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नाम : जेफ्री आर्मस्ट्रांग उत्तरी अमरीका
क्या हैं : वैदिक शोधकर्ता
संस्कृति सूत्र: आध्यात्मिक पुस्तक
परिवर्तन का क्षण: हिन्दुत्व के प्रति आकर्षण
वैदिक ज्ञान के अध्येता जेफ्री आर्मस्ट्रांग भी हिन्दुत्व के प्रति समर्पित हैं। खुद उनके शब्दों में, 'मैं पिछले 48 वर्ष से सनातन धर्म का पालन कर रहा हूं और 20 वर्ष से वैदिक ज्ञान का अध्यापन कर रहा हूं। मेरा जन्म एक ईसाई परिवार में हुआ था, लेकिन 13 वर्ष की आयु में मैंने इसे ठुकरा दिया था। मैंने इतिहास और तुलनात्मक मजहबों में स्नातक भी किया है और फिलहाल मैं श्रीमद्भगवद्गीता का अंग्रेजी अनुवाद कर रहा हूं, जिसमें पहली बार २्रल्ल, ॠङ्मि, छङ्म१ि, ऌीं५ील्ल, फी'्रॅ्रङ्मल्ल, ंल्लॅी'२ आदि किसी भी 'ईसाई शब्द' का प्रयोग नहीं किया गया है़.़ । अमरीका और कनाडा आने वाले अधिकांश हिन्दू प्रवासी स्वयं को रूढि़वादी समझते हैं, यह जाने बिना कि यहां उत्तरी अमरीका में, रूढि़वादी राजनीति और मतान्ध रूढि़वादी ईसाइयत एक ही चीज हैं। यहां तेल उत्खनन, उन्नत जीव के जीन, परमाणु शक्ति आदि से लड़ने का अर्थ होता है उन मूल्यों से जुड़ना, जो भारत से आयात किए गए हैं, जैसे शाकाहार, शराब न पीना, एलोपैथी के स्थान पर निरोधात्मक टिकाऊ चिकित्सा, जो दवा कंपनियों के अत्याचारों के खिलाफ होती है। परमाणु शक्ति के स्थान पर सौर ऊर्जा का प्रयोग करना, योग, पुनर्जन्म आदि। उत्तरी अमरीका में, इस तरह के विचार रखने का अर्थ उस ईसाइयत से बैर मोल लेना भी होता है, जो रूढि़वादी और सर्वनाश की भविष्यवाणी से संबंधित है। अगर राजनीतिक भारत इन और इनसे संबंधित क्षेत्रों में विश्व का नेतृत्व करता है, तो मजहबी उन्माद के अंधेरों से भरे दिमागों तक ज्ञान की रोशनी पहुंच सकेगी। हमने भारत में गुरुजनों से ये श्रेष्ठतर तरीके सीखे हैं। इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम इस समय इस विश्व का नेतृत्व करें, कई जीवन चक्रों तक जाने वाली विश्व दृष्टि का समर्थन करें, जिसे कोई और अब्राहमिक मजहब नहीं करता। गैर-उपनिवेशवादी ईसाई उत्तरी अमरीका में इन विचारों की ओर आकर्षित हैं। मैं पोलैंड के रहने वाले पोप जॉन को उद्धृृत करता हूं। पोप ने कहा था, '20 वीं सदी में हमें सलीब को अफ्रीका में रोपना था। 21 वीं सदी में हमें इसे एशिया में अवश्य रोपना चाहिए।' मेरे विचार से इस योजना को हर संभव तरीके से जड़ से उखाड़ा जाना चाहिए, जिसमें नई दिशा को स्थापित करना और वैश्विक सनातन धर्म और संस्कृति के अनुरूप आदशार्ें को स्थापित करना शामिल होगा। जेफ्री मजबूती और तार्किकता के साथ अपनी बात लोगों के सामने रखते हैं। उनसे सहमत होने वालों का सिलसिला बढ़ना लाजमी है। वैसे भी, मानवता के प्रति समर्पित संस्कृति की प्रेरणा जिस विचार का आधार हो उससे लोग क्यों न जुड़ें?
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