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हाल ही में नेपाल में हुए राष्ट्रपति पद के चुनावों में पहली बार किसी महिला को नेपाल का राष्ट्रपति चुना गया है। चुनाव में सीपीएन-यूएमएल की नेता विद्या देवी भंडारी विजयी रही। गत 27 अक्तूबर को हुए चुनाव में उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी नेपाली कांग्रेस के उम्मीदवार कुल बहादुर गुरुंग को 100 से अधिक मतों से पराजित किया।
सीपीएन-यूएमएल की नेता भंडारी अपनी पार्टी के पूर्व महासचिव मदन भंडारी की पत्नी हैं। 1993 में एक रहस्यमय सड़क दुर्घटना में उनके पति का निधन हो गया था। इसके बाद वह सक्रिय राजनीति में आईं। वह अपनी पार्टी की उपाध्यक्ष भी हैं। चुनाव में विद्या को 327 मत मिले, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी गुरंग को 214 मत मिले। वह अब निवर्तमान राष्ट्रपति रामबरन यादव की जगह लेंगी। लोकतंत्र की घोषणा होने के बाद वर्ष 2008 में यादव राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे। नियमानुसार 20 सितंबर को देश में संविधान लागू होने के बाद नए राष्ट्रपति का चुनाव संसद सत्र की समाप्ति के एक माह के भीतर कराना अनिवार्य था। नेपाली संसद के अध्यक्ष ओंसारी घार्ती ने विद्या के चुने जाने की घोषणा की। भंडारी को गठबंधन के साझीदार दलों सीपीएन (माओवादी), आरपीपी (एन) और एमजेएफ (डी) का समर्थन मिला। जबकि गुरुंग को केवल नेपाली कांग्रेस के सांसदों का समर्थन मिला।
नेपाल के भोजपुर मानेभंजयंग में 1961 में जन्मी विद्या छात्र जीवन में ही वामपंथी नेता के रूप में राजनीति में आई। 1979 के आंदोलन में वह शामिल रहीं और बाद में उन्होंने सीपीएल (एमएल) की सदस्यता ली। पार्टी सदस्य बनने के बाद भूमिगत रहकर उन्होंने मोरांग जिले से निर्दलीय पंचायती व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई लड़ी। वर्ष 1993 में उनके पति मदन भंडारी की मौत के बाद वह सक्रिय राजनीति में आई।
उन्होंने नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री कृष्ण प्रसाद भट्टराई के खिलाफ चुनाव लड़ा और विजयी रहीं। वह वर्ष 2009 से 2011 तक माधव कुमार नेपाल की सरकार में मंत्री रहीं। दो दशक तक विद्या अपनी पार्टी के सहयोगी संगठन ऑल नेपाल वूमन एसोसिएशन की नेता भी रही हैं। *
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