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पिछले सप्ताह पुणे मे विश्व के आठ सौ से अधिक योगसंस्थाओं से जुड़े योगप्रचारकों का एकत्रीकरण देखने में आया। वे सब विश्व पचास से ज्यादा देशों में योगाभ्यास सिखा रहे हैं। आठ सौ योग प्रचारकों का एक जगह एक साथ होना एक बड़ी बात थी। पुणे में एकत्र इन साधकों में योग साधना में अपना पूरा जीवन लगा देने वाले योगाचार्य बीकेएस अय्यंगर जी की प्रेरणा सेे योग से जुड़े साधक बड़ी संख्या में आये थे। इनमें काफी युवा साधक भी थे। योग दुनिया में खासा मशहूर हो रहा है। ़21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस हर साल मनाने का एक बड़ा फैसला हुआ ही है। इससे दुनिया भर में योग का खूब प्रसार हो रहा है। जगह-जगह योगाभ्यास करने वालों की संख्या में वृद्धि देखने में आ रही है। पिछले साल पश्चिमी और पूर्वी देशेां में अनेक शहरों में योग संस्थाएं थी हीं, लेकिन अब छोटे-छोटे शहरोें में भी लोग इस ओर आकर्षित हो रहे हैं। योगाभ्यास के छोटे-बड़े वर्ग लग रहेे हैं।
पुणे में जो एक सप्ताह का अभ्यास वर्ग लगा, उसमें योगाचार्य जी से प्रेरणा लिए शिष्यों की बहुत बड़ी संख्या तो थी ही, लोगों में भी एक नया जोश था। योगाचायंर् अय्यंगर का दो साल पहले देहावसान हो गया था। उनकी आयु 94 साल की थी। उन्होंने जब 92 साल की आयु में चीन में दो घंटे तक योगाभ्यास के कठिन आसन दिखाए थे तो चीन तथा विश्व के प्रसार माध्यमों ने आश्चर्य प्रगट किया था। उस कार्यक्रम में चीन के राष्ट्रपति स्वयं उपस्थित थे। अपनी 75 वर्ष की योग साधना में उन्होंने पांच लाख योग प्रचारक खडे़ किए हैं।
पुणे में जो अभ्यास वर्ग लगा वह योगाचार्य अय्यंगर की पुत्री डॉ. गीता अय्यंगर जी के 70 वें जन्मदिवस के उपलक्ष्य में लगा था। वैसे तो हर साल एक सप्ताह का योग अभ्यास वर्ग विदशों में अनेक स्थानों पर होता ही है लेकिन इस साल सब जगह का मिला-जुला वर्ग पुणे में रखा गया था। ऐसे वर्ग मे इतने बडे़ पैमाने पर साधकों का मिलन, उनमें विचारों का आदान-प्रदान, अनुभवों का आदान-प्रदान हुआ। पता चला कि अब तो अरब देशों, रूस, चीन, अफ्रीका और पूर्वी एशिया के देशों में भी योग करने वालों की संख्या बढ़ी है। वहां लोग अब योग के साथ साथ अध्यात्म और योगसूत्र के बारे में जिज्ञासु हैं। मोरेश्वर जोशी
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