चर्चा-बिन्दु - कृषि, गोपालन और सेकुलरवाद
December 1, 2023
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
Panchjanya
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • राज्य
    • वेब स्टोरी
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
    • ऑटो
    • जीवनशैली
    • पर्यावरण
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • जनजातीय नायक
SUBSCRIBE
No Result
View All Result
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • राज्य
    • वेब स्टोरी
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
    • ऑटो
    • जीवनशैली
    • पर्यावरण
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • जनजातीय नायक
No Result
View All Result
Panchjanya
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • संघ
  • पत्रिका
  • वेब स्टोरी
  • My States
  • Vocal4Local
होम Archive

चर्चा-बिन्दु – कृषि, गोपालन और सेकुलरवाद

by
Nov 2, 2015, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 02 Nov 2015 12:03:39

कृषि और गोपालन परस्पर पूरक एवं अन्योन्याश्रित हैं। गोवंश आधारित कृषि इस देश की आर्थिक रीढ़ रही है। तत्सम्बंधी ग्राम-उद्योग अपनी वंशगत विशेषज्ञता के कारण बेरोजगारी को पनपने देने में बहुत बड़े अवरोधक रहे हैं। गोवंश का जितना विनाश मुगल-शासन और ब्रिटिश-शासन में हुआ, उससे सौ गुना अधिक विनाश स्वतन्त्रता के गत 68 वषार्ें में हो गया है। गोवंश के इस महाविनाश के प्रत्यक्ष दुष्परिणाम हम नित्य समाचार पत्रों में पढ़ने के इतने 'आदी' हो गये हैं कि हमारे मन-मस्तिष्क को झकझोरने के बजाय ये समाचार सरसरी दृष्टि में आते रहने पर भी इनकी कोई प्रत्यक्ष या परोक्ष प्रतिक्रिया कहीं दिखायी नहीं पड़ती। प्रतिवर्ष नकली दूध, नकली मक्खन, नकली घी, नकली मावा के अनेक मामले पकड़ने के 'रिहर्सल' तो होते दिखायी देते हैं, पर वर्ष भर यह पकड़-धकड़ न जाने कहां लुप्त हो जाती हैं? हां, विभागीय कर्मचारियों एवं अधिकारियों की अवैध आय के स्रोतों तथा धनराशि में संवृद्धि अवश्य होती रहती है। हजारों नहीं, लाखों किसानों की आत्महत्या के प्रति भी हम इतने संवेदनहीन हो गये हैं कि जैसे 'हृदय' हृदय ही न रह गया हो। कहीं कोई प्रतिक्रिया परिलक्षित नहीं होती। ऐसी हृदयहीनता पूरे समाज में पनपते-पनपते हम इतने पत्थरदिल हो चुके हैं कि 'उनसे भले विमूढ़, जिनहिं न ब्यापै जगतगति' की उक्ति चरितार्थ हो रही है। कारों तक में गोमांस बरामद हो रहा है, ट्रकों में भूसे जैसे भरे गोवंश के समूह के समूह पकड़े जाते हैं, सेकुलर नेता इतने ढीठ और उद्दण्ड हो गये हैं कि अपराधियों को छुड़ाने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जैसे पदों पर अधिष्ठित अधिकारियों तक को न केवल प्रलोभन देने का प्रयत्न करते हैं, अपितु उनके दबाव में न आने पर उन्हें दण्डित करवाने तक की क्षमता प्रदर्शित करने की डींग मारते मंत्री पद तक पर विराजमान दृष्टिगत होते हैं। कभी केवल मुसलमान ही गोहत्या को अपना 'मजहबी दायित्व' मानते थे, पर अब तो कई अन्य 'धुरन्धर' बेझिझक गोहत्यारों के पक्षकार बनते नहीं लजाते। बलिहारी गांधीवादी-नेहरूवादी सेकुलरवाद की! एक संप्रदाय विशेष के वोटों के लालच में खुलेआम गोहत्यारों की चाटुकारिता करने में भी ऐसे लोगों को रंचमात्र लज्जा नहीं आती।
अब तो स्थिति इतनी भयावह हो गयी है कि अनेक दूरदर्शनी चैनल पूरी हेकड़ी के साथ गोहत्या और गोमांस-भक्षण पर बहस चलाने लगे हैं। इन बहसों में सेकुलरवादियों ने लगातार उसी ढिठाई के साथ यह प्रचारित करना प्रारम्भ कर दिया कि 'बीफ' का अर्थ गोमांस ही नहीं, भैंस का मांस भी होता है और 'बीफ' निर्यात में अधिकतर भैंस का मांस होता है। स्पष्ट है कि गोहत्या-सम्बन्धी सन् 1952 से लेकर 1966 तक चले प्रबल आन्दोलन, जिसे इन्दिरा गांधी ने जनवरी, 1966 में लाखों प्रदर्शनकारियों पर गोली चलवाकर समाप्त करवा दिया था, इस गोली-काण्ड मेंं राजस्थान के एक वरिष्ठ जनसंघ नेता श्री आसोपा सहित 16 लोग बलिदान हुए थे, के बारे में भी इन प्रवक्ताओं को सम्यक् जानकारी नहीं है। इसके पहले पौने दो करोड़ से अधिक हस्ताक्षरों के साथ हिन्दू संगठनों के प्रतिनिधियों ने तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को गोहत्या बन्दी कानून यथाशीघ्र बनाये जाने के लिए ज्ञापन दिया था, पर प्रधानमन्त्री नेहरू ने उस पर कोई कार्रवाई नहीं की थी, क्योंकि इससे उनकी सेकुलर छवि पर आंच आ जाती।
कई प्रकाशनों में प्राय: गांधीजी के 'गोभक्त' होने का बहुत अटपटा उल्लेख रहता है, जो तथ्यों के सर्वथा विपरीत है। गांधी जी ने तो दक्षिणी अफ्रीका में अपनी देवीस्वरूपा पत्नी कस्तूरबा गांधी के बीमार होने पर क्या सलाह दी थी, उसे देखना चाहिए। कस्तूरबा ने आगा खां महल में 1942 के आन्दोलन-स्वरूप जेल में गांधी जी के साथ बन्दी रहते उनकी गोद में अपने प्राण त्यागे। गांधीजी की दृष्टि में तो 'गाय एक शरीफ जानवर है, इसलिए उसे नहीं मारना चाहिए।' क्या यह सत्य नहीं है कि यदि वे सरदार वल्लभभाई पटेल जैसे दृढ़मति नेता को पीछे करके नेहरू जी को प्रधानमन्त्री न बनवाते, तो न देश का विभाजन करवाने में जिन्ना, माउण्टबेटन, नेहरू दुरभिसन्धि सफल होती और न इस बचे-खुचे भारत में नित्य नयी समस्याएं 'सेक्युलरिज्म' के नाम पर निरन्तर किये जा रहे मुसलमान-तुष्टीकरण के कारण पैदा करने का दु:साहस कोई वर्ग-विशेष, विचारधारा विशेष से प्रतिबद्घ कर पाता। यह बात किसी अन्य ने नहीं, डॉ़ रफीक जकारिया जैसे व्यक्ति ने कही है सरदार पटेल पर दिये अपने एक भाषण में। उनके इन भाषणों का संकलन राजकमल प्रकाशन जैसी प्रकाशन-संस्था ने छापा है। डॉ. जकारिया कोई ऐसे-वैसे व्यक्ति नहीं थे। वे निष्ठावान कांग्रेसी तो थे ही, महाराष्ट्र की कांग्रेस सरकार में महत्वपूर्ण मन्त्री भी रहे थे।
अब जरा देखें। माननीय सवार्ेच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति रह चुके मार्कण्डेय काटजू, केन्द्र में कांग्रेस सरकार में मन्त्री रह चुके मणिशंकर अय्यर, दोनों कितनी बेशर्मी से घोषणा करते हैं कि वे गोमांस खाते हैं। इनसे किसी ने अब तक यह क्यों नहीं पूछा कि क्या तुम्हारे माता-पिता, पितामह-पितामही, प्रपितामह-प्रपितामही गोमांस-भक्षी थे? क्या तुम अपने पूर्वजों का श्राद्घ-तर्पण करते हो? यदि हां, तो क्या उनके श्राद्घ में उन्हें वही अर्पित करते हो? एक अंग्रेजी लेखिका हैं शोभा डे। सोशल मीडिया में बड़ी ढिठाई से चुनौती देती हैं- 'मैंने गोमांस खाया है, आओ मारो!' हद हो गयी। ये सस्ती लोकप्रियता पाने के महालालची जब यह सब निर्लज्ज ऊटपटांग बोल सकते हैं, तो कम से कम इनका सामाजिक बहिष्कार क्यों नहीं किया जाता? एक और तथाकथित इतिहासकार हैं डी.एन. झा। पता नहीं किसने 'झूठ का पुलिन्दा इतिहास' लिखने के लिए इनकी योग्यता का सही-सही आकलन करने की 'बुद्घिमत्ता' दिखायी थी। हमारे प्राचीन वाङ्मय में बहुत साफ शब्दों में लिखा है- 'गाव: विश्वस्य मातर:' (गाय विश्व की माता है।) 'मातर: सर्वभूतानां गाव: सर्वसुखप्रदा: (गाय सभी की माता है, सबको सुख देती है) कविवर नरहरिदास की कविता, प्रतापनारायण मिश्र की कविता यदि नहीं पढ़ी हो, तो कम से कम राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की इस कविता पर एक बार दृष्टिपात कर लें-
दांतों तले तृण दाबकर हैं दीन गायें कह रहीं, हम पशु तथा तुम हो मनुज पर योग्य क्या तुमको यही?
हमने तुम्हें मां की तरह दूध पीने को दिया, देकर कसाई को हमें तुमने हमारा वध किया। जारी रहा क्रम यदि यहां यों ही हमारे पाप का तो अस्त समझो सूर्य भारत-भाग्य के आकाश का।
जो तनिक हरियाली रही, वह भी न रहने पाएगी, यह स्वर्ण-भारतभूमि बस मरघट-मही बन जायेगी। ('भारत भारती')
अन्त में एक बात और। यह प्रचलित भ्रम कि सभी मुसलमान गोमांसभोजी हैं, सर्वथा झूठ है। लेखक के पड़ोस में ही एक पढ़ा-लिखा मुसलमान परिवार है। उसने एक बहुत सुन्दर साहीवाल नस्ल की गाय पाली थी। घर भर, सभी उस गाय की रात-दिन बड़ी सेवा करते थे। रास्ता चलते लोग उस स्वस्थ, सुन्दर, दुधारु गाय को देखकर प्रशंसा करते थे। एक दिन हुआ क्या कि गाय ने चारा खाना छोड़ दिया। काफी सेवा करने के बाद भी जब उसे वह परिवार बचा न पाया, तो उसके शव को बड़े सम्मान के साथ दफना आया, पर उस परिवार में तीन दिन चूल्हा नहीं जला। गृहस्वामिनी रोती रही। बाद में पता चला कि जिस से पहले वह परिवार दूध लेता था, गाय पालने के बाद उससे दूध लेना बन्द कर दिया गया। मौका पाकर बाहर धूप में बंधी उस गाय को उसने सुई खिला दी थी।
कहने का तात्पर्य यह है कि हमें ऐसे बहुप्रचारित भ्रमों से दूर रहना होगा। इस देश में ऐसे गोसेवी मुसलमान परिवारों की संख्या आज भी लाखों नहीं, तो हजारों में तो है ही। हां, बहुसंख्य ऐसे मुस्लिम घर भी हैं, जिनके यहां बड़े पशु का मांस नहीं खाया जाता तथा ऐसे भी बहुतेरे मुसलमान परिवार हैं, जिनमें महिलाएं मांस नहीं खातीं, पका भले ही दें।           -आनन्द मिश्र 'अभय'

ShareTweetSendShareSend

संबंधित समाचार

Israel Vow to Expand war in southern Gaza against Hamas

युद्ध का अगला चरण दक्षिणी गाजा: इजरायली कमिटमेंट से अमेरिका चिंतित, UNRWA बोला: 10,00,000 शरणार्थी मिस्र में घुसेंगे

उत्तराखंड: आपदा में होने वाले जानमाल के नुकसान को कम करने पर हुआ मंथन

उत्तराखंड: आपदा में होने वाले जानमाल के नुकसान को कम करने पर हुआ मंथन

नाबालिग हिंदू लड़की को बहला-फुसलाकर मुंबई ले गया अरमान अली, इस्लाम कुबूल करवाया और फिर शुरू हुआ प्रताड़ना का दौर

नाबालिग हिंदू लड़की को बहला-फुसलाकर मुंबई ले गया अरमान अली, इस्लाम कुबूल करवाया और फिर शुरू हुआ प्रताड़ना का दौर

Sardar Chiranjeev Singh RSS Chief Mohan Bhagwat

रत्नदीप थे सरदार चिरंजीव सिंह जी, जहां भी होंगे जग को प्रकाशित करेंगे: RSS के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत

तेलंगाना विधानसभा चुनाव शांतिपूर्ण संपन्न, 63.94 प्रतिशत मतदान

तेलंगाना विधानसभा चुनाव शांतिपूर्ण संपन्न, 63.94 प्रतिशत मतदान

वायुसेना के लिए 97 एलसीए तेजस और 156 प्रचंड हेलीकॉप्टर खरीदने को मंजूरी, तीनों सेनाओं के लिए 2.23 लाख करोड़ रुपये मंजूर

वायुसेना के लिए 97 एलसीए तेजस और 156 प्रचंड हेलीकॉप्टर खरीदने को मंजूरी, तीनों सेनाओं के लिए 2.23 लाख करोड़ रुपये मंजूर

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Israel Vow to Expand war in southern Gaza against Hamas

युद्ध का अगला चरण दक्षिणी गाजा: इजरायली कमिटमेंट से अमेरिका चिंतित, UNRWA बोला: 10,00,000 शरणार्थी मिस्र में घुसेंगे

उत्तराखंड: आपदा में होने वाले जानमाल के नुकसान को कम करने पर हुआ मंथन

उत्तराखंड: आपदा में होने वाले जानमाल के नुकसान को कम करने पर हुआ मंथन

नाबालिग हिंदू लड़की को बहला-फुसलाकर मुंबई ले गया अरमान अली, इस्लाम कुबूल करवाया और फिर शुरू हुआ प्रताड़ना का दौर

नाबालिग हिंदू लड़की को बहला-फुसलाकर मुंबई ले गया अरमान अली, इस्लाम कुबूल करवाया और फिर शुरू हुआ प्रताड़ना का दौर

Sardar Chiranjeev Singh RSS Chief Mohan Bhagwat

रत्नदीप थे सरदार चिरंजीव सिंह जी, जहां भी होंगे जग को प्रकाशित करेंगे: RSS के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत

तेलंगाना विधानसभा चुनाव शांतिपूर्ण संपन्न, 63.94 प्रतिशत मतदान

तेलंगाना विधानसभा चुनाव शांतिपूर्ण संपन्न, 63.94 प्रतिशत मतदान

वायुसेना के लिए 97 एलसीए तेजस और 156 प्रचंड हेलीकॉप्टर खरीदने को मंजूरी, तीनों सेनाओं के लिए 2.23 लाख करोड़ रुपये मंजूर

वायुसेना के लिए 97 एलसीए तेजस और 156 प्रचंड हेलीकॉप्टर खरीदने को मंजूरी, तीनों सेनाओं के लिए 2.23 लाख करोड़ रुपये मंजूर

मातृ शक्ति के सहयोग से होगा राष्ट्र का संपूर्ण विकास : धामी

मातृ शक्ति के सहयोग से होगा राष्ट्र का संपूर्ण विकास : धामी

उत्तराखंड: जोशीमठ के लिए 1658.17 करोड़ की योजना मंजूर, आपदा प्रबंधन की मद में गृहमंत्री ने दी स्वीकृति

उत्तराखंड: जोशीमठ के लिए 1658.17 करोड़ की योजना मंजूर, आपदा प्रबंधन की मद में गृहमंत्री ने दी स्वीकृति

तेलंगाना विधानसभा चुनाव: जी किशन रेड्डी ने मुख्य चुनाव आयुक्त से बीआरएस उम्मीदवारों की शिकायत की

तेलंगाना विधानसभा चुनाव: जी किशन रेड्डी ने मुख्य चुनाव आयुक्त से बीआरएस उम्मीदवारों की शिकायत की

ज्ञानवापी सर्वे का दूसरा दिन : मस्जिद के ऊपरी छत, गुंबद पर हुई वीडियोग्राफी, जानें, क्या-क्या मिलने की कही जा रही बात

ज्ञानवापी परिसर: एएसआई बार-बार ले रही है तारीख, न्यायालय ने चेतावनी के साथ दिया 10 दिन का समय

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • संघ
  • राज्य
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • विज्ञान और तकनीक
  • खेल
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • साक्षात्कार
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • जीवनशैली
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • संविधान
  • पर्यावरण
  • ऑटो
  • लव जिहाद
  • श्रद्धांजलि
  • बोली में बुलेटिन
  • Web Stories
  • पॉडकास्ट
  • Vocal4Local
  • पत्रिका
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies