|
आज का दौर रुकने का नहीं, लगातार बढ़ते रहने का है। वर्तमान स्थिति को देखते हुए युवाओं को जरुरत है सोच-समझकर कार्यक्षेत्र चुनने की। युवाओं को चाहिए कि वे परंपरागत ढर्रे से हटकर कुछ अलग करें
प्रो. संजय कुमार
आज के दौर में परंपरागत ढर्रे पर चलकर नौकरियां पाना बेहद मुश्किल है। बाजार में नौकरियां उन्हीं के लिए हैं जो कुछ विशेष योग्यता रखते हों। वैसे भी भीड़ से हटकर जो सोच रखता है वही सफलता पाता है। करोड़ों युवा ऐसे हैं जो स्नातक हैं लेकिन बेरोजगार हैं, कारण यह है कि वे सिर्फ नाम के स्नातक हैं, उनके पास नौकरी पाने के लिए कोई विशेष योग्यता नहीं है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में स्नातक कर चुके युवाओं को कौशल युक्त शिक्षा की सबसे ज्यादा जरूरत है। कौशल युक्त शिक्षा से तात्पर्य केवल तकनीकी शिक्षा से नहीं है बल्कि ऐसी शिक्षा से है जो रोजगारपरक हो। हर वर्ष करोड़ों युवा देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों से स्नातक करते हैं। बहुत से युवा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। उनमें से बहुत से सफल भी होते हैं पर बहुत से ऐसे भी होते हैं जो सफल नहीं हो पाते। ऐसे में कौशल युक्त शिक्षा युवाओं के भविष्य के लिए लाभदायक है। पहले की अपेक्षा हमारे देश में कौशलयुक्त शिक्षा में बढ़ोतरी हुई है फिर भी करीब 12 करोड़ युवा पूर्ण रूप से बेरोजगार हैं या फिर छोटी-मोटी नौकरियां कर किसी तरह काम चला रहे हैं। एक सर्वेक्षण के अनुसार 1983 से 2013 तक भारत में युवा बेरोजगारी की औसत दर 7़.32 प्रतिशत रही।
आज स्नातक होने के बाद भी करोड़ों युवा बेराजगार घूम रहे हैं। इसके कई मुख्य कई कारण, धीमी गति से आर्थिक विकास, जनसंख्या वृद्घि, भारतीय शिक्षा नीति में समयानुसार बदलाव न होना, त्रुटिपूर्ण शिक्षा आदि हैं। ऐसा नहीं है कि देश में केवल सामान्य स्नातक बेरोजगार हैं। तकनीकी व मेडिकल शिक्षा लेने वाले युवा भी बेरोजगार हैं। कितने ही युवा ऐसे हैं जिन्होंने पीएचडी की है लेकिन उनके पास रोजगार नहीं है। यदि गहराई से अध्ययन करें तो बहुत सी चीजें और शोध निकलकर सामने आते हैं जो बेरोजगारी का मुख्य कारण हैं। बहरहाल आज की परिस्थितियों को देखते हुए युवाओं को ऐसे कोर्स का चुनाव करना चाहिए जिसके बाद उन्हें भारत में ही नहीं बल्कि विश्व में कहीं भी रोजगार मिल सके। बहुत से ऐसे कोर्स हैं जिनके बारे में युवाओं को जानकारी ही नहीं है। इनमें कई कोर्स ऐसे हैं जिनके लिए स्नातक होना भर अनिवार्य है, चाहे वह किसी भी स्ट्रीम से स्नातक हो। छह महीने से एक वर्ष की अवधि के इन कोर्सों को करने के बाद युवा आसानी से नौकरी पा सकते हैं या फिर सरकार की योजनाओं के अनुसार लोन लेकर अपना काम शुरू कर सकते हैं। ऐसे कई कोर्स हैं जैसे:- पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन प्लांटेशन मैनेजमेंट, डिप्लोमा इन वाटर शेड मैनेजमैंट, डिप्लोमा इन वेस्ट मैनेजमेंट, डिप्लोमा इन आर्गेनिक फार्मिंग, डिप्लोमा इन टी टेस्टिंग, टी ब्रोकरिंग, टी कनसलटिंग, टी प्रोसेसिंग एंड प्लांटिंग, टी ब्रांडिंग, टी मार्किटिंग।
देश के अनेकों संस्थानों में ये कोर्स उपलब्ध हैं। छह महीने से लेकर दो वर्ष तक की अवधि के इन कोर्सों को कर युवा रोजगार पा सकते हैं। इनमें से ज्यादातर कोर्स नियमित हैं लेकिन कई कोर्स ऐसे भी हैं जो पत्राचार द्वारा किए जा सकते हैं। जैसे चाय बागानी या चाय के क्षेत्र से संबंधित कोर्स नियमित ही होते हैं। जबकि प्लांटेशन मैनेजमेंट, वाटर शेड मैनेजमेंट जैसे कोर्स पत्राचार माध्यम से भी किए जा सकते हैं। इसके अलावा आज कुछ ऐसे भी कोर्स उपलब्ध हैं जो थोड़ा अलग हैं। ये महंगे कोर्स हैं लेकिन उनमें लाखों की आय होती है। जैसे नेशनल गोल्फ एसोसिएशन द्वारा गोल्फ मैनेजमेंट के क्षेत्र में कई कोर्स कराए जाते हैं। इनमें महत्वपूर्ण हैं बिजनेस प्लानिंग इन ऑपरेशन एनालाइसिस ऑफ स्विंग, मर्चेडाइसिंग ऐंड इनवेंटरी, गोल्फ क्लब डिजाइन ऐंड रिपेयर, गोल्फर डेवलपमेंट इत्यादि। आज युवाओं के लिए बाजार में ढेर सारे अवसर मौजूद हैं लेकिन सही मार्गदर्शन न मिलने के कारण वे यह निश्चित नहीं कर पाते कि उन्हें करना क्या है। उनके लिए सबसे पहले जरूरी है कि वे अपने लिए एक लक्ष्य निर्धारित करें कि करना क्या है? इसके बाद योजनाबद्ध तरीके से आगे बढ़ते हुए जिस भी फील्ड में जाना हो, उसके बारे में पूरी जानकारी एकत्रित करें। इसके बाद ही कोर्स का चुनाव करें।
(करियर ऐंड रिलेशनशिप काउंसलर, वर्तमान में आरवी नार्थलैंड गु्रप ऑफ इंस्टीट्यूशन में कार्यकारी सहयोगी)
टिप्पणियाँ