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देश के एक सुदूर गांव का नंगे पांव स्कूल जाने वाला इंसान आगे चलकर किसी उड्डयन कंपनी का मालिक बन जाए तो आप क्या कहेंगे। सपना या हकीकत। सपने को हकीकत में बदलना कोई कैप्टन जीआर गोपीनाथ से सीखे। हिन्दुस्थानियों को सस्ते किराए पर हवाई सफर करवाने वाले गोपीनाथ की उड़ान जारी है।
स्कूल के बाद भारतीय सेना में गए। 1971 की भारत-पाकिस्तान जंग छिड़ी। उन दिनों को याद करके वे कहते हैं, मैं सेना में कैप्टन बन चुका था। लेकिन वहां भी मजा नहीं आ रहा था। इसलिए सेना की नौकरी छोड़ी। कर्नाटक के अपने हासन जिले के गांव में वापस आ गया। ये 1980 की बात है। मुझे ग्रेच्युटी मिली 6500 रुपये। खेती की,उडुपी रेस्तरां भी चलाया। कई पापड़ बेले। कभी नौकरी की,तो भी व्यवसाय। मेरे प्रत्येक फैसले में मेरा परिवार मेरे साथ था। मैंने पहले एनफील्ड मोटर साइकिल,फिर लूना मोपेड और होंडा स्कूटर की डीलरशिप भी ली। व्यवसाय में नफा ज्यादा,नुकसान कम हुआ।
उद्यमी बनने का फैसला
पूरी तरह से उद्यमी बनने का फैसला कब लिया? मेरे लिए 1995 विशेष था। मैं 40 का हो रहा था। मैं अब उड़ना चाह रहा था। हेलिकाप्टर की कंपनी स्थापित करने का मन था। पहले से शोध कर रहा था। मुझे लाइसेंस लेने से ज्यादा, पूंजी जुटाने में कठिनाई आई। 40 पार करने के बाद पूरी तरह से उद्यमी बनने का फैसला लेने में क्या कोई दिक्कत आई? कैप्टन गोपीनाथ कहते हैं, कोई नया काम करने की कोई उम्र नहीं होती। इसलिए मैं जब पूरी तरह से व्यवसाय में कूद रहा था,तब भी मेरे मन में किसी तरह की शंका नहीं थी। मेरे सामने आयु कोई विषय नहीं था। शुरुआती अड़चनों के बारे में वे कहते हैं, मैं अपने को भाग्यशाली मानता हूं कि मुझे बिजनेस में शुरू से ही कामयाबियां अधिक मिलीं। मुझे जब भी कोई बढि़या सा व्यवसाय आइडिया आता है,तो मैं उस पर दिन-रात काम करता हूं। नाकामयाब होने लगता हूं तो किसी दूसरे रास्ते की तलाश में निकल पड़ता हूं।
आदर्श कौन
दरअसल हर व्यवसायी आपको नए अनुभव देकर जाता है। आपके कौन आदर्श रहे? कैप्टन गोपीनाथ कहते हैं, मेरे आदर्श महात्मा गांधी और मेरे पिता रहे। इन दोनों की शिक्षाओं के चलते मेरे पैर जमीन पर रहे। मेरे पिता मुझे हमेशा यही समझाते रहे,आप तब ही खुश रह सकते हैं,जब आप गरीब को देखें और धनी से ईर्ष्या न करें। खैर,कैप्टन गोपीनाथ का सफर जारी है। गोपीनाथ ने साल 2008 में देश की पहली हेलीकाप्टर टैक्सी सेवा की शुरुआत की थी बेंगलूरु से। कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने इस सेवा का उद्घाटन किया था।
डेक्कन एविएशन की डेक्कन स्काइलिमो टैक्सी सेवा को शहर से 35 किलोमीटर दूरी पर बने अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे तक शुरू किया गया था। इस सेवा की शुरुआत डेक्कन ऐविएशन ने विशेष रूप से आईटी पेशेवरों व बिजनेस लीडरों के नए हवाई अड्डे तक लगने वाले यात्रा समय को बचाने के लिए किया था। अभी वे बैठे नहीं हैं। अब उन्होंने डेक्कनशटल शुरू की है। वरिष्ठ बिजनेस पत्रकार रोहित शरण मानते हैं कि कैप्टन जी आर गोपीनाथ भारत में कम लागत के हवाई यात्रा को आम लोगों तक लाने में अग्रणी हंै। उन्होंने ही कम लागत वाली एयरलाइन एयर डेक्कन के संस्थापक हैं। उनकी पर्सनेल्टी गजब की है । उन्होंने एनडीए यानी राष्ट्रीय रक्षा अकादमी से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और भारतीय सेना में नौकरी की।
गोपीनाथ का शिखर पर जाना साबित करता है कि अगर आपमें जज्बा है तो आप किसी भी मंजिल को पार सकते हैं। उन्होनें एक गांव के स्कूल में शिक्षा प्राप्त की। उनके पिता एक गरीब स्कूल शिक्षक थे। वे पांचवीं कक्षा तक कन्नड़ माध्यम के स्कूल में पढ़े। उसके बाद वे बीजापुर के सैनिक स्कूल में गए। आपको याद होगा कि उनकी कंपनी एयर डेक्कन का बाद में किंग फिशर एयरलाइन में विलय हो गया था। वे किताबों के बहुत शौकीन हैं। बहुत पढ़ते है। उनके बैग में दो-तीन किताबें अवश्य रहती हैं। गोपीनाथ कहते हैं कि वे हर तीन दिनों में एक किताब पढ़ कर लेते हैं। वे साफ कहते हैं कि वे अभी कुछ और भी धमाका कर सकते हैं। उनके लिए पैसा कमाना अब मकसद नहीं है। पैसा कमा लिया जीवनभर के लिए। अब कोई ठोस काम करना चाहते हैं। गोपीनाथ अपने गांव में कई स्कूल भी चला रहे हैं।
भाजपा में भी रहे
गोपीनाथ ने राजनीति में भी हाथ अजमाया है। वे एक दौर में भाजपा में भी रहे। वे आम आदमी पार्टी में भी रहे। पर पार्टी नेतृत्व के साथ मतभेद का हवाला देते हुए उन्होंने आम आदमी पार्टी छोड़ दी थी और अरविंद केजरीवाल की हालिया कार्य प्रणाली की आलोचना की। आप में शामिल होते हुए गोपीनाथ ने कहा था कि वह अण्णा हजारे और केजरीवाल के बडे़ प्रशंसक रहे हैं और आगे भी रहेंगे। गोपीनाथ आजकल फ्रांस में भी काफी समय रहते हैं। उनकी विमानन कंपनी एयरबस से भी तालमेल के लिए बातचीत चल रही है। हालांकि अभी इसका खुलासा नहीं हुआ है कि वे एयरबस के साथ किस तरह का तालमेल करना चाहते हैं। ल्ल
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