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केन्द्र सरकार की सख्ती के चलते 'मैगी' बनाने वाली नेस्ले इंडिया कंपनी के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया है। केन्द्रीय उपभोक्ता मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय उपभोक्ता निपटारा आयोग में मामला दर्ज कराया गया है। उधर नमूनों की जांच के बाद गुजरात में 30 दिन, जबकि दिल्ली सरकार ने 'मैगी' पर 15 दिनों का प्रतिबंध लगा दिया है। इसके अलावा दूसरे नूडल्स की भी जांच कराई जाएगी।
केन्द्रीय उपभोक्ता एवं खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने गत 3 जून को 'मैगी' के मामले में स्पष्ट कर दिया कि केन्द्र सरकार की ओर से इस संबंध में किसी भी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। विभिन्न राज्यों में 'मैगी' की जांच में मिले असुरक्षित नमूनों को ध्यान में रखते हुए निर्माता कंपनी के विरुद्ध कार्रवाई शुरू कर दी गई है। उन्होंने कहा कि 'मैगी' में संरक्षा एवं सुरक्षा से संबंधित विभिन्न मानकों की अनदेखी की गई है। विशेषकर 'मैगी' बच्चे बहुत पंसद करते हैं, इस लिहाज से बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए असुरक्षित नमूने मिलने से यह विषय और भी गंभीर हो गया है।
इसके अलावा देश भर के 1500 केन्द्रीय पुलिस भंडारों से भी 'मैगी' को हटा दिया गया है। साथ ही देश भर की 1500 केन्द्रीय पुलिस भंडारों पर 'मैगी' रखने की मनाही करा दी गई है। जवानों को कहा गया है कि वे नूडल्स का प्रयोग न करें। दिल्ली सरकार ने भी 'मैगी' के नमूने असुरक्षित पाए जाने पर 15 दिनों तक इसकी बिक्री पर रोक लगा दी है। दिल्ली सरकार 'मैगी' के अलावा दूसरे नूडल्स की भी जांच कराएगी।
गुजरात में भी 'मैगी' के सभी नमूने असुरक्षित मिलने पर 30 दिन के लिए इसकी बिक्री पर रोक लगा दी गई है। इसके अलावा अलावा उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भी 'मैगी' पर रोक लगी हुई है। वहीं पंजाब, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, असम, तेलंगाना और तमिलनाडु में भी 'मैगी' की जांच के नमूने लिए गए हैं। 'मैगी' में सीसे की मात्रा अधिक होने से शरीर में रक्त की कमी, पेट दर्द, घबराहट आदि होने लगती है। लंबे समय में इससे किडनी व लीवर जैसे अंग प्रभावित होने का खतरा भी बना रहता है। वहीं मोनोसोडियम ग्लूटामेट भी बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है।
गौरतलब है कि गत दिनों उत्तर प्रदेश में 'मैगी' के नमूने जांच करने पर उसमें मोनोसोडियम ग्लूटामेट तथा सीसा तय मात्रा से अत्यधिक पाया गया था। ये दोनों तत्व असुरक्षित श्रेणी में थे। इसके तत्काल बाद बाराबंकी के प्रतिष्ठान ईजीडे मॉल में इसकी बिक्री पर रोक लगा दी गई थी। इसके बाद मैगी बनाने वाले नेस्ले कंपनी ने 2014 में बनी मैगी बाजार से वापस लेने की बात कही थी क्योंकि मार्च, 2014 में बनी मैगी की जांच में ही मोनो सोडियम ग्लूटामेट और सीसा की अधिक मात्रा पाई गई थी। गत 27 मई को पूरे देश में 'मैगी' की जांच पूरे देश में करने के आदेश जारी होने पर देश भर में 'मैगी' के नमूनों की जांच शुरू कर दी गई थी।
उधर तमिलनाडु में नेस्ले के दूध पाउडर
में जीवित लारवा पाए जाने का एक नया
मामला सामने आया है। औषधि प्रशासन विभाग ने दूध पाउडर के नमूने की जांच की थी। ल्ल
गुम बच्चे ढूंढेगा पोर्टल
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय तथा तकनीक एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने मिलकर 'खोया-पाया' पोर्टल तैयार किया है। इस तकनीक की मदद से लापता बच्चों को तलाश करने में मदद मिलेगी। इस पोर्टल की मदद लेकर कोई भी व्यक्ति लापता बच्चे या वयस्क के मिलने पर उसकी सूचना अपलोड कर सकेगा। इसकी शुरुआत करते हुए महिला बाल विकास मंत्री मेनका गांधी व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि लापता बच्चों को तलाशने में यह पोर्टल सशक्त मंच साबित होगा। विशेष तौर पर यह गरीब बच्चों को ढूंढने का जरिया बनेगा। 'खोया-पाया एप' को मोबाइल फोन पर भी डाउनलोड किया जा सकेगा। इसमें न केवल लापता बच्चों की, बल्कि जो बच्चे मिल गए हैं उनकी जानकारी भी उपलब्ध होगी। खास बात यह है कि इस पोर्टल पर मामला दर्ज कराने से पूर्व जानकारी अपलोड की जा सकेगी। ल्ल
जम्मू में सरकारी भूमि से हटेगा अतिक्रमण
जम्मू-कश्मीर राज्य की सरकार ने सरकारी भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराने की घोषणा की है। इसके लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन भी किया गया है, लेकिन यह कार्य सरल दिखाई नहीं पड़ रहा है।
जानकारी के अनुसार जम्मू-कश्मीर में 12 लाख कनाल से अधिक भूमि पर अतिक्रमण किया हुआ है। वन भूमि पर विशेष रूप से अतिक्रमण किया गया है। जम्मू महानगर के बाहरी क्षेत्रों में तो कुछ वर्षों के अंतराल में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण किया गया है।
इसमें प्रभावशाली व्यक्ति और अधिकारियों की मिलीभगत रही है। यहां भूमि का अतिक्रमण होने के साथ ही बड़े-बड़े भवन भी बनाए गए हैं। इनके लिए विशेष रूप से सड़क, बिजली-पानी की व्यवस्था भी की गई है, बल्कि मतदाता सूची में नाम भी शामिल किए गए हैं। अतिक्रमण वाली जगहों पर झुग्गी-झोपड़ी बनाकर वहां विदेशी भी चोरी-छिपे शरण ले रहे हैं। भूमाफिया उनसे झुग्गी का किराया वसूलते हैं और देश की सुरक्षा को सेंध भी लगा रहे हैं। कुछ रहस्यमयी संगठनों ने यहां अपने शिक्षण संस्थान भी खोले हुए हैं। यहां पर अलग प्रकार की विचारधारा का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। पूर्व में प्राधिकरण के अधिकारियों द्वारा अतिक्रमण हटाया गया था, लेकिन दोबारा से भूमाफिया वहां पर काबिज हो गया है।
इसका सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि जम्मू के मांडा क्षेत्र में वन्य पशु-पक्षियों के लिए बनाया गया चिडि़याघर 32 वर्ग किलोमीटर से मात्र 12 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में ही सिमटकर रह गया है। अतिक्रमण के कारण लकड़ी की भी कमी महसूस की जा रही है और उससे निर्यात पर भी असर पड़ रहा है। माना जा रहा है कि अतिक्रमण के कारण आगे भी राज्य में अनेक परेशानियां खड़ी होंगी। ल्ल विशेष प्रतिनिधि
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