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गत दिनों झारखंड के रांची में सरला बिरला स्कूल में 30 अक्तूबर से 1 नवंबर तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की तीन दिवसीय बैठक संपन्न हुई। बैठक का उद्घाटन सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत एवं सरकार्यवाह श्री सुरेश भैया जी जोशी ने किया। तीन दिनों में अनेक सत्रों में विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई।
जनसंख्या नीति पर हो पुनर्विचार
बैठक के दूसरे दिन जनसंख्या वृद्धि दर में असंतुलन की चुनौती को गंभीरता से लेते हुए एक प्रस्ताव पारित हुआ। प्रस्ताव में कहा गया कि देश में जनसंख्या नियंत्रण हेतु किए गए विविध उपायों से पिछले दशक में जनसंख्या वृद्धिदर में पर्याप्त कमी आयी है,लेकिन इस संबंध में अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल का मानना है कि 2011 की जनगणना के पांथिक आधार पर किए गए विश्लेषण से विविध संप्रदायों की जनसंख्या के अनुपात में जो परिवर्तन सामने आया है, उसे देखते हुए जनसंख्या नीति पर पुनर्विचार की आवश्यकता प्रतीत होती है। विविध मत-सम्प्रदायों की जनसंख्या वृद्धिदर में भारी अंतर, अनवरत विदेशी घुसपैठ व कन्वर्जन के कारण देश की समग्र जनसंख्या, विशेषकर सीमावर्ती क्षेत्रों की जनसंख्या के अनुपात में बढ़ रहा असंतुलन देश की एकता, अखंडता व सांस्कृतिक पहचान के लिए गंभीर संकट का कारण बन सकता है। इसके अतिरिक्त देश के सीमावर्ती प्रदेशों जैसे असम, पश्चिम बंगाल व बिहार के सीमावर्ती जिलों में तो मुस्लिम जनसंख्या की वृद्धिदर राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है, जो स्पष्ट तौर से बंगलादेश से अनवरत घुसपैठ का संकेत देती है। हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा हजारिका आयोग के प्रतिवेदन और समय-समय पर आए न्यायिक निर्णयों में भी इन तथ्यों की पुष्टि की गई है। प्रस्ताव में इस बात पर भी चिंता जताई गई कि घुसपैठिये राज्य के नागरिकों के अधिकार हड़प रहे हैं तथा इन राज्यों के सीमित संसाधनों पर भारी बोझ बनकर सामाजिक-सांस्कृतिक, राजनीतिक तथा आर्थिक तनावों का कारण बन रहे हैं। अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल इन सभी जनसांख्यिकीय असंतुलनों पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए सरकार से आग्रह करता है कि एक, देश में उपलब्ध संसाधनों, भविष्य की आवश्यकताओं एवं जनसांख्यिकीय असंतुलन की समस्या को ध्यान में रखते हुए देश की जनसंख्या नीति का पुनर्निर्धारण कर उसे सब पर समान रूप से लागू किया जाय। दो, सीमा पार से हो रही अवैध घुसपैठ पर पूर्ण रूप से अंकुश लगाया जाय। साथ ही राष्ट्रीय नागरिक पंजिका का निर्माण कर इन घुसपैठियों को नागरिकता के अधिकारों तथा भूमि खरीद के अधिकार से वंचित किया जाय। अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल सभी स्वयंसेवकों सहित देशवासियों का आह्वान करता है कि वे अपना राष्ट्रीय कर्त्तव्य मानकर जनसंख्या में असंतुलन उत्पन्न कर रहे सभी कारणों की पहचान करते हुए जन-जागरण द्वारा देश को जनसांख्यिकीय असंतुलन से बचाने के सभी विधिसम्मत प्रयास करें।
बैठक के समापन सत्र को सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने संबोधित किया। श्री भागवत ने कहा कि आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को कार्य करते हुए 90 हो गए चुके हैं। अनेक प्रकार के विरोध-अवरोध, बाधाओं को पार करता हुआ संघ का कार्य और अधिक समाजव्यापी एवं देशव्यापी हो रहा है। संघ के राष्ट्र निर्माण और व्यक्ति निर्माण के मत्र द्वारा निर्मित कार्यकर्ताओं के त्याग, पुरुषार्थ और अथक परिश्रम के कारण ही संघ को यह सफलता प्राप्त हुई है। उन्होंने स्वयंसेवकों को संदेश दिया कि स्वयंसेवक के व्यवहार में लचीलापन होना चाहिए। कार्य विस्तार की यही दिशा और गति कायम रखते हुए समाज को साथ लेकर समाज परिवर्तन के प्रयास गतिमान करने होंगे। दोष मुक्त, समरस, समर्थ समाज की निर्मिति से ही समाज का पुरुषार्थ प्रकट होगा, भारत खड़ा होगा और बड़ा होगा। साथ ही समाज में प्रचलित जातिगत विषमता को दूर करते हुए अपने संस्कृति के महान तत्वों को जीवन में प्रत्यक्ष आचरित करते हुए नि:स्वार्थ भाव से समाज में कार्य करने की प्रेरणा जगानी होगी। प्रतिनिधि
'गुरु स्वरूप हैं श्रीगुरु ग्रंथ साहिब'
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री भैयाजी जोशी ने अ.भा. कार्यकारी मंडल की बैठक के दौरान वक्तव्य जारी कर कहा कि कहा कि समस्त भारतवासियों की श्रद्धा व आस्था के केन्द्र पवित्र श्री गुरुग्रंथ साहिब जी के पावन स्वरूप को अपमानित करने से देशवासियों के हृदय को गहरा आघात पहुंचा है। रा.स्व.संघ इस कृत्य की कड़े शब्दों में निंदा करता है। श्रीगुरु ग्रंथ साहिब 'जगत जोत' गुरु स्वरूप तो हैं ही साथ ही भारत की चिरन्तन आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक चेतना के संवाहक हैं तथा सांझीवालता के नाते समस्त भारत को जात-पात, मत-पंथ, ऊंच-नीच व क्षेत्र-भाषा के विभेदों से ऊंचा उठाकर एक साथ जोड़ते हैं। जिला फरीदकोट के बरगाड़ी गांव में हुई इस दु:खद घटना से स्पष्ट है कि कुछ स्वार्थी व राष्ट्रविरोधी तत्व सुनियोजित षड्यंत्र के तहत पंजाब का माहौल बिगाड़ना चाहते हैं।
जीवन से कदमताल मिलातीं कविताएं
गत दिनों इंदौर में कवि संदीप राशिनकर एवं श्रीती राशिनकर की संयुक्तकृति 'कुछ मेरी कुछ तुम्हारी' का प्रीतमकाल सभागृह में लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ निबंधकार नर्मदा प्रसाद उपाध्याय ने कलाओं के अंतरअनुशासन पर चर्चा करते हुए कृति में निहित काव्य और कला के सामर्थ्य की भूरि-भूरि प्रशंसा की। विशेष अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा ने कहा कि संग्रह की कविताएं प्रकृति और जीवन मूल्यों की सहज पुनर्स्थापना करती नजर आती हैं। यह एक अनूठी कृति है। संस्कृतिकर्मी एवं कला समीक्षक संजय पटेल ने कहा कि संग्रह की कविताएं जीवन से कदमताल मिलाकर चलती हैं। इस अवसर पर अनेक साहित्यकार, कवि उपस्थित थे।
ल्ल प्रतिनिधि
'रोशनी के पांव' लोकार्पित
पिछले दिनों दिल्ली के यमुना विहार के मनकामेश्वर मंदिर में राष्ट्रवादी साहित्यकार संघ दिल्ली द्वारा गिरिराज किशोर सक्सेना के गीत-गजल संग्रह 'रोशनी के पांव' का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम में वक्ता के रूप में उपस्थित कवयित्री इन्दिरा मोहन ने कहा कि गिरिराज किशोर सक्सेना की रचनाएं विनम्र साधना की जीवंत उपस्थिति हैं और रचनाधर्मिता की कसौटी पर खरी उतरती हैं। गीतकार राधेश्याम बंधु ने कहा कि 'रोशनी के पांव' जमीनी यथार्थ के सार्थक गीत हैं। इन गीतों में समाज में व्याप्त गरीबी, कुंठा, विसंगतियों की तस्वीर झलकती है। ये सभी कविताएं हृदय की गहराइयों में उतर जाती हैं। इस अवसर पर अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे। ल्ल प्रतिनिधि
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