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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने कहा है कि आम आदमी जब कुछ निश्चित करने की सोच ले तो वह नर से नारायण हो सकता है और नराधम भी हो सकता है। नर से नारायण होने के लिए कठोर मेहनत ही एकमात्र मार्ग है। इसका कोई विकल्प उपलब्ध नहीं है। श्री भागवत पिछले दिनों मुम्बई स्थित माणिक सभागार में सुविख्यात न्यूरो सर्जन स्व. डॉ. अजित फड़के के जीवन पर आधारित दो पुस्तकों 'एन एमेजिंग ग्रेस' (अंग्रेजी) और 'चंद्रमे जे अलांछन' (मराठी) के लोकार्पण करने के बाद विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि डॉ. अजित फड़के ने अपने जीवन में केवल लोकसंग्रह ही नहीं किया, बल्कि लोगों के सामने आदर्श उदाहरण प्रस्थापित करने वाला जीवन व्यतीत किया। डॉ. फड़के मूल्य और संस्कार यशस्विता के मूर्तिमंत उदाहरण थे।
उन्होंने कहा कि देशभक्ति यह कोई अलग कार्यक्रम नहीं होता, अपने जीवन का हर पल देश व समाज के उद्धार के लिए जीना, यह वास्तविक देशभक्ति है। इसके उदाहरण डॉ. फड़के थे। किसी महान व्यक्ति की केवल पूजा करने से अच्छा है, उनके जैसे जीवन जीने का प्रयास करना।
इसी प्रकार डॉ. फड़के का चरित्र पढ़कर अगर किसी ने उनके जैसा जीवन बिताया तो वह उनके लिए सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी। दोनों पुस्तकों की लेखिका, डॉ. फड़के की बहन और सामाजिक कार्यकर्ता अचला जोशी ने कहा कि डॉ. फड़के व्यक्तिगत जीवन में अत्यंत सरल और संवेदनशील व्यक्ति थे। पांडुरंग शास्त्री 'आठवले' के स्वाध्याय परिवार तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्कारों से उनका व्यक्तित्व विकसित हुआ था।
कार्यक्रम के मंच पर अचला जोशी, टाटा कैंसर अस्पताल के संचालक डॉ. प्रफुल्ल देसाई, प्रसिद्ध उद्योगपति आदित्य बिड़ला की पत्नी रश्मि सहित अनेक वरिष्ठ जन विराजमान थे। – प्रतिनिधि
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