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पहला सुख निरोगी काया… योग सुख की इस पहली सीढ़ी तक ले जाने वाला सहज साधन है। शरीर निरोगी हो तो जीवन में आनंद का योग बनना ही है
अरुण कुमार सिंह
कहा जाता है कि जो व्यक्ति योग करता है वह सदा निरोगी रहता है। यहां योग के कुछ फायदों को प्रस्तुत करने की कोशिश की जा रही है।
दर्द दूर करे
योग से लगभग हर प्रकार का दर्द दूर हो जाता है। नियमित योग से शरीर में मौजूद विषैले पदार्थ कम होते जाते हैं। इन पदाथार्ें के कम होने से शरीर की हर क्रिया संतुलित हो जाती है। इसमें रक्त भी शामिल है, जो आमतौर पर शरीर में जरूरी पोषक तत्व पहुंचाने और विषैले तत्वों को हटाने का काम करता है। एक बार शरीर की आंतरिक व्यवस्था ठीक हो जाती है तो शरीर दर्द का बेहतर तरीके से सामना कर पाता है।
लचीलापन बढ़ाए
जोड़ों, हड्डियों या मांसपेशियों की बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए योग बहुत ही कारगर सिद्ध हो सकता है। योग हमारे मांसपेशीय ढांचे को मजबूती प्रदान करता है। इससे हमारे शरीर में अधिक लचीलापन आता है। हम बेहतर काम कर सकते हैं। हमारी पकड़ मजबूत होती है। हम चीजों को बेहतर तरीके से खींच या धकेल सकते हैं। यानी मांसपेशियों से जुड़े काम करना हमारे लिए अपेक्षाकृत आसान हो जाता है। इससे चोट लगने के खतरे भी कम हो जाते हैं। योग हमारे शरीर के लिए बहुत अच्छा व्यायाम है। इससे पूरे शरीर की मांसपेशियों की कसरत हो जाती है। इससे हमारा शरीर अधिक मजबूती से काम करता है।
एकाग्रता बढ़ाए
यदि आपका मस्तिष्क शांत है, तो आप चीजों पर बेहतर ढंग से एकाग्र कर पाएंगे। इससे आपकी स्मरणशक्ति भी बढ़ेगी। योग और ध्यान से आपका प्रतिक्रियात्मक समय कम होता है। आप चीजों पर बेहतर और लंबे समय तक ध्यान केंद्रित कर पाते हैं। इससे आपकी कार्यक्षमता में भी बढ़ोतरी होती है।
दिल करे दुरुस्त
आजकल जीवनशैली ऐसी हो गई है कि छोटी उम्र में ही दिल से संबंधित बीमारियां होने लगी हैं। योग दिल की सेहत को सुधारने में अहम भूमिका निभाता है। श्वास प्रक्रिया को नियंत्रित कर योग हमारी धड़कनों को नियंत्रित करने में मदद करता है। योग से हमारे रक्त में अधिक मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचती है इससे दिल भी स्वस्थ रहता है।
वजन होता है कम
योग के साथ आप आहार पर नियंत्रण रखें तो आपका वजन कभी नहीं बढ़ सकता। योग आपके पूरे शरीर की मांसपेशियों पर असर डालता है। इससे हमारे पूरे शरीर में पौष्टिक तत्वों का सही अनुपात में विस्तार होता है और हमारा पाचन तंत्र ठीक रहता है। पाचन तंत्र ठीक रहने से आप ज्यादा कैलोरी खर्च कर पाएंगे। इसके बाद तो वजन बढ़ने का कोई सवाल ही नहीं है।
मन को रखे शांत
योग में श्वास लेने की प्रक्रिया बहुत महत्वपूर्ण होती है। योग श्वास पर नियंत्रण रखने की कला सिखाता है। यह मस्तिष्क के दोनों हिस्सों में संतुलन बनाने का काम करता है।
तनाव से नाता नहीं
लगातार योगाभ्यास करने से आप दैनिक तनावों से दूर रहेंगे। जब भी आपको तनाव महसूस हो, आप तीन-तीन बार भ्रामरी क्रिया और ओम का उच्चारण कर लें, तनाव तुरंत भाग जाएगा।
शारीरिक संतुलन में मदद
गठिया जैसी कुछ अन्य बीमारियां धीरे-धीरे शरीर का संतुलन बिगाड़ देती हैं। लंबे समय तक इन रोगों से पीडि़त मरीजों का शारीरिक संतुलन इतना बिगड़ जाता है कि वह राह चलते गिर सकता है, किसी वस्तु से टकरा सकता है। ऐसे मरीजों को लगातार योगाभ्यास करना चाहिए। इससे उनका शारीरिक संतुलन ठीक हो जाएगा।
रक्त संचार में सुधार
योग करने से रक्त संचार सुचारु हो जाता है। रक्त संचार के ठीक रहने से शरीर के प्रत्येक अंग तक ऑक्सीजन आसानी से पहुंचती है। इससे रक्तचाप ठीक रहता है। नियमित योगासनों और श्वास-तकनीकों के जरिए आप शरीर में रक्त के संचार को बेहतर बना सकते हैं।
गर्भावस्था में योग
गर्भावस्था में योग बहुत लाभदायक होता है। गर्भावस्था के दौरान आने वाली समस्याएं जैसे अनिद्रा, पीठ दर्द, पैरों में दर्द आदि में राहत मिलती है। लेकिन ध्यान रखें इस दौरान अपने चिकित्सक से पूछे बिना योग न करें।
छिपती है बढ़ती उम्र
योगाभ्यास करने से रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ती है। जिसके शरीर में रोग निरोधक क्षमता बढ़ जाती है लोगों को उसकी बढ़ती उम्र का अंदाजा नहीं लगता। वह सदैव जवान दिखता है।
सर्दी नहीं आती पास
दमा, एलर्जी, पुराना नजला, जुकाम आदि रोगों में प्राणायाम बहुत ही लाभदायक है। इससे फेफड़ों की ऑक्सीजन ग्रहण करने की क्षमता बढ़ जाती है और शरीर की कोशिकाओं को ज्यादा ऑक्सीजन मिलने लगती है। इससे पूरे शरीर पर सकारात्मक असर पड़ता है।
बढ़ती है आंतरिक ऊर्जा
योग-ध्यान से मानसिक तनाव दूर होकर गहन आत्मिक शांति महसूस होती है, कार्य शक्ति बढ़ती है, नींद अच्छी आती है, मन की एकाग्रता एवं धारणा-शक्ति बढ़ती है। इन सबके बाद तो व्यक्ति की आंतरिक ऊर्जा बढ़ना लाजिमी है।
दवाओं की निर्भरता कम
योग एक ऐसा साधन है जिसको अपनाने से किसी भी बीमारी के मरीज को दवा की कम जरूरत होने लगती है। अगर कुछ वर्ष तक लगातार योग किया जाए तो पुरानी से पुरानी बीमारी से पीडि़त व्यक्ति की दवा सदैव के लिए बंद हो सकती है। ल्ल
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