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गत दिनों पूर्वोत्तर भारत के सभी राज्यों में धन्वन्तरी सेवा यात्रा आयोजित हुई। यात्रा में कुल 121 लोगों ने भाग लिया। इनमें 63 चिकित्सक और 58 चिकित्सा के छात्र थे। ये लोग गुजरात, महाराष्ट्र, झारखण्ड, बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम, मणिपुर और अमरीका से आए थे। इन सबकी 21 टोलियां बनाई गई थीं। एक टोली में 2 चिकित्सक और 3 छात्र थे। त्रिपुरा, मिजोरम, मणिपुर, नागालैण्ड और मेघालय में एक-एक टोली, अरुणाचल में 2 और असम में 14 टोलियों ने चिकित्सा कार्य किया। अनेक स्वास्थ्य शिविर लगाए गए जिनसे आम लोगों को बड़ी मदद मिली। धन्वन्तरी सेवा यात्रा का मुख्य उद्देश्य है दूरस्थ गांवों को नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा देने के साथ-साथ देश-विदेश के चिकित्सकों को पूर्वोत्तर राज्यों की सतरंगी छटा और वहां की संस्कृति से अवगत कराना। साथ ही पूर्वोत्तर के लोगों को यह भी एहसास कराना कि उनके साथ पूरा देश खड़ा है। इस यात्रा की शुरुआत 2005 में तत्कालीन क्षेत्र प्रचारक और वर्तमान में सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल एवं वर्तमान क्षेत्र प्रचारक श्री उल्हास कुलकर्णी के मार्गदर्शन में हुई थी। पिछले 10 वर्ष में इस यात्रा से अब तक 2011 गांवों के 1,31,000 लोगों को नि:शुल्क दवाइयां दी गई हैं। इस यात्रा का आयोजन सेवा भारती, पूर्वाञ्चल और नेशनल मेडिकोज ऑर्गनाइजेशन (एनएमओ) के संयुक्त तत्वावधान में होता है। इस बार जिन चिकित्सकों और छात्रों ने इस यात्रा में भाग लिया उनका सम्मान पिछले दिनों गुवाहाटी में किया गया। – प्रतिनिधि
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