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उपलब्धि-यूरोपीय सलाहकार बोर्ड की सदस्य है
भारत से नाताख- साहित्य और विज्ञान के क्षेत्र में
भारत का नाम रोशन किया
भविष्य का सपना-ज्करना व उपन्यास लेखन का कार्य जारी रखना
वैज्ञानिक और उपन्यासकार सुनेत्रा गुप्ता का जन्म 1965 में कोलकाता में हुआ। उन्होंने 1987 में जीव विज्ञान में प्रिन्स्टन विश्वविद्यालय से डिग्री और 1992 में लंदन विश्वविद्यालय से पीएचडी की। वर्तमान में सुनेत्रा ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के प्राणी विज्ञान विभाग में मीमांसात्मक रोगशास्त्र की प्रोफेसर हैं। इनकी रुचि मलेरिया और एचआईवी जैसे संक्रामक रोगों के कारणों की खोज करना है। गुप्ता यूरोपीय सलाहकार बोर्ड की सदस्य भी हैं। भारतीय मूल की सुनेत्रा को बचपन से ही विदेश घूमने के सुअवसर प्राप्त हुए। सुनेत्रा को लंदन की जूलॉजिकल सोसायटी द्वारा रॉयल सोसायटी, लंदन और वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए रोजलिण्ड फ्रंेकलिन पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। सुनेत्रा का चित्र जानी-मानी रॉयल सोसायटी की विज्ञान प्रदर्शनी में महिला वैज्ञानिक मैडम क्यूरी के साथ जुलाई, 2013 में रखा जा चुका है, जो एक भारतीय के लिए विशेष सम्मान की बात है। बंगला भाषा से उनका विशेष प्रेम है और उन्होंने सबसे पहले रवीन्द्रनाथ टैगोर की कविताओं का अनुवाद भी किया। इनके उपन्यासों के लिए 1997 में साहित्य अकादमी पुरस्कार और 2000 में दक्षिण कला साहित्य पुरस्कार दिया जा चुका है। इनके उपन्यासोंं को 'वोडाफोन क्रॉसवर्ड बुक अवार्ड' के लिए चुना गया है और ऑरेंज पुरस्कार के लिए भी उनके नाम पर पहली सूची में विचार किया जा रहा है। 2012 में उन्हें उपन्यास 'सो गुड इन ब्लैक' के लिए दक्षिण एशियाई साहित्य के डीएससी पुरस्कार के लिए प्रथम नामांकन सूची में शामिल किया गया, जो कि 2009 में प्रकाशित हुआ था। इनका प्रमुख उपन्यास-'मैमोरीज ऑफ रेन, 1992 में पेंगुइन बुक्स द्वारा प्रकाशित किया गया। इसके बाद 1993 में 'दा ग्लासब्लोअर्स ब्रीथ', 1995 में 'मूनलाइट इन टू मार्जिपन', और 1999 में 'ए सीन ऑफ कलर' और लघु कथा में 'स्वीट लव' काफी चर्चित रहे। सुनेत्रा की आत्मकथा के अनुसार उनके जीवन में उनके पिता धु्रव गुप्ता का विशेष योगदान रहा है।
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