सुलगते सवाल - डॉलर के दम पर दरोगाई
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

सुलगते सवाल – डॉलर के दम पर दरोगाई

by
May 16, 2015, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 16 May 2015 15:00:23

अमरीका दुनिया में दूसरे देशों की दो प्रकार से सहायता करता है। वह किसी देश को हथियार खरीदने के लिये पैसे देता है, लेकिन साथ ही उसे बता देता है कि अमरीका की फलां कम्पनी से यह हथियार खरीद लेना। इससे दो लाभ होते हैं। फलां कम्पनी का अरसे से एकत्रित हथियारों का भंडार बिक जाता है और जिस देश को सहायता दी जाती है वह अमरीका के अहसान तले दब जाता है। यदि सहायता प्राप्त करने वाले देश के लोग अहसान तले नहीं दबते, तो कम से कम वहां के शासक तो दब ही जाते हैं। यह बताने की जरूरत नहीं कि अहसान तले दबे व्यक्ति का व्यवहार किस प्रकार का हो जाता है?
सहायता का दूसरा तरीका गैर सरकारी तरीका है। इसमें सहायता किसी देश की सरकार को नहीं दी जाती। सहायता उस देश के गैर सरकारी संगठनों को दी जाती है। अब सहायता गैर सरकारी संगठनों को दी जानी है तो कायदे से अमरीका में सहायता देने वाला संगठन भी गैर सरकारी होना चाहिये। उसकी व्यवस्था अमरीका ने बेहतरीन ढंग से कर रखी है। उसने भी अपने यहां कुछ गैर सरकारी संगठन बना रखे हैं। मसलन फोर्ड फाउंडेशन, रॉकफैलर फाउंडेशन के अतिरिक्त फुलब्राईट, हाफब्राईट, और न जाने कितने कितने नाम और कैसे कैसे काम। अमरीका के ये गैर सरकारी संगठन हिन्दुस्थान के गैरसरकारी संगठनों को सहायता तो देते हैं लेकिन साथ ही संकेत से और कभी स्पष्ट बता देते हैं कि इस सहायता का प्रयोग किस प्रकार करना है। जिन दिनों मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, उन्होंने स्पष्ट ही कहा था कि विदेशों से वित्तीय सहायता प्राप्त कर रहे कुछ संगठन भारत में परमाणु ऊर्जा के कार्यक्रम को अवरुद्ध करने की कोशिश कर
रहे हैं।
इंग्लैंड के पतन के बाद आज दुनिया में अमरीका ही सब से बड़ा साम्राज्यवादी देश है जो दूसरे देशों में सांस्कृतिक आक्रमण के लिये पैसा मुहैया करवाता है। अमरीका का ही मीडिया कभी-कभार इस बात का खुलासा करता रहता है कि फोर्ड फाउंडेशन जैसे कई संगठन मोटे तौर पर सीआईए के मुखौटे के तौर पर काम करते हैं और इनके माध्यम से अमरीका दूसरे देशों की नीतियों को अपने हित में प्रभावित करने का प्रयास करता रहता है।
पिछले दिनों भारत सरकार ने यह कहा कि अमरीका के ये तथाकथित गैर सरकारी संगठन हिन्दुस्थान में जिन लोगों और संस्थाओं को पैसा उपलब्ध करवाते हैं, वे इसके लिये भारत सरकार को सूचित करें और सहायता प्राप्त करने वाली संस्थाएं भी इसके खर्च का सही हिसाब-किताब सरकार को दें। शुरू में लगता था कि सहायता देने वाले अमरीकी संगठन और सहायता प्राप्त करने वाले भारतीय संगठन इसकी प्रशंसा ही करेंगे ताकि मनमोहन सिंह के बयान के बाद जो शक का वातावरण बना था, वह साफ हो जाता। लेकिन हुआ इसके विपरीत।
अमरीकी पैसा प्राप्त करने वाली भारतीय गैर सरकारी संगठनों ने तो इस पर हो-हल्ला किया ही, लेकिन उससे भी ज्यादा हो-हल्ला अमरीका सरकार ने किया। अमरीकी सरकार, जो अब तक यह दावा करती रहती थी कि इन गैर सरकारी संगठनों का सरकार से कुछ लेना-देना नहीं है, वह आधिकारिक तौर पर भारत सरकार से जबाव-तलब करने लगी कि फोर्ड फाउंडेशन से भारत में खर्च किये गये पैसे का हिसाब-किताब क्यों मांगा जा रहा है? उसको क्यों कहा जा रहा है कि भारत में पानी की तरह पैसा बहाने से पहले वे यह जरूर बताएं कि पैसा किसको दिया जा रहा है और किस काम के लिये दिया जा रहा है।
इसमें कोई शक ही नहीं है कि अमरीका की ये फाउंडेशन अपने पैसे के जोर पर भारत की सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक नीतियां तय करने की कोशिश कर रहा है। इस क्षेत्र में पैसे के बल पर ऐसे 'थिंक टैंक' विकसित करने की कोशिश हो रही है जो भारत में रहकर भी अमरीका के हितों का ध्यान रखें। अमरीका भारत में एजेंडा सेंटर की भूमिका में आना चाहता है, कुछ हद आया भी है। यदि भारत जैसे एक सौ पच्चीस करोड़ की जनसंख्या वाले देश में अमरीका यह कर सकता है तो छोटे देशों में वह क्या करता होगा, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। अभी तक अमरीका के इस अभियान में एक तरह से भारत सरकार भी सहयोग ही कर रही थी, क्योंकि उसने मान लिया था कि महत्वपूर्ण प्रश्नों पर नीति-निर्धारण का कार्य जनशिक्षण के माध्यम से अमरीका के ये तथाकथित गैर सरकारी संस्थान ही करेंगे।
अब अन्तर केवल इतना ही पड़ा है कि भारत सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि इस देश में अपनी दिशा और पहचान का निर्धारण इस देश के लोग स्वयं ही करेंगे। इस पर वाशिंग्टन डीसी से लेकर दिल्ली में अमरीका के राजदूत तक भारत सरकार के इस साहस को चुनौती दे रहे हैं। जिन लोगों ने फोर्ड फाउंडेशन या ऐसे ही अन्य गैर सरकारी अमरीकी संगठनों का पैसा हलाल किया है, वे इस मामले में अमरीका के साथ खड़े दिखाई दें तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिये। परन्तु अमरीका के इन तथाकथित गैर सरकारी संगठनों ने डालरों की सहायता से इतना घना कोहरा रच दिया है कि कुछ तटस्थ लोग भी फोर्ड फाउंडेशन व अमरीका के पक्ष में खड़े नजर आते हैं। इसी से अन्दाजा लग सकता है कि भारत में अमरीकी जाल कितना गहरा फैला हुआ है। आज जरूरत है फोर्ड फाउंडेशन जैसी छद्म संस्थाओं की भारत में फैली आकाश-बेल को साफ करने की। इस दिशा में भारत सरकार द्वारा उठाये गये पहले कदम की तारीफ करनी होगी। –
– डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Iran Issues image of nuclear attack on Israel

इजरायल पर परमाणु हमला! ईरानी सलाहकार ने शेयर की तस्वीर, मच गया हड़कंप

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने बसाया उन्हीं के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिल वुमन का छलका दर्द

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Iran Issues image of nuclear attack on Israel

इजरायल पर परमाणु हमला! ईरानी सलाहकार ने शेयर की तस्वीर, मच गया हड़कंप

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने बसाया उन्हीं के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिल वुमन का छलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

नहीं हुआ कोई बलात्कार : IIM जोका पीड़िता के पिता ने किया रेप के आरोपों से इनकार, कहा- ‘बेटी ठीक, वह आराम कर रही है’

जगदीश टाइटलर (फाइल फोटो)

1984 दंगे : टाइटलर के खिलाफ गवाही दर्ज, गवाह ने कहा- ‘उसके उकसावे पर भीड़ ने गुरुद्वारा जलाया, 3 सिखों को मार डाला’

नेशनल हेराल्ड घोटाले में शिकंजा कस रहा सोनिया-राहुल पर

‘कांग्रेस ने दानदाताओं से की धोखाधड़ी’ : नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी का बड़ा खुलासा

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies