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योग दुनिया को भारत की सर्वाधिक महत्वपूर्ण सौगातों में से एक है। योग हमारे पूरे जीवन को आयुष, प्रसन्नता और आनंद से भर देने का विज्ञान है। रोगों से लड़ने और शीघ्र स्वास्थ्य लाभ पाने में इसकी उपयोगिता विदेशी चिकित्सा विज्ञानियों ने भी स्वीकार की है और आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों ने अपने अधूरेपन को भरने के लिए इसे मान्यता दी है। योगाचार्य मनोज कुमार और योगाचार्य कौशल कुमार से हमने जानना चाहा कि हमारी रोजमर्रा की विभिन्न समस्याओं और रोगों से निजात पाने में योग हमारे कितना काम आ सकता है। साथ ही हम इस दौरान कैसे रहें और खान-पान कैसा रखें। ये आपके बहुत काम आने वाली बातें हैं जिनसे आप अपनी और पूरे परिवार की सेहत दुरुस्त रख सकते हैं।
उष्ट्रासन
गाड़ी चलाते या पढ़ते-पढ़ते थक जाएं तो…
आजकल की इस भागदौड़ में पढ़ते-पढ़ते, दफ्तर में लगातार कम्प्यूटर पर काम करते, ड्राइव करते, या कुछ भी करते हुए शरीर थकने लगता है। इसका एक बहुत बड़ा कारण हमारा समय पर आराम न करना है। आदमी प्रतिदिन टी.वी. के सामने दो-दो घंटे बिता देगा, मगर शरीर के ऊपर थोड़ी भी मेहनत नहीं करेगा। यदि कोई भी व्यक्ति सप्ताह में पांच दिन आधा-आधा घंटा योग कर ले तो थकावट उससे कोसों दूर रहेगी। खानपान और जीवनशैली के साथ योग को जोड़कर हम रोगों और थकान से बच सकते हैं।
आहार
शुद्ध सात्विक खाना खाएं। मौसमी हरी सब्जियों एवं फलों का सेवन करें। पानी का आधिकाधिक मात्रा में सेवन करें।
योगासन
ताड़ासन, तिर्यक ताड़ासन, त्रिकोणासन, पादहस्तासन, प्रसारित पादहस्तासन, खंजनासन, उष्ट्रासन, शलभासन, मकरासन, धनुरासन, पार्श्वधनुरासन, भुजंगासन एवं गर्दन की अकड़न को दूर करने के लिए गर्दन की क्रियाएं करें।
उष्ट्रासन की विधि
उष्ट्र का अर्थ ऊंट होता है।
ल्ल सर्वप्रथम किसी दरी या कम्बल पर वज्रासन में बैठ जाएं। कुछ लम्बी सांस लें और छोडे़ं।
ल्ल अब दोनों हथेलियों को दोनों जंघाओं पर रखें। रीढ़ को बिल्कुल सीधा रखें और पसलियों को ऊपर की ओर खींचें।
ल्ल धीरे-धीरे घुटनों के ऊपर खड़े हो जाएं। दायीं हथेली को सिर के पीछे से लाकर दाएं पैर की एड़ी पकड़ें और बायीं हथेली दाएं हाथ से बाकी एड़ी पकड़ें।
ल्ल ध्यान रहे कि दोनों घुटनों एवं पैरों में 6 इंच से 12 इंच की दूरी रहे।
ल्ल अब नितम्बों को थोड़ा संकुचित करें और गर्दन को पीछे की ओर तानें। जंघा को सीधा रखें। सामान्य श्वासों के साथ आधा मिनट से एक मिनट तक इसी अवस्था में रुकें।
ल्ल हाथों को एक-एक कर हटाएं और उन्हें जंघा पर रखें। बाद में ज़मीन पर बैठकर विश्राम करें।
ल्ल इन आसनों को जितनी भी बार आप कर सकते हैं करें।
प्राणायाम
शरीर में रक्त का संचार और शरीर की ऊर्जा की पुनर्प्राप्ति के लिए नाड़ीशोधन प्राणायाम, कपालभाति प्राणायाम का अभ्यास अवश्य करें।
विश्राम
आसन और प्राणायाम करने के बाद 15 मिनट योगनिद्रा, शवासन या शिथिलीकरण का अभ्यास अवश्य करें। क्योंकि,विश्राम करने से आपकी मांसपेशियों को आराम मिलता है। ल्ल
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