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सुरक्षामंत्री डॉ.काटजू अपने शब्द वापस लें

by
May 16, 2015, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 16 May 2015 14:09:50

पाञ्चजन्य के पन्नों से
वर्ष: 9 अंक: 51
16 जुलाई 1956

सुरक्षामंत्री डॉ.काटजू अपने शब्द वापस लें
'कश्मीर विभाजन' जनता को कभी स्वीकार नहीं
बख्शी गुलाम मोहम्मद द्वारा पाक-प्रधान मंत्री को मुंहतोड़ उत्तर

भारत के रक्षा मंत्री श्री कैलाशनाथ काटजू आजकल कश्मीर के दौरे पर आए हुए हैं। उन्होंने पुंछ का दौरा किया और वहां के सिपाहियों से मिले और उनकी कुशलता पूछी। एक सार्वजनिक सभा में भाषण करते हुए उन्होंने कहा कि कश्मीर समस्या का एकमात्र हल विभाजन है। पण्डित नेहरू के कथन अनुसार युद्धबंदी सीमा के आधार पर निर्णय हो सकता है। उन्होंने कहा कि कश्मीर की जनता महात्मा गांधी की अनुयायी है उसने आगे लड़ाई ठानने की अपेक्षा यही उचित समझा कि पाकिस्तान द्वारा अधिकृत क्षेत्र वापस न लिया जाए।
रक्षा मंत्री के भाषण से जहां स्वार्थी तत्वों को प्रसन्नता हुई है, वहां राष्ट्रहित चिंतकों को अत्यंत वेदना। राष्ट्रीय तत्वों का कहना है कि भारत के रक्षामंत्री द्वारा भारत के वैधानिक तथा नैतिक अधिकार की उपेक्षा करके जनता की भावना के विरुद्ध कश्मीर विभाजन को स्वीकार करना राष्ट्र के हितों पर कुठाराघात है, जिसे किसी भी समझदार तथा राष्ट्र-भक्त द्वारा मान्यता प्रदान नहीं जा सकती। ऐसे समय जबकि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री चौधरी मोहम्मद अली लगातार कश्मीर को बार-बार पाकिस्तान का अंग घोषित कर रहे हैं, यहां घोषणा भारत की कमजोरी का परिचायक नहीं मानी जा सकती है। अत: इस घोषणा को और भी अनुचित समझा जा रहा है और आशा की जा रही है कि इस प्रकार के तर्कहीन भाषणों को रोका जाएगा।

जनसंघ और महापंजाब समिति की महान विजय
'होश्यारपुर काण्ड' की जांच प्रारंभ
प्रबल जनमत के समक्ष सरका को झुकना पड़ा

नई दिल्ली। अभी-अभी समाचार प्राप्त हुआ है कि भारत सरकार के शिक्षा मंत्री द्वारा कांग्रेस संसदीय दल के उपाध्यक्ष मो ाजाद ने श्रीमन्नारायण जांच समिति, जो कि होश्यारपुर काण्ड में पुलिस द्वारा 17 जून को महापंजाब समर्थक शान्त प्रदर्शनकारियों पर किए गए पाशविक लाठी-चार्ज की जांच के लिए नियुक्त की गई है, के अंतर्गत हाईकोर्ट के एक अवकाश प्राप्त जज को सम्मिलित करने की घोषणा की है। आशा की जाती है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के अवकाश प्राप्त जज श्री ब्रजमोहन लाला सम्मिलित किए जाएंगे। यहां के राजनीतिक क्षेत्रों में इसे महापंजाब समिति, जनसंघ, आमरण भूख हड़ताल का व्रत लेने वाले यज्ञदत्त शर्मा तथा होश्यारपुर की वीर जनता, जो 26 दिन तक लगातार हड़ताल पर डटी रही, की महान विजय माना जा रहा है।
17 जून से लगातार अब तक जो कुछ होता रहा उससे 'पाञ्चजन्य' पाठकों को अच्छी प्रकार परिचित कराता रहा है। किन्तु गत सप्ताह इस ओर गतिविधि में जो प्रगति हुई वह अत्यंत महत्वपूर्ण है। श्री यज्ञ दत्त शर्मा (जनसंघ कार्यकर्ता), जिन्होंने होश्यारपुर काण्ड की न्यायालयी जांच कराने की जनता की उचित मांग को बल प्रदान करने के उद्देश्य से 17 जून से आमरण भूख हड़ताल कर रखी थी, की हालत बिगड़ने के कारण कांग्रेसी क्षेत्रों में घबराहट पैदा होने लगी थी।
उधर समस्त पंजाब की जनता ने श्री यज्ञदत्त के प्राणों की रक्षा के लिए जोरदार आंदोलन छेड़ दिया। लुधियाना, अमृतसर, अम्बाला, करनाल, पानीपत, जालंधर, शिमला, मोघा, कुरुश्लोत्र आदि सभी स्थानों पर जोरदार प्रदर्शन किए गए। लुधियाना में तो हजारों माताओं ने काले झंडे लेकर 'श्री यज्ञदत्त के प्राण बचाओ' की मांग करते हुए एक विशाल जुलूस निकाला। जुलूस अपने ढंग का अनोखा था, जिसमें महिलाएं ही महिलाएं थीं, पुरुष एक भी नहीं। अनेक लोगों ने श्री शर्मा की सहानुभूति में अनशन शुरू कर दिए। ऐसा लगने लगा कि यदि कहीं श्री शर्मा को कुछ हो गया तो समस्त पंजाब में आग लग जाएगी।
भीषण स्थिति
हिन्दू महासभा के प्रधान बै. निर्मल चंद्र चटर्जी, जनसंघ के मंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी तथा दिल्ली जनसंघ के अध्यक्ष प्रो. बलराज मधोक ने 8 जुलाई को संयुक्त रूप से होश्यारपुर जाकर वहां की स्थिति का प्रत्यक्ष निरीक्षण किया। उक्त नेताओं का होश्यारपुर की एक लाख से अधिक जनता ने भव्य किन्तु मूक स्वागत किया। श्री चटर्जी ने आम सभा में प्रमुख रूप से दो बातों पर जोर दिया- होश्यारपुर काण्ड की न्यायालयी जांच की घोषणा करके श्री यज्ञदत्त शर्मा के प्राण बचाए जाएं, 'क्षेत्रीय योजना' समाप्त की जाए। होश्यारपुर की स्थिति 8 तारीख को कितनी गंभीर थी।

दिशाबोध – कश्मीर-आंदोलन
नेहरू जी कहते हैं, 'मैं कश्मीर के प्रश्न पर पाकिस्तान के साथ युद्ध भी करूंगा।' किन्तु युद्ध तो उन्होंने जनसंघ के विरुद्ध प्रारम्भ किया है। कहते थे कि कश्मीर की एक फुट भूमि गई तो वह युद्ध का कारण बन सकती है। किन्तु अब तो कश्मीर का एक-तिहाई भाग पाकिस्तान के कब्जे में चला गया है। नेहरू जी इसके लिए क्या कर रहे हैं? सच बात तो यह है कि नेहरूजी को कुछ भी करना-धरना नहीं है। पाकिस्तान सैनिक अड्डे बना रहा है। इसके उत्तर में नेहरू जी ने क्या किया ? जनसंघ ने इससे पूर्व देशभर में कश्मीर दिवस मनाकर जनता के सामने इस प्रश्न को प्रस्तुत किया था। कश्मीर के प्रति जनसंघ ने ही देश में जन-जागरण किया। जम्मू कश्मीर में हजारों लोगों ने सत्याग्रह किया। जनसंघ के अनेक कार्यकर्ताओं को शेख अब्दुल्ला ने जेल में डाला और 14 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी।
(पंडित दीनदयाल उपाध्याय विचार-दर्शन,
खंड-3 राजनीतिक चिंतन, पृष्ठ 77 )

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