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इण्टरनेशनल फ्लीट रिव्यू जो औपनिवेशिक शासन की देन माना जाता था, अब नये परिदृश्य में राष्ट्रीय गौरव के रूप में पहचान बना रहा है। हाल ही विशाखापत्तनम में इण्टरनेशनल फ्लीट रिव्यू 2016 के समापन समारोह में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने समुद्र के रास्ते पनपे आतंकवाद और डकैती के विरुद्ध पैनी नजर रखने की बात कही है। ये दोनों हाल के वर्षों में सामुद्रिक सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती बनकर उभरे हैं। प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि भारत समुद्री आतंकवाद के खतरे का प्रत्यक्ष पीडि़त रहा है। यह हमारी क्षेत्रीय स्थिरता, वैश्विक शांति के लिए लगातार गंभीर चुनौती बन रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, ''भारतीय महासागर क्षेत्र मेरी प्राथमिकता में सबसे ऊपर है। हमारी रणनीति समुद्र के हमारे दृष्टिकोण में भी दिखती है। और यह क्षेत्र में सभीकी सुरक्षा और उन्नति पर केंद्रित है. हम समुद्र में विशेषकर भारतीय महासागर में अपने भू राजनीतिक व आर्थिक हितों को आगे बढ़ाएंगे।'' विवादित दक्षिण चीन सागर में एकाधिकार के चीन के प्रयासों का बिना उल्लेख किए श्री मोदी ने कहा कि संबंधित देशों को समुद्री आवागमन की स्वतंत्रता का सम्मान करना चाहिए।'' श्री मोदी ने कहा, ''इस इण्टरनेशनल फ्लीट रिव्यू से बने माहौल को मजबूत करने के लिए भारत अप्रैल 2016 में पहले वैश्विक समुद्री शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। इसमें व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी और अन्य सामुद्रिक देशों के साथ वाणिज्यिक संबंधों सदृढ़ बनाने पर जोर दिया जाएगा।'' प्रधानमंत्री ने भरोसा जताया कि इस अभियान का जरूरी हिस्सा भारत के तटीय और द्वीप क्षेत्र के विकास पर केंद्रित है, केवल पर्यटन पर नहीं। हम महासागरीय संसाधनों का उपयोग कर तटीय क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों के स्तंभ खड़े करना चाहते हैं और इन्हें भीतरी क्षेत्रों से जोड़ना चाहते हैं।''इसके तहत भारत के तटीय क्षेत्रों में समुद्री जहाज निर्माण उद्योग को बढ़ावा देने की योजना है जिसके लिए देश के 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम की क्षमताओं का लाभ उठाया जाएगा।
भारत को 26/11 के मुम्बई आतंकी हमले का यह संदेश ध्यान रखना जरूरी है कि देश को अपनी जमीनी सुरक्षा की तरह देश की 7500 कि.मी. लंबी तटरेखा और द्वीपीय क्षेत्र में रहने वाले समुदायों की भी रक्षा करनी है। दूसरे मोर्चे पर भारत को भारतीय महासागर क्षेत्र में चीन की तेजी से बढ़ती उपस्थिति की चुनौती का सामना करने की भी जरूरत है। चीन जिस तरह अपना संपर्क, व्यापार और भू रणनीतिक प्रभाव बढ़ाने के उद्देश्य से अपने प्रस्तावित सामुद्रिक 'सिल्क रूट' को तेजी से बना रहा है, भारत को भी विश्व भर के महासागरीय तटों तक अपना प्रभाव बढ़ाने और ताकत का एहसास कराने के लिए प्रभावी व्यूहरचना करनी होगी। भारतीय नौसेना ने भारतीय महासागर क्षेत्र और उससे भी परे अपनी शक्ति का विस्तार, निगरानी और मारक क्षमता को बढ़ाने के लिए बहुआयामी रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है।
इस क्रम में भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल अरब सागर स्थित लक्ष्यद्वीप व मिनीकॉय और बंगाल की खाड़ी में स्थित अंदमान और निकोबार के समुदायों का रक्षातंत्र मजबूत करने के अभियान में जुटे हैं। भारतीय महासागर क्षेत्र से देश के महत्वपूर्ण हित जुड़े हैं क्योंकि वैश्विक भू रणनीति अब विश्व के सबसे इस बड़े समुद्री व्यापार मार्ग पर केन्द्रित हो रही है।
पिछले दशक में भारतीय महासागरीय क्षेत्र में बदलते भू रणनीतिक दावों ने दूसरे तटीय देशों को समुद्र की तरफ देखने को विवश कर दिया है और उनकी उपस्थिति ने भारत के लिए इस समुद्री क्षेत्र के देशों पर अपना अनुकूल प्रभाव बढ़ाने का एक चुनौतीपूर्ण अवसर उपलब्ध करा दिया है। अपनी शक्ति के प्रदर्शन के लिए भारतीय नौसेना ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मलक्का की खाड़ी में अपनी सैन्य क्षमताओं का खासा विस्तार किया है। भारतीय महासागर क्षेत्र में भारत का सबसे बड़ा लाभ यह है कि वह अपने मुख्य आधार से संचार की उसकी लाइनें छोटी है और संसाधनों तक उसी पहंुच आसान है। भारतीय समुद्री क्षेत्र में बड़ी ताकत के रूप में उभरने के लिए भारत को इन स्वाभाविक लाभों का उपयोग करना होगा।
इस परिप्रेक्ष्य में इण्टरनेशनल फ्लीट रिव्यू ने एक बड़ा अवसर मुहैया कराया। चौड़ी छाती वाले ऑपरेशनल समुद्री जहाज सुसज्ज होकर संप्रभु राष्ट्र के प्रति अपनी निष्ठा का प्रदर्शन कर रहे थे। अंग्रेजों के समय में फ्लीट रिव्यू को नौसैनिक क्षमता के प्रदर्शन और समुद्री युद्ध के लिए इसकी तैयारी की जांच-परख के लिए शुरू किया गया था। बाद में यह कवायद मात्र एक रस्म अदायगी बनकर रह गई थी।
2016 का फ्लीट रिव्यू बंगाल की खाड़ी में आंध्र प्रदेश के तटीय शहर विशाखापत्तनम के सागर में हुआ, जिसमें अन्य नौसेनाओं समेत भारत, अमेरिका, रूस, जापान, चीन, आस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया की नौसेनाएं शामिल हुईं। इन नौसेनाओं ने अपने 100 से भी अधिक जंगी जहाजों, पनडुब्बियों और लडाकू विमानों-हेलीकॉप्टरों समेत आधुनिक प्रक्षेपास्त्रों तथा अनेक मारक अस्त्र-शस्त्रों का प्रदर्शन किया। अमेरिकी टाइकोंडरोगा-क्लास गाइडेड मिसाइल क्रूजर, यूएसएस एंटिएटम और ऑरर्लीघ-बर्के-क्लास गाइडेड मिसाइल विनाशक, यूएसएस मैककैंपबेल, चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के दो टाइप 054ए, जियांग काइ-कक-क्लास फ्रिगेट्स, द प्लान ल्युशो और प्लान सान्या, रॉयल ऑस्ट्रेलियन नेवी का एडिलेड-क्लास गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट और द एचएमएएस डार्विन इस रिव्यू के कुछ प्रमुख आकर्षण थे।
भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री मोदी, रक्षामंत्री श्री मनोहर पर्रीकर और नौसेना प्रमुख आर.के. धोवन इस अवसर पर उपस्थित थे। भारत ने पिछला इण्टरनेशनल फ्लीट रिव्यू 2001 में 29 सहभागी देशों के साथ मुम्बई के तटीय क्षेत्र में किया था। अपनी समुद्री ताकत को आंकने का यह भारत का ग्यारहवां इण्टरनेशनल फ्लीट रिव्यू था।
– राधाकृष्ण राव (लेखक विज्ञान, प्रौद्योगिकी और रक्षा विषयों पर लिखते हैं)
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