पुस्तक समीक्षा - बुद्ध-शरण में सम्राट का गमन
July 15, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

पुस्तक समीक्षा – बुद्ध-शरण में सम्राट का गमन

by
May 30, 2015, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 30 May 2015 14:26:13

प्रख्यात नाटककार, निर्देशक, दयाप्रकाश सिन्हा का सद्य: प्रकाशित नाटक 'सम्राट अशोक' वाणी प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है। यह नाटक इतिहास और मिथक पर आधारित है। इससे पूर्व भी उनके कई ऐतिहासिक नाटक सामने आ चुके हैं- यथा- 'कथा एक कंस की', 'सीढि़यां', इतिहास चक्र और रक्त अभिषेक। अन्य विषयों पर भी उनके नाटक हैं लेकिन इतिहास में एम.ए होने के कारण इतिहास उनका मूल विषय रहा है। सम्राट अशोक में उन्होंने प्रामाणिक इतिहास का सहारा लिया है। अपने अन्य ऐतिहासिक नाटकों की तरह इसके लिए उन्होंने शोधपरक पद्धति अपनाई है। जिसका जिक्र उन्होंने अपनी भूमिका में भी किया है- ऐसा प्रतीत होता है कि जयशंकर प्रसाद के बाद हिन्दी नाटककारों ने मिथक इतिहास आधारित विषयों पर नाटक लिखने के पहले शोध की आवश्यकता ही नहीं समझी। केवल ऐतिहासिक और चरित्रों के नाम से, काल्पनिक घटनाओं के आधार पर नाटक लिख दिए, जैसे मोहन राकेश के नाटक 'आषाढ़ का एक दिन' और 'लहरों के राजहंस' तथा डॉ. लक्ष्मीनारायण लाल का 'सूर्यमुख'। मैंने अपने नाटकों द्वारा जयशंकर प्रसाद द्वारा बनाए गए शोध मार्ग का अनुसरण किया है। भरत नाट्य शास्त्र में नाटकों का जैसा वर्गीकरण किया गया है वैसा वर्गीकरण नाटकों की आधुनिक वर्गीकरण पद्धति में नहीं है।' दयाप्रकाश सिन्हा ने आधुनिक वर्गीकरण के हिसाब से इस नाटक को बायोपिक माना है जो कि पूर्णरूप से सही है- बायोपिक अर्थात जीवनी आधारित नाटक।
नाटक विधा की बात करें तो नाटक अपने आप में कई कलाओं का योग है। शायद ऐसा कोई भी ज्ञान-विज्ञान, शिल्प, विद्या, कला, योग और कर्म नहीं है जो कि एक आदर्श नाटक में विद्यमान न हो… कहने का मूलार्थ यही है कि नाटक के भीतर समस्त कलाओं के सम्मिलन और समन्वय का विस्तृत विचार होता है। कुल मिलाकर कहा जाए तो नाट्य-लेखन एक साधारण कर्म नहीं है। यह साहित्य की एक ऐसी असाधारण विधा है जिसके रचनाकार को अनेकानेक विधाओं का समुचित ज्ञान होना नितांत आवश्यक है। हिन्दी-नाटक के वर्तमान परिदृश्य को देखें तो दुर्भाग्यवश हिन्दी के पास मौलिक-नाटकों का बहुत अभाव है। ऐसे में एक अच्छा मौलिक-नाटक 'सम्राट अशोक' के रूप में हमारे सामने फिर से दयाप्रकाश सिन्हा जैसे दक्ष नाटककार के माध्यम से आया है, जिसका खुले दिल से स्वागत किया जाना चाहिए।
'सम्राट अशोक' नाटक की कथा और मुख्य स्थापनाओं का उल्लेख करें तो सार-रूप में अशोक बिन्दुसार का पुत्र था। वह कुरूप था और महान योद्धा था। पिता ने उसे पठानों के विद्रोह को कुचलने के लिए भेजा और वह सफल हुआ। उसे इस वीरता के कारण उज्जयिनी का शासक बना दिया गया। अपने पिता से उसने जबरन सम्पूर्ण सत्ता हासिल की जिसके कारण उसके पिता को गहरा आघात लगा और उसकी मृत्यु हो गई। राजगद्दी के लिए उसका अपने बड़े भाई सुसीम के साथ लम्बा संघर्ष चला।
अन्तत: उसने अपने भाई की भी हत्या करके राज हासिल किया। अशोक पहले बौद्धमत के विरुद्ध था लेकिन बाद में एक बौद्ध-भिक्षु के चमत्कार से प्रभावित होकर वह बौद्ध बना। उसका यह मर्म परिवर्तन कलिंग-युद्ध से पूर्व ही हो चुका था। अपनी कुरूपता की 'हीनग्रंथि' के चलते ही उसने अपने को 'प्रियदर्शी' घोषित करवाया। ऐसी व्यक्तिगत कमियों के बावजूद वह बहुत उदार, पंथ-निरपेक्ष और न्यायप्रिय शासक के रूप में प्रसिद्ध था। प्रौढ़ावस्था में भी उसने तिष्यरक्षिता नामक स्त्री से विवाह किया जो कि षड्यंत्र रचकर बदले की भावना से उसके जीवन में एक चिकित्सिका के रूप में आई। यह कथा 'अशोक महान' के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष दोनों को साथ लेकर चलती है। यह नाटक अशोक को मात्र महिमामंडित करने के लिए ही नहीं लिखा गया अपितु इसमें उसकी कमजोरियों और षड्यंत्रों को भी सामने लाया गया है। वह एक बहुआयामी चरित्र है, जो कि एक साथ बहुत कुछ अच्छा-बुरा अपने में समेटे हुए है।
दयाप्रकाश सिन्हा क्योंकि एक कुशल नाट्य-निर्देशक भी हैं, इस कारण उनके नाटक नाटकीय-तत्वों से भरपूर होते हैं, जो नाटकों को मंचीय गुणों से सर्वदा सक्षम बनाते हैं। 'सम्राट अशोक' को भी उन्होंने इस कसौटी पर खूब कसा है और इसकी अनेक सफल प्रस्तुतियां भी हो चुकी हैं। नाटक के संवाद इतने चुस्त-दुरुस्त और कसे हुए हैं कि दर्शक अथवा पाठक बंधा रहता है। नाटक की रफ्तार कहीं भी शिथिल नहीं पड़ती। हां, अंतिम दृश्य में जरूर अशोक के 'एकालाप' के कारण कुछ लम्बे संवाद हैं, लेकिन यह नाटक की आवश्यकता थी और इसी कारण नाटक का अंतिम दृश्य बहुत ही मार्मिक और प्रभावी बन पड़ा है।
नाटककार ने अशोक के चरित्र को अनेकानेक रूप, रंग और छवियों में उकेरा है और यह भी प्रयास किया है कि अशोक आज की राजनीतिक, प्रशासनिक और शासकीय परिस्थितियों से भी जुड़ जाए। इस अतिरिक्त प्रयास के कारण नाटक समय-सामयिक लगता है और एक सार्वकालिक रूप धारण करता है।
कुल मिलाकर कहा जाए तो दयाप्रकाश सिन्हा ने 'सम्राट अशोक' में अपनी संपूर्ण दक्षता और अपना संपूर्ण अनुभव उड़ेल दिया है जिसके कारण यह नाटक अत्यंत प्रभावी, सामयिक, तथ्यपरक, पंचसिद्ध, सार्वभौमिक, उत्कृष्ट, सफल, मौलिक, साहित्यिक कृति बन गया है। ऐसी असाधारण नाट्य-कृति का नाट्य जगत में भरपूर स्वागत-सत्कार होगा, ऐसी मेरी हार्दिक इच्छा भी है और
ऐसा दृढ़ विश्वास भी।              
ल्ल नरेश शांडिल्य

पुस्तक का नाम     :     सम्राट अशोक
लेखक    :     दयाप्रकाश सिन्हा
प्रकाशक     :     वाणी प्रकाशन
        4695,
        21-ए, दरियागंज
        नई दिल्ली-110002
मूल्य     :     250 रुपए
पृष्ठ     :     135

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

समोसा, पकौड़े और जलेबी सेहत के लिए हानिकारक

समोसा, पकौड़े, जलेबी सेहत के लिए हानिकारक, लिखी जाएगी सिगरेट-तम्बाकू जैसी चेतावनी

निमिषा प्रिया

निमिषा प्रिया की फांसी टालने का भारत सरकार ने यमन से किया आग्रह

bullet trtain

अब मुंबई से अहमदाबाद के बीच नहीं चलेगी बुलेट ट्रेन? पीआईबी फैक्ट चेक में सामने आया सच

तिलक, कलावा और झूठी पहचान! : ‘शिव’ बनकर ‘नावेद’ ने किया यौन शोषण, ब्लैकमेल कर मुसलमान बनाना चाहता था आरोपी

श्रावस्ती में भी छांगुर नेटवर्क! झाड़-फूंक से सिराजुद्दीन ने बनाया साम्राज्य, मदरसा बना अड्डा- कहां गईं 300 छात्राएं..?

लोकतंत्र की डफली, अराजकता का राग

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

समोसा, पकौड़े और जलेबी सेहत के लिए हानिकारक

समोसा, पकौड़े, जलेबी सेहत के लिए हानिकारक, लिखी जाएगी सिगरेट-तम्बाकू जैसी चेतावनी

निमिषा प्रिया

निमिषा प्रिया की फांसी टालने का भारत सरकार ने यमन से किया आग्रह

bullet trtain

अब मुंबई से अहमदाबाद के बीच नहीं चलेगी बुलेट ट्रेन? पीआईबी फैक्ट चेक में सामने आया सच

तिलक, कलावा और झूठी पहचान! : ‘शिव’ बनकर ‘नावेद’ ने किया यौन शोषण, ब्लैकमेल कर मुसलमान बनाना चाहता था आरोपी

श्रावस्ती में भी छांगुर नेटवर्क! झाड़-फूंक से सिराजुद्दीन ने बनाया साम्राज्य, मदरसा बना अड्डा- कहां गईं 300 छात्राएं..?

लोकतंत्र की डफली, अराजकता का राग

उत्तराखंड में पकड़े गए फर्जी साधु

Operation Kalanemi: ऑपरेशन कालनेमि सिर्फ उत्तराखंड तक ही क्‍यों, छद्म वेषधारी कहीं भी हों पकड़े जाने चाहिए

अशोक गजपति गोवा और अशीम घोष हरियाणा के नये राज्यपाल नियुक्त, कविंदर बने लद्दाख के उपराज्यपाल 

वाराणसी: सभी सार्वजनिक वाहनों पर ड्राइवर को लिखना होगा अपना नाम और मोबाइल नंबर

Sawan 2025: इस बार सावन कितने दिनों का? 30 या 31 नहीं बल्कि 29 दिनों का है , जानिए क्या है वजह

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies