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पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष स. प्रताप सिंह बाजवा के बयानों को कोई गंभीरता से नहीं लेता, लेकिन पिछले दिनों उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को लेकर जो अनर्गल बयान दिया उससे हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों और नागरिकों में आक्रोश है। शायद बाजवा नहीं जानते कि वर्तमान में पंजाब की ज्वलनशील परिस्थितियों में उनका राजनीतिक झूठ आग में पेट्रोल का काम कर सकता है।
जालंधर के एक स्कूल में आयोजित कार्यक्रम के दौरान प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि राज्य के वर्तमान हालातों के पीछे रा. स्व. संघ का हाथ है। इस तरह का बयान देकर हो सकता है कि उन्होंने कांग्रेस की परम्परा अनुसार नेहरू-गांधी परिवार को रिझाने का प्रयास किया हो, लेकिन वे नहीं जानते कि उनके इस लापरवाह बयान से राज्य के लोगों को उनकी गांधी परिवार भक्ति की कितनी कीमत चुकानी पड़ सकती है। सभी जानते हैं कि पंजाब में कुछ समय से विभिन्न हिस्सों में श्री गुरुग्रंथ साहिब के अपमान की घटनाएं हो रही हैं।
इससे न केवल पंजाब, बल्कि पूरे देश के लोग आहत और आक्रोशित हैं। ऐसा लगता है मानो बाजवा ने इसी आक्रोश का संघ के विरुद्ध राजनीतिक लाभ उठाने का प्रयास किया हो। प्रद्रेश कांग्रेस के अध्यक्ष होने के नाते बाजवा जानते ही होंगे कि अतीत में उनके वरिष्ठ नेताओं ने भी पंजाब में इसी तरह की गलती की थी और अपने राजनीतिक विरोधियों को कमजोर करने के उद्देश्य से पंजाब में आतंकवाद को सरकारी प्रोत्साहन दिया। इसका नुकसान पंजाब को दो दशक तक आतंकवाद की आग में झुलसकर भुगतना पड़ा। इस आग में 30 हजार से अधिक बेकसूर हिन्दू-सिख मारे गए थे और अरबों रुपयों की संपत्ति का नुकसान हुआ था।
विकास की दृष्टि से पंजाब पिछड़ गया सो अलग। दुर्भाग्य की बात है कि बाजवा ने अपने वरिष्ठ नेताओं की गलतियों से कुछ सीख न लेते हुए एक बार फिर से सांप्रदायिक द्वेष फैलाने का प्रयास किया है। सभी जानते हैं कि बाजवा अपने नेतृत्व कौशल के बल पर कम और गांधी परिवार की चाटुकारिता की योग्यता के चलते ही पंजाब प्रदेश कांग्रेस के मुखिया बने हुए हैं।
उन्हें एक खानदान की भक्ति से समय निकालकर अपने पार्टी के ही किसी समझदार नेता से पूछना चाहिए कि पंजाब में फैले आतंकवाद के दौरान रा. स्व. संघ ने किस तरह विपरीत परिस्थितियों में भी देश की एकता अखंडता व हिन्दू-सिख भाईचारे को कायम रखने के लिए कितनी कुर्बानियां दीं।
राष्ट्र साधना के मार्ग पर चलते हुए संघ के स्वयंसेवकों ने मोगा, लुधियाना, डबवाली सहित अनेक स्थानों पर अपने जीवन का बलिदान किया। आतंकवाद पीडि़त हिन्दू-सिख परिवारों के पुनर्वास में अहम भूमिका निभाई। केवल इतना ही नहीं 1984 में दिल्ली में हुए सिख विरोधी दंगों में भी पीडि़तों की मदद करने में संघ की विशेष भूमिका रही।
लोगों के जानमाल की सुरक्षा और पीडि़तों के पुनर्वास में स्वयंसेवकों ने आगे बढ़कर समाज की सेवा की। पंजाब की वर्तमान परिस्थितियों में भी संघ ने अपने राष्ट्रीय दायित्व का पालन किया।
संघ ने सबसे पहले आगे आकर इन घटनाओं की निंदा करते हुए अपराधियों को गिरफ्तार करने की मांग की। जगह-जगह गुरुद्वारा साहिब में श्री अखण्ड पाठ के भोग आयोजित कर लोगों से शांति-सद्भाव बनाए रखने की अपील की गई। चाहे सार्वजनिक प्रयास हो, मीडिया में या फिर सोशल मीडिया द्वारा संघ के स्वयंसेवकों ने इन घटनाओं को लेकर लोगों को तथ्यात्मक जानकारी पहुंचाने, घटनाओं से राज्य के सामाजिक वातावरण में लगी आग को शांत करने का सराहनीय कार्य किया।
पुलिस ने जब इन घटनाओं के आरोपियों को गिरफ्तार किया है तो कई तरह के हैरान करने वाले तथ्य भी सामने आए। ऐसे समय पर कांग्रेस विशेषकर बाजवा को चाहिए कि आग में घी डालने का काम न करें। ल्ल प्रतिनिधि
जमीन घोटाले में वाड्रा से जुड़ी कंपनियों पर छापेमारी
प्रवर्तन निदेशालय ने राबर्ट वाड्रा की कंपनी से जमीन खरीदने वाली कंपनी के एक चार्टर्ड अकाउंटेंट के यहां छापेमारी की है। इसी कंपनी द्वारा वाड्रा की विवादित जमीन खरीदी गई थी। चर्चा है कि यह कंपनी सिर्फ कागजांे में ही चल रही है। राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार के कार्यकाल में नियमों को ताक पर रखते हुए बीकानेर में राबर्ट वाड्रा को जमीन आवंटित की गई थी। यही नहीं जमीन का उपयोग भी बदल दिया गया। कुछ समय बाद इस जमीन को एक निजी कंपनी को बेच दिया गया। इसी को ध्यान में रखते हुए दक्षिण दिल्ली स्थित उक्त चार्टर्ड अकाउंटेंट के दफ्तर में गत दो नवम्बर को छापेमारी की गई है। दक्षिण दिल्ली के अलावा गुड़गांव, फरीदाबाद, पलवल और राजस्थान में भी छापेमारी की गई। इस दौरान प्रवर्तन निदेशालय द्वारा अहम साक्ष्य मिलने के संकेत मिले हैं। बताया जाता है कि इस चार्टर्ड अकाउंटेंट की जमीन खरीद मामले में अहम भूमिका रही थी। इस मामले में राजस्थान पुलिस द्वारा भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मामला दर्ज कर जांच की जा रही है। प्रवर्तन निदेशालय अभी इस जांच में जुटा हुआ है कि आखिर बीकानेर जमीन घोटाले में किस-किस कंपनी को कितना लाभ पहंुचाया गया है। इस संबंध में पिछले माह ही 'मनी लांड्रिंग' रोकथाम कानून के तहत मामला दर्ज किया गया था। वाड्रा द्वारा खरीदी गई जमीन का विवाद वर्ष 2009-10 का है। उधर हरियाणा सरकार ने भी वाड्रा पर जमीन खरीदने के मामले में शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। राज्य सरकार को हरियाणा में हुए जमीन के सौदे में कई अन्य बड़ी खामियां मिली हैं। ल्ल प्रतिनिधि
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