चर्चा में / पाकिस्तान में हिन्दी प्रेमपाकिस्तान में बसे हिन्दू सीख रहे हैं हिन्दी
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चर्चा में / पाकिस्तान में हिन्दी प्रेमपाकिस्तान में बसे हिन्दू सीख रहे हैं हिन्दी

by
Jun 6, 2015, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 06 Jun 2015 14:34:18

-विवेक शुक्ला-

पाकिस्तान में हिन्दी को जानने समझने को लेकर वहां के सिंध सूबे के हिन्दुओं में गहरी दिलचस्पी पैदा हो रही है। ये हिन्दी सीखने को लेकर खासे उत्साहित दिखते हैं। ये अपने बड़े-बुजुगोंर् से हिन्दी सीख रहे हैं। इनकी इच्छा है कि ये कम से कम इतनी हिन्दी तो जान लें जिससे कि हिन्दू धर्म ग्रंथों को पढ़ सकें। कराची में रहने वाले चंदर कुमार एम. बी. ए. हैं। पाकिस्तान की वित्तीय राजधानी में एक गैर सरकारी संगठन से जुड़े हैं। कुछ समय पहले सिंध के हिन्दुओं के एक जत्थे के साथ वे  दिल्ली आए थे। उन्होंने तब कई हिन्दू तीर्थस्थलों के दर्शन किए थे। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान में स्कूलों या कॉलेजों में हिन्दी को पढ़ने-पढ़ाने की किसी भी तरह की व्यवस्था नहीं है।
 देश के विभाजन के बाद भी जो लोग रह गए थे हिन्दी जानने वाले, वे ही आगे की पीढि़यों को हिन्दी पढ़ाते रहे हैं। हिन्दी के वरिष्ठ कथाकार प्रो़ प्रताप सहगल कहते हैं कि बेहतर होगा कि दोनों देशों के सम्बंध सुधर जाएं तो यहां से हिन्दी के शिक्षक पाकिस्तान के विश्वविद्यालयों में जाकर पढ़ाने लगें। वहां के हिन्दी का गहन अध्ययन करने वाले छात्रों को भारत आने की इजाजत हो। चंदर कुमार ने भी उन्हीं में से एक सज्जन से हिन्दी सिंधी भाषा के माध्यम से जानी।
सिंध के हिन्दू
हम जब बात करते हैं पाकिस्तान के हिन्दुओं की हिन्दी सीखने के संबंध में तो बात सिंध सूबे के हिन्दुओं की ही होती है। क्योंकि पाकिस्तान के बाकी सूबों में तो हिन्दू बहुत ही कम रहते हैं। सिंध में इनकी संख्या अभी करीब 8-10 लाख के आसपास है।
पाकिस्तान विदेश सेवा से जुड़े रहे और वरिष्ठ लेखक नजर अब्बास ने कहा कि सिंध में उत्तर प्रदेश और बिहार से जाकर बसे लोग भी हिन्दुओं को हिन्दी पढ़ा देते हैं। सिंध सूबे में उत्तर प्रदेश और बिहार के लाखों लोग रहते हैं। चंदर कुमार ने बताया कि पाकिस्तान में कम से कम मध्यम वर्ग से संबंध रखने वाले हिन्दू तो हिन्दी सीखते ही हैं। हालांकि पाकिस्तान के हिन्दुओं की मातृभाषा हिन्दी नहीं है, लेकिन वे हिन्दी से भावनात्मक रूप से जुड़ते हैं।
चीनी सीखते पाक में हिन्दी
आप चौंकिए मत यह जानकर कि पाकिस्तान चीनियों को हिन्दी सिखा-पढ़ा रहा है । चीन और पाकिस्तान के मधुर सम्बंधों के बारे में सभी को पता है। चीनी राजनयिक और रक्षा विशेषज्ञ पाकिस्तान में हिन्दी सीखेंगे, यह अपने आप में हैरानी की बात तो है। इन चीनियों को पाकिस्तान की नेशनल यूनीवर्सिटी ऑफ मॉडर्न लैंग्वेज (एनयूएमएल) में हिन्दी का व्यावहारिक ज्ञान मिल रहा है। यह यूनीवर्सिटी इस्लामाबाद में है। इसके हिन्दी विभाग में पांच शिक्षक हैं। यहां हिन्दी के साथ-साथ पाकिस्तान में बोली जाने वाली बहुत सी भाषाओं के साथ कई विदेशी भाषाओं के कोर्स भी कराए जाते हैं।
1973 से सक्रिय
इधर हिन्दी विभाग 1973 से चल रहा है। एनयूएमएल की वेबसाइट के अनुसार, शुरू में हिन्दी विभाग हिन्दी का डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स करवाता था। अब तो यहां से एम. फिल. और पी. एचडी. की डिग्री भी ली जा सकती है।
हिन्दी की अनदेखी नहीं
 एनयूएमएल के हिन्दी विभाग की प्रमुख डा़ॅ नसीमा खातून हैं जिन्होंने नेपाल के त्रिभुवन विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में पी. एचडी. की है। वे आगरा से सम्बंध रखती हैं और आगरा विश्वविद्यालय में भी पढ़ी हैं। वे बताती हैं कि चूंकि हिन्दी पाकिस्तान के पड़ोसी मुल्क भारत की राष्ट्रभाषा है, इसलिए इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती। यहां चीनियों के अलावा संयुक्त अरब अमीरात के अधिकारी भी हिन्दी सीखते हैं।  इसी विभाग में  शाहिना जफर हैं, जो कि मेरठ विश्वविद्यालय की छात्रा रही हैं।  वह अनुबंध पर इधर पढ़ाती हैं। नसीम रियाज भी हैं, जो कि पटना विश्वविद्यालय से इतिहास में एम. ए. हैं। जुबैदा हसन भी अनुबंध पर पढ़ा रही हैं, जो कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में एम. ए. हैं। एक विशेष बात और है कि शादी के बाद पाकिस्तान गईं भारत की महिलाएं ही हिन्दी पढ़ा रही हैं। पाकिस्तानियों की बोलचाल में अब हिन्दी भाषा के शब्द खूब  बोले जा रहे हैं। ये हिन्दी फिल्मों और टीवी सीरियलों के कारण हो रहा है।     ल्ल

पाकिस्तान में कम से कम मध्यम वर्ग से संबंध रखने वाले हिन्दू तो हिन्दी सीखते ही हैं। हालांकि पाकिस्तान के हिन्दुओं की मातृभाषा हिन्दी नहीं है, लेकिन वे हिन्दी से भावनात्मक रूप से जुड़ते हैं। पाकिस्तान में स्कूलों या कॉलेजों में हिन्दी को पढ़ने-पढ़ाने की किसी भी तरह की व्यवस्था नहीं है।

पाकिस्तान में चीनियों के अलावा संयुक्त अरब अमीरात के अधिकारी भी हिन्दी सीखते हैं क्योंकि हिन्दी पड़ोसी मुल्क की राष्ट्रभाषा है, इसलिए इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है। मैंने आगरा विश्वविद्यालय से पढ़ाईकी है और नेपाल के त्रिभुवन विश्वविद्यालय से  हिन्दी साहित्य में पी. एचडी. की है।
-डॉ. नसीमा खातून
 पाकिस्तान के एनयूएमएल में  हिन्दी विभाग की प्रमुख- चंदर कुमार
 पाकिस्तान में गैर सरकारी संगठन के सदस्य

पाकिस्तान में कम से कम मध्यम वर्ग से संबंध रखने वाले हिन्दू तो हिन्दी सीखते ही हैं। हालांकि पाकिस्तान के हिन्दुओं की मातृभाषा हिन्दी नहीं है, लेकिन वे हिन्दी से भावनात्मक रूप से जुड़ते हैं। पाकिस्तान में स्कूलों या कॉलेजों में हिन्दी को पढ़ने-पढ़ाने की किसी भी तरह की व्यवस्था नहीं है।

पाकिस्तान में चीनियों के अलावा संयुक्त अरब अमीरात के अधिकारी भी हिन्दी सीखते हैं क्योंकि हिन्दी पड़ोसी मुल्क की राष्ट्रभाषा है, इसलिए इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है। मैंने आगरा विश्वविद्यालय से पढ़ाईकी है और नेपाल के त्रिभुवन विश्वविद्यालय से  हिन्दी साहित्य में पी. एचडी. की है।
-डॉ. नसीमा खातून
 पाकिस्तान के एनयूएमएल में  हिन्दी विभाग की प्रमुख- चंदर कुमार
 पाकिस्तान में गैर सरकारी संगठन के सदस्य

 

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