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बर्द्धमान विस्फोट और उसके बाद तृणमूल कांग्रेस के दो सांसदों की सारदा चिट फंड घोटाले में गिरफ्तारी के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी गलत बयानबाजी करने से बाज नहीं आ रही हैं। बर्द्धमान विस्फोट के बाद भाजपा को बनावटी कहने और अब अपशब्द कहने के कारण वह अपना आपा खो चुकी हैं।
सारदा चिट फंड घोटाले और बर्द्धमान विस्फोट मामले में तृणमूल कांगे्रस के सांसद, विधायक और कुछ अन्य करीबियों पर शिकंजा कसने से ममता बौखला चुकी हैं। ऐसे में ममता इधर-उधर की बयानबाजी करने लगी हैं। पत्रकार कुणाल घोष को राज्यसभा से सांसद बनाया जिसे पुलिस ने जेल में डाल दिया। इसके अलावा तृणमूल कांग्रेस दल के मुखपत्र जागो बंगला साप्ताहिक के संपादक सृंजॉय बोस की गिरफ्तारी के बाद ममता केन्द्र सरकार, भाजपा, सीबीआई और रॉ के खिलाफ सड़क पर उतरकर जुलूस और धरने-प्रदर्शन पर उतर आयी हैं। ममता बिना किसी का नाम लिए गलत बयानबाजी कर रही हैं। गत 22 नवम्बर को सीबीआई और रॉ को केन्द्र सरकार के इशारे पर काम करने वाला बताकर भाजपा नेताओं को भी अनाप-शनाप कहा। ममता ने वहां पर अभद्र भाषा का प्रयोग किया, जो कि एक मुख्यमंत्री को शोभा नहीं देता है। मुख्यमंत्री ने यहां तक कहा कि हो सकता है कि केन्द्र सरकार ने ही रॉ के माध्यम से बर्द्धमान विस्फोट कराया हो। साथ ही कहा कि 'मैं 23 वर्षों से राजनीति में हूं, मैं सब जानती हूं कि कौन-कैसे साजिश करता है।' ल्ल बासुदेब पाल
किसी भी न्यायिक प्रक्रिया के बारे में बोलते समय सावधान रहना चाहिए। मुख्यमंत्री जिस तरह से बात कर रही हैं, वह न्यायिक प्रक्रिया में दखल देने के बराबर है।
-भगवती प्रसाद बंद्योपाध्याय
पूर्व न्यायाधीश, कोलकाता उच्च न्यायालय
इतने अंतराल के बाद मुख्यमंत्री अचानक रॉ को लेकर न जाने किस आधार पर बातें कर रही हैं? सच को विकृत नहीं करना चाहिए क्योंकि उससे गलत लोगों को प्रोत्साहन मिलता है।
-अरुण प्रसाद मुखर्जी
पूर्व पुलिस महानिदेशक, पश्चिम बंगाल
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