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उपलब्धि-अन्तरराष्ट्रीय वैज्ञानिक एवं तकनीकी विशेषज्ञ्
भारत से नाता-भारत -अमरीकी विज्ञान एवं तकनीकी परिषद् के सदस्य
भविष्य का सपना-डिजिटल तकनीकी का अन्तरराष्ट्रीय प्रसार
मल्टीमीडिया क्रान्ति के सूत्रधार
मुम्बई में 26 मई, 1946 को जन्मे अरुण नेत्रावली कम्प्यूटर इंजीनियर हैं। आईआईटी मुम्बई से स्नातक की उपाधि, उसके बाद एम.एस. और पीएच.डी. की उपाधि राइस यूनिवर्सिटी, ह्यूस्टन, टेक्सास से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में ली। कई वैश्विक विश्वविद्यालयों ने उन्हें मानद उपाधियां प्रदान की हैं। नेत्रावली द्वारा संचालित बेल लैब डिजिटल वीडियो तकनीक के अनुसंधान और विकास की प्रतीक है। 170 से भी अधिक तकनीकी पत्र प्रस्तुत करने वाले नेत्रावली ने 70 पेटंेट करवाने के साथ पिक्चर प्रोसेसिंग डिजिटल टेलीविजन और कम्प्यूटर नेटवर्क पर तीन पुस्तकें भी लिखी हैं।
भारत सरकार ने 2001 में उनकी अन्तराष्ट्रीय उपलब्धियों और देश के प्रति समर्पण भाव को देखते हुए उन्हें पद्म भूषण सम्मान प्रदान किया। बेल लैब से पूर्व नेत्रावली मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालाजी में अध्यापन कार्य में लगे थे। बेल लैब में विशिष्ट भूमिका निभाते हुए भी वे कोलंबिया विश्वविद्यालय और रटगर्स विश्वविद्यालय में पढ़ाते हैं। बेल लेबोरेट्रीज से जुड़ने से पूर्व कुछ वर्ष नेत्रावली ने नासा में भी कार्य किया। बैरी जी. हास्केल के साथ एमपीईजी-2 और विजुअल कम्युनिकेशन पर विशेष शोध पत्र प्रस्तुत किया। वे बेल लैब के अध्यक्ष और लूसेन्ट टेक्नालॉजी में मुख्य वैज्ञानिक रहे हैं। इससे पूर्व वे अपने इसी कार्यस्थल में शोध के कार्यकारी उपाध्यक्ष रहे हैं। अपनी पत्नी डा. चित्रा नेत्रावली और इल्का तथा रवि नामक दो बच्चों के साथ डॉ. नेत्रावली सुखी एवं आदर्श भारतीय परिवार के प्रतीक हैं। एचडीटीवी के प्रणयन के साथ टेलीकम्युनिकेशन तकनीक के अग्रणी नायक डॉ. अरुण नेत्रावली ने मल्टीमीडिया क्रान्ति में अपूर्व भूमिका निभाई है। डॉ. नेत्रावली पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा प्रवर्तित भारत-अमरीकी विज्ञान एवं तकनीकी परिषद् में सदस्य भी हैं। अमरीकी राष्ट्रपति जार्ज बुश द्वारा उन्हें 2 जून, 2012 को व्हाइट हाउस में नेशनल मेडल ऑफ और टेक्नालॉजी प्रदान किया।
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