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प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु और 'आर्ट ऑफ लिविंग' के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने यूरोप, अमरीका और भारत की सरकारों से इराक में आतंकवादियों के खौफ में जी रहे यजीदियों, ईसाइयों और कुर्द लोगों की मदद की अपील की है। इसके साथ ही उन्होंने इराक के शरणार्थी शिविरों में रह रहे लोगों तक राहत सामग्री पहंुचाने का कार्य भी शुरू कर दिया है। बेंगलुरू से 27 अक्तूबर को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में श्री श्री रविशंकर ने कहा, 'इराक में हजारों लोग पहाड़ों में बिना पानी और भोजन के फंसे हुए हैं। लगभग 7000 बालिकाओं और महिलाओं को आई़ एस़ आई़ एस़ ने अपने शिकंजे में कैद कर रखा है।
हमने सामूहिक बलात्कार की शिकार 15 वर्षीया एक कन्या को छुड़वाया और उसका पुनर्वास किया। अन्य महिलाओं को बचाने का काम जारी है। आतंकवादी उन्हें खुलेआम गुलाम की तरह बेच रहे हैं। भोजन, पानी और अन्य आवश्यक वस्तुएं शरणार्थी शिविरों में पहुंचाई जा रही हैं।'
आगे उन्होंने कहा, 'इराक में 21वीं सदी का सबसे निकृष्ट नरसंहार चल रहा है। यजीदी एक प्राचीन समुदाय है, जो कि लुप्त होने के कगार पर है। इस समुदाय के अनेक लोग मुझसे अमरीका में मिले और यजीदियों को बचाने का आग्रह किया। ईसाई, यजीदी और कुर्द समुदाय के शरणार्थी इर्बिल, दहोक और खाजिर के राहत केन्द्रों में रह रहे हैं। मैं इन राहत केन्द्रों में जाने की जल्दी ही योजना बना रहा हंू। मैं ऐसे लोगों को निमंत्रित करता हंू जो कुर्द तथा अरबी भाषा जानते हैं और जो इस काम में मेरी मदद करना चाहते हैं, वे मुझसे सम्पर्क करें। 'आर्ट ऑफ लिविंग' और 'इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर ह्यूमन वैल्यूज' के कार्यकर्ता मिलकर इराक में शरणार्थियों को राहत पहंुचा रहे हैं। कार्यकर्ता इर्बिल के आधार शिविर से भोजन, पानी और अन्य सामग्री लेकर जा रहे हैं। हर राहत केन्द्र में 550 इराकी परिवार हैं। राहत दल के कार्यकर्ता अभी तक 2000 परिवारों तक पहुंच पाए हंै। शरणार्थियों की स्थिति बहुत ही दयनीय है। दहोक के एक छोटे से शिविर में करीब एक लाख शरणार्थी रह रहे हैं। इन शरणार्थियों को फिलहाल दैनिक उपयोग की वस्तुएं और भोजन चाहिए।' ल्ल
रेहाना का सिर कलम
आई़ एस़ आई़ एस. के लगभग 100 आतंकवादियों को मौत के घाट उतारने वाली बहादुर कुर्द महिला रेहाना की हत्या कर दी गई है। रेहाना सीरिया के कोबानी में आतंकवादियों के विरुद्ध लड़ने वालों की प्रतीक बन गई थी। रेहाना 'वूमेन प्रोटेक्शन ग्रुप' की ओर से आतंकवादियों का मुकाबला करती थी। रेहाना से प्रेरणा लेकर सीरिया और इराक की सैकड़ों महिलाएं आतंकवादियों से लड़ रही हैं। कहीं-कहीं ये महिलाएं आतंकवादियों पर बहुत भारी पड़ रही हैं। इन बहादुर महिलाओं के कारण इराक और सीरिया में कई जगहों पर आतंकवादियों को पीछे हटना पड़ा था इसलिए आतंकवादी रेहाना की जान के पीछे पड़ गए थे। सीरिया में घमासान लड़ाई के दौरान ही एक दिन आतंकवादियों ने रेहाना को पकड़ लिया था। आतंकवादियों ने पहले यातनाएं दीं और फिर उसके सिर को धड़ से अलग कर दिया। ल्ल
आई़ एस़ आई़ एस. में विदेशी आतंकी
आतंकवादी संगठन आई़ एस़ आई़ एस. में भर्ती होने के लिए अमरीका, जर्मनी, ब्रिटेन, सूडान, यमन, बंगलादेश, पाकिस्तान , भारत आदि देशों के मुसलमान युवा सीरिया और इराक पहंुच ही रहे हैं। पता चला है अब इस आतंकवादी संगठन से जुड़ने के लिए कई देशों की मुसलमान लड़कियां भी सीरिया जा रही हैं। जर्मनी के फैं्रकफ र्ट हवाई अड्डे पर पिछले दिनों तीन अमरीकी लड़कियों को पकड़ा गया है। ये तीनों सीरिया जा रही थीं। इनमें से दो सोमिलियाई मूल की और एक सूडानी मूल की है। तीनों को अमरीका वापस लाकर पूछताछ की गई और उन्हें उनके परिवार वालों को सौप दिया गया। लेकिन इस प्रकरण ने अमरीका की नींद उड़ा दी है। अमरीकी सुरक्षा एजेंसियां इस बात पर चिन्तित हैं कि इतनी सजगता के बावजूद आई.एस.आई.एस. के गुर्गे अमरीका में रह रहे मुसलमान युवाओं को बरगलाने में कैसे सफल हो रहे हैं।
उधर जर्मनी में भी आई.एस.आई.एस. के गुप्तचर बहुत अधिक सक्रिय हो गए हैं। पिछले दिनों जर्मनी में जिहादी गुटों से जुड़ीं कई ऐसी घटनाएं हुई हैं,जिनसे वहां की सरकार परेशान है। जर्मनी के खुफिया विभाग ने आशंका व्यक्त की है कि जर्मनी के अनेक मुसलमान युवा आतंकवादी बनने के लिए सीरिया जाने की तैयारी कर रहे हैं।
प्रस्तुति : अरुण कुमार सिंह
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