूप से जवानों को लाभ होगा। इससे उन्हें आज के दौर की अन्य नौकरियां भी मिल सकती हैं।
-अरुण कुमार सिंह
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