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पाठकों के पत्र – अंक संदर्भ: : 4 जनवरी,2015
आवरण कथा 'फादर,ये क्या किया' उस हकीकत की ओर इशारा करती है, जिस पर सेकुलर दल रुदन कर रहे हैं और घरवापसी को गलत ठहरा रहे हैं। पत्रिका ने जिस हकीकत से पूरे देश को रूबरू कराया है यह तो ईसाई मिशनरियों के षड्यंत्र की एक बानगी मात्र है,लेकिन अगर इसकी तह में जाएं तो प्रत्येक छोटे से बड़े जिले,गांव और प्रदेश में इनका जाल बिछा हुआ है और इसी प्रकार यह शान्तिप्रिय बनकर,समाज के वंचित तबकों को अपना शिकार बना रहे हैं। पूरे देश में आज ईसाई मिशनरियां बड़ी ही तेजी से कन्वर्जन के कार्य को कर रही हैं। इस प्रकार की घटनाओं से बचने के लिए हमें जागरूक होना होगा और सभी हिन्दुओं को अपने आस-पास इस प्रकार की किसी भी गतिविधि को गंभीरता से लेकर इसका प्रतिकार करना होगा।
—निशान्त कुमार, गाजियाबाद(उ.प्र.)
ईसाई मिशनरियां उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में वंचित समाज को निशाना बनाकर कन्वर्जन कराती रही हैं। पहले तो यह लालच के दम पर ही अपने काम को करती हैं, लेकिन जहां इनकी संख्या में बढ़ोतरी होती है यह तलवार की नोक पर इस कार्य को अंजाम देती हैं। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में ईसाई मिशनरियों की षड्यंत्रपूर्ण कार्यशैली को देखा जा सकता है कि कैसे यह कन्वर्जन के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाती हैं।
—डॉ.सुशील कुमार गुप्ता
बेहट बस स्टैण्ड,सहारनपुर(उ.प्र.)
आज विश्व में हिन्दू जनसंख्या में लगातार गिरावट देखी जा सकती है। जबकि भारत में देखा जाए तो बाहरी मत-संप्रदायों के लोगों का लगातार बढ़ना जारी है और उनकी जनसंख्या बढ़कर तीन गुनी तक हो गई है। हालत यह है कि हिन्दुओं के देश हिन्दुस्थान में भी आए दिन कन्वर्जन,लव जिहाद,आतंकवाद जैसी गंभीर समस्याएं हिन्दुओं को परेशान कर रही हैं। सवाल है कि आखिर कब तक हिन्दू इस प्रकार की चीजों को सहन करता रहेगा ? देश का दुर्भाग्य है कि जब हिन्दुओं के साथ अत्याचार होता है तब सेकुलर नेताओं को दिखाई नहीं देता, लेकिन जब ईसाई मिशनरियों के साथ थोड़ा सा भी कड़ाई से पेश आया जाता है तो इनके पालने वाले लोगों के पेट में दर्द होने लगता है और इस दर्द की आवाज पूरी दुनिया में पहुंचाने के लिए यह शेर मचाना शुरू कर देते हैं।
—रमेश कुमार मिश्र
कान्दीपुर,अंबेडकरनगर(उ.प्र.)
देश के अंदर और देश के बाहर प्रत्येक स्थान पर हिन्दू के साथ अत्याचार हो रहा है। यह अत्याचार कुछ वर्षों का नहीं,अपितु हिन्दू इसका शिकार सदियों से होता चला आ रहा है। लेकिन अब देश के अंदर सरकारों को जागना होगा और हिन्दुओं के साथ हो रहे अत्याचारों पर तत्काल लगाम लगानी होगी, क्योंकि यहां हिन्दूहित ही सर्वोच्च हैं।
—नरेश सिंह गोयल
खैराबाद,जिला-सीतापुर(उ.प्र.)
कांग्रेस का छल
अभी कुछ दिन पूर्व कांग्रेस पार्टी ने अपना स्थापना समारोह मनाया। ताकि लोग जानते रहें कि यह वही पार्टी है, जिसमें देश के कई बड़े नेता शामिल रहे, जिन्होंने स्वतंत्रता समर में अपने प्राणों तक की परवाह नहीं की। लेकिन आज तक वह यह क्यों नहीं बताती कि जिन महात्मा गांधी को वे सिर- आंखों पर रखकर उनपर पूरा अधिकार दिखाती है, उनके कहने पर भी उसने 1947 में कांग्रेस पार्टी को क्यों नहीं भंग किया? असल में नेहरू में सदैव से छल की प्रवृत्ति थी और वह आज उनके परिवार दूसरे रूपों में जारी है।
—एस.पी. गुप्त
विश्वविद्यालय परिसर, कुरुक्षेत्र(हरियाणा)
राष्ट्रहित में आवश्यकता
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कर्मठता, सुशासन,कार्यशैली एवं लोकप्रियता केवल कांग्रेसियों के लिए ही नहीं अपितु अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अनेक राष्ट्राध्यक्षों के लिए भी ईर्ष्या का विषय है। वहीं देश में एक के बाद एक राज्य विधानसभाओं में विजय पताका फहराने वाली भारतीय जनता पार्टी निश्चय ही एक ऐसे ध्रुवीकरण की ओर अग्रसर है, जिसकी राष्ट्रहित में अतीव आवश्यकता है। यह धु्रवीकरण उन पार्टियों के लिए आंख की किरकिरी बना हुआ है,जिन्होंने स्वतंत्रता के पश्चात लंबे काल तक शासन तो किया लेकिन जनता को सुख-सुविधा देने के नाम पर केवल पीड़ा दी। लेकिन अब जनता जाग रही है और उसका परिणाम आज हम सबके सामने है।
—हिम्मत जोशी, लक्ष्मीनगर,नागपुर(महा.)
सांपों ने डसा संपेरों को
अभी कुछ दिन पूर्व पेशावर में जो कुछ भी आतंकियों ने किया उसकी निंदा शब्दों में की जानी संभव नहीं है,क्योंकि जिहादी आतंकी शब्दों की भाषा नहीं बल्कि बंदूक की भाषा समझते हैं। इस हमले से यह तथ्य साबित हो गया कि पाकिस्तान अपने ही पाले सांपों के काटने से दंशित हुआ है। लेकिन अभी भी पाकिस्तान के पास समय है कि वह इन सांपों का सफाया करे और स्वयं एवं दूसरे देशों में आतंक की फसल बोने का काम बंद करे। यह उसके लिए भी अच्छा होगा और दूसरे देशों के लिए भी हितकारी रहेगा।
—दिलीप मिश्रा
दौलतगंज,लश्कर,ग्वालियर,म.प्र.
कृषि व्यवस्था में सुधार की जरूरत
आज देश के किसानों की हालत को देखकर यह कहना उचित होगा कि यह कहने भर के लिए देश की अर्थव्यवस्था की रीड़ रह गई है। पूरे वर्ष रात-दिन एक करके,किसी चीज की परवाह किए बिना वह अन्न को उपजाता है, लेकिन जब वह उसे बेचने जाता है तो लाभ दूर की बात है लागत तक निकलना मुश्किल हो जाता है। इतने पर भी वह हार नहीं मानता और फिर उसी खेत में अन्न उपजा कर पूरे देश को पालने का कार्य करता है वह भी बिना किसी शोक के। देश के नेता वास्तविकता से कोसों दूर हैं। वह मंच पर बड़ी-बड़ी बातें करके किसानों को वोट के लिए जब चाहते हैं तब प्रयोग कर लेते हैं और बेचारे किसान इनके बहकावे में आसानी से आ भी जाते हैं। देश के किसानों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बहुत ही आकांक्षाएं हंै कि वह किसानों की पीड़ा को समझेंगे और उनको उनका उचित हक दिलवाएंगे। राममोहन चंद्रवंशी, विट्ठल नगर, जिला-हरदा(म.प्र.)
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