|
गत 19 दिसम्बर को नई दिल्ली में दूसरा कर्मयोगी पुरस्कार अरुणाचल प्रदेश तकनीकी शिक्षा विभाग के निदेशक पद से हाल ही में सेवानिवृत्त हुए डॉ. जोराम बेगी को दिया गया। पुरस्कारस्वरूप उन्हें प्रशस्ति पत्र और 1 लाख रुपए की राशि भेंट की गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री भैयाजी जोशी और विशिष्ट अतिथि थीं केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी। इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री भैयाजी जोशी ने कहा कि मकान को बनाया जा सकता है, लेकिन घर को विकसित करना होता है। पूर्वोत्तर हमारे देश का अभिन्न अंग है। हमें लोगों का चेहरा नहीं, बल्कि उनके हृदय को पहचानने की क्षमता को बढ़ाने की आवश्यकता है। तभी देश एकात्मशक्ति के रूप में खड़ा हो सकता है।
उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर की एक अलग पहचान है। पूर्वोत्तर के बारे में फैली हुईं भ्रांतियों को खत्म करने का काम 'माय होम इंडिया' कर रही है। 'माय होम इंडिया' संस्था के संस्थापक श्री सुनील देवधर ने पूर्वोत्तर के महत्व को समझाते हुए सभी लोगों से आह्वान किया कि वे पूर्वोत्तर की संस्कृति और परपंरा का सम्मान करें और एक बार पूर्वोत्तर भ्रमण पर जरूर जाएं। श्रीमती स्मृति ईरानी ने कहा कि उनका मंत्रालय पूर्वोत्तर के विकास के लिए बहुत से कार्य कर रहा है ताकि वहां शिक्षा का स्तर और अधिक बढ़ाया जा सके। श्री बेगी ने कर्मयोगी पुरस्कार देने के लिए 'माय होम इंडिया' का अभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि इस पुरस्कार के बाद पूर्वोत्तर में शिक्षा के क्षेत्र में काम करने की उनकी जिम्मेदारी और बढ़ गई है। वे इस दिशा में और बेहतर प्रयास करेंगे। -प्रतिनिधि
आदर्श व्यवहार परिवार का आधार
अलीगढ़ (उ.प्र.) में 20 दिसम्बर को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक आयाम 'कुटुम्ब प्रबोधन' के तत्वावधान में युवा दम्पति परिवार सम्मेलन आयोजित हुआ। सम्मेलन का उद्घाटन भारत माता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया गया। इस अवसर पर कई रंगारंग कार्यक्रम हुए और अन्ताक्षरी,देशभक्ति गीत और सामूहिक हनुमान चालीसा का पाठ हुआ। सम्मेलन की भूमिका कुटुम्ब प्रबोधन के प्रान्त प्रमुख अम्बिका प्रसाद ने रखी। सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कुटुम्ब प्रबोधन के अखिल भारतीय प्रमुख सुब्रह्मणयम भट्ट ने कहा कि हमारी परिवार व्यवस्था बहुत ही अनूठी है। यह व्यवस्था बताती है कि आदर्श व्यवहार ही सुखी परिवार का आधार है। उन्होंने कहा कि परिवार के लोग कम से कम एक समय साथ-साथ भोजन करें। यदि यह संभव न हो तो सप्ताह में एक बार तो साथ में भोजन अवश्य करें। उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी निमंत्रण पत्र अपनी भाषा में छपवाएं।
टिप्पणियाँ