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डॉ. गणेश दत्त वत्स
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में बेहतर शिक्षा देने के लिए सरकार ने वचनबद्धता जाहिर की है। इसके लिए शिक्षा व्यवस्था के कमजोर ढांचे को मजबूत करने के साथ-साथ बेहतर शिक्षा परिणाम के लिए शिक्षकों की जवाबदेही को भी आवश्यक बनाया जा रहा है। इससे वार्षिक शिक्षा परिणाम में सुधार हो और छात्रों में बहुमुखी प्रतिभा उभर सके। साथ ही संस्कारित एवं गुणवत्तापरक शिक्षा देकर सरकार यह धारणा भी खत्म करना चाहती है कि सरकारी स्कूलों में गरीब एवं कमजोर वर्ग के छात्र ही पढ़ते हैं और वहां निजी स्कूलों के मुकाबले पढ़ाई भी कम होती है। हरियाणा की सरकार ने अब छात्रों के अनावश्यक बोझ को घटाने और ज्यादा समय पढ़ाई को ही देने के लिए सेमेस्टर प्रणाली को खत्म करने का निर्णय लिया है। सरकार सरकारी स्कूलों में उपलब्ध आधुनिक संसाधनों को भी कारगर बनाने की योजना की ओर बढ़ रही है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के अनुसार, जब तक सरकारी स्कूलों में गुणवत्ता्रपरक शिक्षा नहीं मिल पाएगी तब तक अभिभावकों का रुझान निजी स्कूलों की ओर ही रहेगा। उनका कहना है कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में कई ऐसे निर्णय लिए गए जिससे छात्र अनावश्यक बोझ तले दबते रहे, लेकिन पूर्ण शिक्षा ज्ञान से वंचित रह गए। भाजपा सरकार स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती के साथ-साथ वे सभी कदम उठाएगी जिसमें छात्रों के ज्ञान में कमी न रहे और वे पुरातन संस्कृति और आधुनिक तकनीक से ज्ञानवान बन सकें।
'सेमेस्टर' खत्म करने का निर्णय
हरियाणा सरकार ने गत 1 जून को शिक्षा में सुधार के लिए स्कूलों में सेमेस्टर प्रणाली खत्म करने का फैसला लिया है। इसके तहत 9वीं और 11वीं कक्षा में सेमेस्टर इसी वर्ष से खत्म हो जाएगा, जबकि 10वीं और 12वीं में अगले शैक्षणिक सत्र से यह फैसला लागू होगा। सरकार ने पहली से आठवीं कक्षा तक के छात्रों की मासिक परीक्षाएं लेने का फैसला लिया है। सरकार के अनुसार हरियाणा शिक्षा बोर्ड, भिवानी के 10वीं और 12वीं कक्षा के नतीजों से नाखुश होकर शिक्षा में सुधार के लिए विभाग को रपट तैयार करने को कहा था। इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने अनेक शिक्षाविदों की राय और अभिभावकों से सम्पर्क किया, साथ ही अपने स्तर पर एक सर्वेक्षण भी कराया ताकि वे सभी कदम उठाए जा सकें, जो स्कूलों में छात्रों के हित में हों।
विभाग की ओर से जो रपट आई उसमें 9वीं से 12वीं कक्षा तक सेमेस्टर प्रणाली समाप्त करने की बात कही गई। इस पर संज्ञान लेते हुए शिक्षा मंत्री प्रो़ रामबिलास शर्मा ने अपनी अनुमति देकर मुख्यमंत्री को मंजूरी के लिए भेज दिया। सरकार का कहना है कि सेमेस्टर प्रणाली खत्म करने का निर्णय हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड, भिवानी से संबंधित सभी सरकारी और निजी स्कूलों पर लागू होगा। शिक्षा मंत्री के अनुसार जब तक नींव मजबूत नहीं होगी तब तक सुन्दर एवं टिकाऊ भवन का निर्माण नहीं होगा। इसके लिए सरकार जहां प्राथमिक शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए संकल्प बद्ध है, वहीं पहली से 8वीं कक्षा तक विभाग मासिक परीक्षा लेगा। इन कक्षाओं के लिए भी सेमेस्टर प्रणाली लागू नहीं होगी। 10वीं और 12वीं कक्षा के लिए इस वर्ष सेमेस्टर प्रणाली जारी रहेगी, क्योंकि विद्यार्थियों ने शैक्षणिक सत्र 2014-15 के लिए अपनी पिछली कक्षाओं 9वीं व 11वीं में सेमेस्टर प्रणाली के मुताबिक पढ़ाई की है।
शिक्षा विभाग के अनुसार सेमेस्टर प्रणाली से लाभ नहीं मिल पा रहा था, अध्यापकों को परीक्षा ड्यूटी एवं उत्तर पुस्तिका जांच में व्यस्त रहना पड़ता था, जिससे छात्रों की कक्षाएं बाधित हो जाती थीं और 2 महीने तक अध्यापकों की कमी रहती थी।
प्रतिमाह ढाई अरब वेतन पर खर्च
सरकारी स्कूलों में राज्य सरकार प्रतिमाह करीब ढाई अरब रुपए खर्च करती है। इसमें मौजूदा कार्यरत 82 हजार शिक्षकों का वेतन है। ऐसे में प्रतिछात्र वार्षिक खर्चा लगभग 24 हजार रुपए आता है, लेकिन जिस तरह लगातार निराशाजनक परिणाम आ रहे हैं, उससे सरकार सचेत हुई है। सरकार का मानना है कि जब तक पूरी लगन और संकल्प के साथ बच्चों को ज्ञान नहीं देंगे तब तक उनमें न तो विषय का ज्ञान ही होगा और न ही उनकी प्रतिभा निखर पाएगी।
संसाधनों को कारगर करना होगा
राज्य में कई वषार्ें से शिक्षा को आधुनिक संसाधनों से जोड़ने के लिए करोड़ों रुपए खर्च तो किए गए हैं, लेकिन वास्तव में उनका पूरा लाभ छात्रों को नहीं मिल पाया है। स्कूलों में बिजली तो कहीं कंप्यूटर शिक्षक न होना जैसी अनेक समस्याएं आड़े आती रही हैं। बिजली की कमी को दूर करने के लिए स्कूलों में लाखों रुपए के जनरेटर तो लगे पर उनमें डीजल आपूर्ति की कोई योजना नहीं बनाई गई।
कम होती छात्रों की संख्या
छह वर्षों से 10वीं एवं 12वीं कक्षाओं के परिणामों का स्तर घट रहा है। स्कूलों में छात्रों की संख्या भी घटने लगी है। परीक्षा में बैठे कुल छात्रों के परिणाम पर नजर डालें तो 2010 में 10वीं कक्षा का परिणाम 81़ 66 था, जो कि 2011 में 66़ 79, 2012 में 65़ 38 एवं 2013 में 50़ 79, 2014 में 60़ 84 रहा, जबकि 2015 में 41़ 3 फीसद ही रह गया। 12वीं कक्षा में भी उत्तीर्ण होने वाले छात्रों का परिणाम इस प्रकार रहा, 2010 में 92़ 04 फीसद, 2011 में 72़ 85, 2012 में 67़ 82, 2013 में 59़ 31, 2014 में 72़91 और 2015 में यह मात्र 54 फीसद रह गया।
ल्ल 'सेमेस्टर' प्रणाली खत्म करने के निर्णय से 9वीं और 11वीं कक्षा में यह व्यवस्था इस वर्ष से खत्म हो जाएगी, 10वीं और 12वीं में अगले शैक्षणिक सत्र से यह निर्णय लागू होगा
'सेमेस्टर' प्रणाली से लाभ नहीं मिल पा रहा था, अध्यापकों को परीक्षा एवं उत्तर पुस्तिका जांच में ही व्यस्त रहना पड़ता था, जिससे छात्रों की कक्षाएं बाधित हो रही थीं
सरकार प्राथमिक शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए संकल्पबद्ध है,पहली से 8वीं कक्षा तक विभाग मासिक परीक्षा लेगा। इन कक्षाओं में सेमेस्टर प्रणाली लागू नहीं होगी। 10वीं और 12वीं कक्षा के लिए इस वर्ष सेमेस्टर प्रणाली जारी रहेगीक्योंकि विद्यार्थियों ने शैक्षणिक सत्र 2014-15 के लिए अपनी पिछली कक्षाओं 9वीं व 11वीं में सेमेस्टर प्रणाली के मुताबिक पढ़ाई की है।
– प्रो. रामबिलास शर्मा
शिक्षा मंत्री, हरियाणा
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