शिव नाडार - तकनीक का साधक
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शिव नाडार – तकनीक का साधक

by
Oct 18, 2014, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 18 Oct 2014 16:18:46

 

शिव नाडार उन उद्यमियों में गिने जाते हैं,जो पिछड़े माने जाने वाले वर्ग से संबंध रखने के बाद भी अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाब हुए। आमतौर पर भारत के कॉरपोरेट संसार में पिछड़े वर्ग से आए उद्यमी काफी कम हैं। लेकिन नाडार आज एचसीएल टेक्नोलॉजी के अध्यक्ष एवं प्रमुख रणनीतिक अधिकारी हैं। वे देश के सबसे धनी उद्यमियों में माने जाते हैं। उनको सन् 2008 में भारत सरकार द्वारा उद्योग एवं व्यापार के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। पांच देशों में 100 से ज्यादा कार्यालय, 30 हजार से ज्यादा कर्मचारी-अधिकारी और दुनियाभर के कम्प्यूटर व्यवसायियों, उपभोक्ताओं का विश्वास माने जाने वाले शिव नाडार अगर सबकी अपेक्षाओं पर खरे उतरते हैं, तो इसके केंद्र में उनकी मेहनत, योजना और सूझबूझ ही है। शिव ने 1976 में राजधानी के एक आवासीय इलाके के गैरेज से एचसीएल एंंटरप्राइजेज की स्थापना की, तो 1991 में वे एचसीएल टेक्नोलॉजी के साथ बाजार में एक नए रूप में हाजिर हुए। पिछले तीन दशक में भारत में तकनीकी कंपनियों की बाढ़-सी आ गई है, लेकिन एचसीएल को उत्कर्ष तक ले जाने के पीछे शिव नाडार का नेतृत्व अहम रहा है। शिव ने एक बार कहा था, 'मैं नेतृत्व के अवसर नहीं देता, बल्कि उन लोगों पर निगाह रखता हूं, जो कमान संभाल सकते हैं।' नाडार एचसीएल को शुरू करने से पहले डीसीएम समूह की एक कंपनी में काम करते थे। उन्होंने अपने साथ के छह लोगों से सलाह की कि क्यों न अपनी एक कंपनी खोली जाए, जो ऑफिस इक्विपमेंट्स बनाए? फलत: 1976 में एचसीएल की नींव पड़ी। 1982 में जब आईबीएम ने एचसीएल को कम्प्यूटर मुहैया कराना बंद कर दिया। तब नाडार और उनके साथियों ने पहला कम्प्यूटर भी बना लिया। फिलहाल, हालत यह है कि एचसीएल की 80 फीसद आमदनी कम्प्यूटर और ऑफिस इक्विपमेंट्स से ही होती है। शिव के बारे में टाइम पत्रिका ने लिखा था, 'पूरी दुनिया नाडार की सोच और भविष्य के लिए तैयार किए गए नेटवर्क को देखकर आश्चर्यचकित और मुग्ध है।' दरअसल, नाडार का साम्राज्य अर्थशास्त्र और शासन को नई परिभाषा देने वाला है। वैसे, तकरीबन तीन दशक पहले जब नाडार ने कंपनी स्थापित की थी, तो यह एक दांव की तरह ही था।
तमिलनाडु में पहले नौकरी छोड़ना और बाद में दिल्ली में डीसीएम समूह की बढि़या नौकरी को ठोकर मारने का साहस नाडार ही कर सकते थे। लेकिन वे न सिर्फ कामयाब हुए, बल्कि उन्होंने साथियों और निवेशकों का भरोसा भी जीता। ल्ल

शुरुआत 1976 में दिल्ली में एक गैरेज में शुरू की एचसीएल कंपनी
बड़ी छलांग
1991 में एचसीएल टेक्नोलॉजी बाजार में उतरी और धूम मचा दी
संदेश
साहस और कुछ नया करने का जोश हो तो सब संभव है

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