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दुनिया की सबसे बड़ी रिटेल कंपनी वॉलमार्ट ने कांग्रेस शासनकाल के दौरान बड़ी संख्या में स्थानीय अधिकारियों को रिश्वत देकर अपने काम निकलवाए। छोटे-छोटे हिस्सों में स्थानीय अधिकारियों को दी गई रिश्वत की यह रकम लाखों डॉलर बताई जा रही है। कंपनी ने परमिट पाने से लेकर वस्तुओं की आवाजाही को सुनिश्चित करने तक के लिए अधिकारियों को घूस दी। भाजपा प्रवक्ता जीवीएल नरसिंहाराव ने इसे शर्मनाक बताते हुए कहा कि एक तरफ मोदी देश की ब्रांडिंग कर रहे हैं दूसरी तरफ कांग्रेस काल के भ्रष्टाचार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम बदनाम कर रहे हैं।
जानकारी के अनुसार अमरीका के एक प्रतिष्ठित बिजनेस समाचार पत्र वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी रपट में दावा किया है कि वॉलमार्ट ने भारत में अपनी पैठ बनाने के लिए घूस के तौर पर काफी बड़ी रकम खर्च की है। इसमें निचले स्तर के स्थानीय अधिकारियों को हजारों छोटे-छोटे भुगतान किए गए। इन भुगतानों की रकम लाखों डॉलर बैठती है। रपट के अनुसार संघीय जांच एजेंसियों को कंपनी की तरफ से भारत में घूस देने के साक्ष्य मिले हैं। इसका पता मेक्सिको में वॉलमार्ट इंक के ऑपरेशनों में व्यापक भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के दौरान लगा। इस बारे में जब वॉलमार्ट इंडिया के उपाध्यक्ष व प्रमुख (कॉरपोरेट अफेयर्स) रजनीश कुमार ने कहा 'हम शुरू से कहते आ रहे हैं कि हम इस मामले में सरकार का पूरा सहयोग कर रहे हैं। इस प्रक्रिया में आगे और कुछ नहीं कह सकते हैं।' उन्होंने आगे कहा कि अमरीकी फॉरेन करप्ट प्रैक्टिसेज एक्ट (एफसीपीए) तथा भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों का अनुपालन वॉलमार्ट की शीर्ष प्राथमिकता में है। नवंबर, 2012 में कंपनी तत्कालीन संयुक्त उद्यम भारती वॉलमार्ट ने सीएफओ पंकज मदान के साथ पांच लोगों को निलंबित किया गया था। भारत में भ्रष्ट तरीकों के खिलाफ दिग्गज अमरीकी रिटेल कंपनी की ओर से शुरू की गई ग्लोबल जांच के हिस्से के तौर पर यह कार्रवाई की गई थी।
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