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देश-विदेश में बसे प्रवासी उत्तराखण्डी एक साथ अपने गांवों में हर वर्ष कुछ समय बिताएं। इसके लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने 'मेरा गांव, मेरा तीर्थ' योजना पर काम करना शुरू कर दिया है। इस योजना को विस्तार देने के लिए ग्रामोत्सव के आयोजन किए जाएंगे। इसके तहत देश-विदेश में बसे एक ही गांव के कई उत्तराखण्डी एक साथ समूह के रूप में अपने गांव आएंगे। ये लोग अपने पैतृक गांव पहुंचकर ग्रामोत्सव का आयोजन करेंगे।
इससे जहां प्रवासी उत्तराखण्डी अपने बच्चों को अपनी लोक संस्कृति से जोड़ सकेंगे, वहीं तेजी से खाली होते गांवों की रौनक लौटेगी। इसके लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपनी 670 न्याय पंचायतों पर तैनात स्वयंसेवकों को ग्रामोत्सव जैसे आयोजनों को सुनिश्चित कराने को कहा है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रान्त प्रचारक डॉ़ हरीश का कहना है कि 'मेरा गांव, मेरा तीर्थ' योजना का लोगों पर प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि 'मेरा गांव, मेरा तीर्थ' योजना से जुड़ने वाले प्रवासी स्थानीय ग्रामीणों के साथ मिलकर अपने पैतृक गांवों में सालाना ग्रामोत्सव का आयोजन करें।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ न सिर्फ प्रवासी उत्तराखण्डियों को गांवों की ओर लौटाने में जुटा है, बल्कि इसके जरिए पहाड़ के स्थानीय उत्पादों को भी बाजार मुहैया कराने की तैयारी में है। प्रवासी अपने साथ झंगोरा, मडुवा समेत पहाड़ी दालें भी लेकर जाएंगे, तो इससे उत्पाद की मांग बढ़ेगी। इस मुहिम का ही असर है, जो अब सरकार ने भी जीएमवीएन, केएमवीएन के पर्यटक आवास गृहों में पहाड़ी व्यंजनों को शामिल किए जाने पर जोर दिया है। ल्ल विसंके, देहरादून
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