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तरुण शक्ति जागी है फिर से,
शत-शत इसे नमन है
नयी चेतना, नयी स्फूर्ति से उत्साहित जन -जन है
घोर निराशा छाई थी जो, उसका अंत हुआ है
पतझर-पतझर मानस का मन फिर वासंत हुआ है
नये समय ने करवट ली है, इसका अभिनन्दन है
तरुण शक्ति जागी है फिर से …
फिर से भारत की संस्कृति का गौरव-गान हुआ है
विश्व गुरु फिर हो सकते हैं,हमको भान हुआ है
नवल ऊ र्जा, नव जागृति का यह नवयुग-स्पंदन है
तरुण शक्ति जागी है फिर से …
मां के सिर पर मैला आंचल, अब ना सहन करेंगे
भारत मां के चहंुओर फैला हर कलुष हरेंगे
गंगा की कलकल-छलछल का यह निर्मल-वंदन है
तरुण शक्ति जागी है फिर से …
नये जतन से नयी चुनौती का सामना करेंगे
सत्य और श्रम की ही जय हो,यह कामना करेंगे
सर्वे भवंतु सुखिन: ही अपना चिंतन-मंथन है
तरुण शक्ति जागी है फिर से
शत-शत इसे नमन है ।
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