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क्या हुआ था- उस दिन वर्षा बंद होने का नाम ही नहीं ले रही थी लग रहा था कि अनेक बादल एक साथ फट गए हों। बारिश का मिजाज देख नगालैंड पुलिस में हवलदार बेंदागटोबा हिम्मत करके घर से निकले घर के बाहर नाली में फंसे अवरोध को हटाने के लिए। इसी बीच, बारिश का असर कुछ कम हुआ तो पुट्टीजुंगशी और उनके स्काउट में सक्रिय साथी घर से निकले बारिश से प्रभावित लोगों की मदद के लिए। इन्होंने हवलदार बेंदागटोबा के घर के आगे भीड़ को देखा। ये भी वहां पहुंच गए। भीड़ बेंदागटोबा के छाती तक कीचड़ में धंसने से निकलने के प्रयास को देख रही थी। पुट्टीजुंगशी ने देखा कि ऊपरी पहाड़ी की ढलान से बारिश का पानी धीरे-धीरे तलहटी तक पहुंच रहा है। इससे वहां कीचड़ और पानी की मात्रा बढ़ती जा रही थी। बेंदागटोबा की जलसमाधि की आशंका बन रही थी। बिना वक्त बर्बाद किए पुट्टी ने कीचड़ को हाथ से ही हटाना शुरू किया। यह देखकर कुछ और लोग उसके साथ जुट गए। ये जटिल काम था। कीचड़ कम होते ही बेंदागटोबा बाहर निकाल लिए गए। उस दिन इस शहर में भूस्खलन से भी भारी तबाही हुई। पर पुट्टी के साहसिक कार्य को तमाम लोगों ने देखा। उन्हें इस साहसिक कार्य के लिए साल 2006 के लिए राष्ट्रीय वीरता सम्मान मिला।
और उसके बाद- अफसोस कि पुट्टीजुंगशी की साल 2011 में अपने शहर में भूस्खलन की चपेट में आने के कारण मौत हो गई। उनके मित्र ईलम ने नगालैंड से फोन पर बताया कि पुट्टीजुंगशी की अंत्येष्टि में कोई प्रशासन का अधिकारी या नेता परिवार को संवदेना प्रकट करने के लिए नहीं पहुंचा। ल्ल
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